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Humor is a Part of Spirituality अध्यात्म का एक भाग है हास्य

India News Editor • LAST UPDATED : September 30, 2021, 1:26 pm IST

Humor is a part of spirituality

एक बार आदि शंकराचार्य एक जंगल से होकर गुजर रहे थे, एक हाथी उनके पास भागता हुआ आया। अपनी सुरक्षा के लिए आदी शंकराचार्य ने भी भागना शुरू कर दिया। इस दृश्य को देख रहा उनका शिष्य दूर से उपहासपूर्ण ढ़ंग से चिल्लाया आप भाग क्यों रहे हैं यह हाथी भी एक भ्रम है। उसका इशारा आदी शंकराचार्य के उस उपदेश को इंगित करना था – ब्रह्म सत्य, जगत मिथ्या, इसका अर्थ है केवल बह्म ही सत्य है यह जगह केवल भ्रम है।

आदी शंकराचार्य इस बात जवाब देते हुए बोले मम पलायनोपी मिथ्या जिसका अर्थ है मेरा भागना भी एक भ्रम ही है। भगवान कृष्ण को भी उनके व्यवहारिक हास्य के लिए जाना जाता है। जब वे कई वर्षों बाद अपने मित्र सुदामा से मिलते हैं तो उनके साथ भी एक हास्य करते हैं, कृष्ण उनसे कहते हैं कि तुम जरूर मेरे लिए कुछ बहुत कीमती तोहफा लाए हो निर्धन सुदामा उनके व्यवहार को सत्य मान लेता है और उन्हें एक मुट्ठीभर चावल भेंट करता है। जब भगवान कृष्ण को सुदामा की भावना समझ आती है तो वे उसके हाथ से चावल लेकर बहुत प्रेम और खुशी के साथ उसी समय खा लेते हैं। भगवान कृष्ण इस हास्य को और ज्यादा बढ़ाते हैं निर्धन सुदामा उनसे सहयता लेने आता है लेकिन कृष्ण उसे खाली हाथ लौटा देते हैं। सुदाम मायूसाउर नाउम्मीद होकर अपने घर लौटते हैं। परंतु जब वे अपने घर वापस लौटते हैं और देखते हैं कि उनकी झोपड़ी महल में तब्दील हो गई है उनकी पत्नी बहुमूल्य आभूषणों और महंगे वस्त्रों में उनके समक्ष खड़ी है तो वे समझ जाते हैं कि उनके मित्र ए उनके साथ हास्य किया था।

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