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पूरी मुग़ल सलतनत पर धब्बा था ये राजा, मुड़ते ही कहलाता था ‘लंपट मूर्ख मुगल बादशाह’

India News (इंडिया न्यूज), Facts About Mughals: मुगल साम्राज्य में कई ऐसे शासक हुए जिन्होंने अपनी बहादुरी, न्यायप्रियता और प्रशासनिक दक्षता से इतिहास रचा। लेकिन जहांदार शाह का नाम मुगल इतिहास में एक अपवाद के रूप में लिया जाता है। उनकी 9 महीने की शासन अवधि को उनके अय्याशी, अनैतिक आचरण और अयोग्यता के लिए जाना जाता है। आइए जानते हैं उनके जीवन और शासनकाल के बारे में विस्तार से।

 

जहांदार शाह का सत्ता तक पहुंचना

बहादुर शाह प्रथम की मृत्यु (1712):

बहादुर शाह प्रथम की मृत्यु के बाद उनके बेटों के बीच सत्ता के लिए संघर्ष छिड़ गया।

इस गृहयुद्ध में जहांदार शाह विजयी हुए और 1712 में उन्हें मुगल गद्दी पर बैठाया गया।

 

रंगीन मिजाजी और अय्याशी का जीवन

जहांदार शाह का शासन उनके अय्याश और गैरजिम्मेदार व्यवहार के लिए कुख्यात रहा।

1. लाल कुंवर का प्रभाव:

जहांदार शाह का दिल एक तवायफ लाल कुंवर पर आ गया।

उसने लाल कुंवर को अपनी रानी का दर्जा देकर ‘इम्तियाज महल’ की उपाधि दी।

उसने अपनी सत्ता का बड़ा हिस्सा लाल कुंवर के हाथों में सौंप दिया।

लाल कुंवर ने प्रशासन में कई अनैतिक और अजीब फैसले लिए।

 

2. अशोभनीय आचरण:

जहांदार शाह अक्सर दरबार में अर्धनग्न अवस्था में या महिलाओं के कपड़े पहनकर आता था।

यह आचरण मुगल दरबार की गरिमा को धूमिल करता था।

 

 

निर्णयों में मूर्खता और क्रूरता

जहांदार शाह के शासनकाल में उनके कई निर्णय मूर्खता और क्रूरता की पराकाष्ठा को दर्शाते हैं।

1. बेटों की आंखें फोड़ना:

लाल कुंवर के कहने पर जहांदार शाह ने अपने दोनों बेटों की आंखें फोड़ दीं और उन्हें कैद में डाल दिया।

2. प्रशासनिक विफलता:

जहांदार शाह के शासनकाल में मुगल साम्राज्य की शक्ति और प्रतिष्ठा तेजी से घटने लगी।

साम्राज्य के सीमांत प्रांतों में विद्रोह और अराजकता फैल गई।

 

फर्रूखसियर का विद्रोह और अंत

जहांदार शाह का भतीजा फर्रूखसियर उसके अयोग्य शासन से असंतुष्ट था।

उसने 1713 में जहांदार शाह को हराकर उसे गद्दी से हटा दिया।

जहांदार शाह को कैद कर लिया गया और कुछ ही समय बाद उसकी हत्या कर दी गई।

 

मुगल इतिहास में स्थान

जहांदार शाह की शासनकाल की विफलता और उनके अजीब व्यवहार ने उन्हें मुगल इतिहास का “सबसे मूर्ख और अयोग्य बादशाह” बना दिया।

उनके शासनकाल से मुगल साम्राज्य का पतन और अधिक स्पष्ट हो गया।

जहांदार शाह का जीवन एक उदाहरण है कि व्यक्तिगत इच्छाओं और अयोग्यता के कारण एक शासक किस तरह अपने साम्राज्य को बर्बाद कर सकता है।

जहांदार शाह की कहानी हमें यह सिखाती है कि एक शासक की नैतिकता, प्रशासनिक कौशल और जनता के प्रति जिम्मेदारी ही उसे महान बनाती है। अयोग्यता और अय्याशी से सत्ता में बने रहना संभव नहीं।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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