India News (इंडिया न्यूज), Muslim Emperor Harem: हिंदुस्तान में मुस्लिम साम्राज्य के दौरान बादशाहों के हरम की सुरक्षा के बारे में कई ऐतिहासिक घटनाएं दर्ज हैं। वहीं हरम का अर्थ है प्रतिबंधित स्थान, जहां केवल बादशाह की पत्नियों, परिवार के सदस्यों और कुछ खास महिलाओं के लिए होता था। अगर कोई इन हरम में प्रवेश करता था, तो उसे कड़ी सजा दी जाती थी। आइए जानते हैं कि हरम में प्रवेश करने पर क्या सजा तय की गई थी।

बादशाहों के लिए हरम क्यों ज़रूरी थे?

बता दें कि, मुस्लिम बादशाहों के हरम को एक निजी और सुरक्षित जगह माना जाता था। जहां बादशाह अपनी पत्नियों, बच्चों और दासियों के साथ रहते थे। यह एक ऐसी जगह थी, जहां बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित था। इस कारण हरम में प्रवेश करने वाले व्यक्ति को कड़ी सजा दी जाती थी। हरम में किसी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश करने पर यह सजा बेहद कड़ी थी। ऐसा माना जाता था कि हरम का उल्लंघन न केवल बादशाह की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है, बल्कि इससे साम्राज्य की गरिमा को भी ठेस पहुँचती है। कभी-कभी अगर कोई व्यक्ति हरम में घुसने की कोशिश करता था तो उसे मौत की सज़ा दी जा सकती थी। यह सज़ा इस बात का प्रतीक थी कि राजा अपने निजी और पारिवारिक जीवन की सुरक्षा को लेकर कितना गंभीर था।

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क्या-क्या सजा मिलती थी?

दरअसल, कई मामलों में व्यक्ति को कठोर शारीरिक सज़ा भी दी जाती थी। जैसे सिर काटना या हाथ-पैर काटना। यह सज़ा आमतौर पर हरम की महिलाओं में असुरक्षा की भावना को दूर करने और सज़ा का एक उदाहरण स्थापित करने के लिए दी जाती थी। इसके अलावा, कुछ मामलों में हरम में घुसने वाले व्यक्ति को लंबे समय तक कैद में रखा जाता था। यह सज़ा उनके लिए एक चेतावनी थी ताकि वे दोबारा ऐसा करने की हिम्मत न करें।

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