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ये कैसी है परम्परा? जहां मंदिरों में प्रसाद के रूप में दिया जाता है नॉनवेज…कुछ तो है सिद्ध शक्तिपीठ तक?

Prachi Jain • LAST UPDATED : October 7, 2024, 3:23 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), Non-veg Prasad Is Given In These Temples: भारत एक विविधता से भरा देश है, जहां विभिन्न धार्मिक आस्थाओं और परंपराओं का पालन किया जाता है। यहां के कई मंदिरों में अनोखे रीति-रिवाज और प्रसाद की विशेषताएं देखने को मिलती हैं, जो अलग-अलग समुदायों और धर्मों की मान्यताओं से जुड़े होते हैं।

हाल ही में तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डू को लेकर जानवर की चर्बी का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है, लेकिन यह सिर्फ एक उदाहरण है। भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जहां चिकन, मटन, मछली आदि को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख मंदिरों के बारे में, जहां मांसाहारी प्रसाद चढ़ाने की परंपरा है:

1. कालीघाट मंदिर, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)

  • कालीघाट मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है और यह कोलकाता में स्थित है। यह मंदिर लगभग 200 साल पुराना है और यहां पशु बलि की परंपरा है। बलि के बाद मांस को प्रसाद के रूप में भक्तों में वितरित किया जाता है।

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2. दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)

  • कोलकाता के दक्षिणेश्वर काली मंदिर में प्रसाद के रूप में मछली भक्तों को दी जाती है। यह मंदिर काली माता को समर्पित है और यहां मांसाहारी भोग चढ़ाने की परंपरा है।

3. कामाख्या देवी मंदिर, असम

  • कामाख्या देवी मंदिर असम के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर में देवी को मांस और मछली का भोग लगाया जाता है, जिसे बाद में भक्तों में बांटा जाता है।

4. विमल देवी मंदिर, पुरी (ओडिशा)

  • ओडिशा के पुरी में स्थित विमल देवी मंदिर में भी विशेष दिनों पर मांस और मछली का भोग लगाया जाता है। यह प्राचीन मंदिर शक्तिपीठों में से एक है और यहां भी मांसाहारी प्रसाद चढ़ाने की प्रथा है।

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5. मुनियांदी स्वामी मंदिर, मदुरै (तमिलनाडु)

  • तमिलनाडु के मदुरै में मुनियांदी स्वामी मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहां हर साल तीन दिन का विशेष उत्सव मनाया जाता है, जिसमें चिकन और मटन बिरयानी का प्रसाद भक्तों को बांटा जाता है।

6. तरकुलहा देवी मंदिर, गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)

  • उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में तरकुलहा देवी मंदिर है, जहां विशेष अवसरों पर बकरे की बलि दी जाती है। बलि का मांस प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

7. पारासिनिक करवु मंदिर, केरल

  • केरल के पारासिनिक करवु मंदिर में मछली और ताड़ी (एक प्रकार का शराब) चढ़ाई जाती है, जिसे भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। यह प्रथा केरल की विशेष धार्मिक परंपराओं का हिस्सा है।

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धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता

भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रसाद और भोग की परंपराएं उनके स्थानीय रीति-रिवाजों, मान्यताओं और सांस्कृतिक धरोहरों पर आधारित हैं। कुछ मंदिरों में मांसाहारी भोग चढ़ाना एक प्राचीन परंपरा है, जो शक्ति पूजा और बलि की अवधारणा से जुड़ी है। वहीं, अन्य जगहों पर शाकाहारी भोग दिया जाता है। यह विविधता इस बात का प्रतीक है कि भारत में धर्म और आध्यात्मिकता को अलग-अलग रूपों में स्वीकारा और मनाया जाता है।

निष्कर्ष

ध्यान देने वाली बात यह है कि इन मंदिरों में चढ़ाई जाने वाली वस्तुएं और बलि देने की प्रथाएं उनकी स्थानीय मान्यताओं पर आधारित हैं। हर मंदिर और स्थान की अपनी परंपराएं हैं, और यह देश की सांस्कृतिक विविधता का उदाहरण है। हालांकि, वर्तमान समय में कई स्थानों पर पशु बलि जैसी परंपराओं को लेकर बहस हो रही है, और इन्हें समाप्त करने की कोशिशें भी की जा रही हैं।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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