India News (इंडिया न्यूज), Profitable Farming: इन दिनों खेती में तरह-तरह के इनोवेशन हो रहे हैं। किसान खेती तो कर रहे हैं, लेकिन खास तरीके से। खेतों में जहां फल, सब्जियां, अनाज उगाए जा रहे हैं, वहीं मुर्गी पालन, मछली पालन और पशुपालन भी किया जा रहा है। एक तरफ डेयरी चल रही है तो दूसरी तरफ मुर्गी पालन। ये तरीके किसानों की आय दोगुनी करने में मददगार हैं। अगर आप भी खेती से जुड़ा कुछ नया करना चाहते हैं तो बेहिचक रेशम कीट पालन के व्यवसाय से जुड़ सकते हैं। देश-दुनिया में अच्छे और लग्जरी रेशम की बढ़ती मांग के बीच रेशम कीट पालन यानी सेरीकल्चर से जुड़ना फायदे का सौदा साबित हो सकता है। अच्छी बात यह है कि अब सरकार भी इस काम में किसानों और ग्रामीणों की मदद करती है।
मल्टीक्रॉपिंग का मतलब है एक साथ कई फसलों की खेती, जिससे आमदनी भी बढ़ती है। रेशम कीट पालन के लिए यह नुस्खा कारगर साबित हो रहा है। अगर आपके पास एक या दो एकड़ जमीन है, तो शहतूत के पेड़ लगाएं, जिससे न सिर्फ फल मिलेंगे, बल्कि इसकी पत्तियां रेशम के कीड़ों के काम आएंगी। हर साल 4 बार रेशम बनाया जा सकता है।
अगर आपने कृषि विभाग के मार्गदर्शन में सारा काम किया है, तो संभव है कि कृषि विभाग आपसे सारा रेशम खरीद ले। यह रेशम भी दो तरह का होता है। एक सफेद रेशम 500 रुपये प्रति किलो और एक पीला रेशम 300 रुपये प्रति किलो की दर से बिकता है। आपको बता दें कि अगर आप एक एकड़ में रेशम कीट पालन करना चाहते हैं, तो करीब 500 किलो रेशम कीट की जरूरत होगी।
एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर किसान 10 दिन के रेशम के कीड़े खरीदते हैं, तो आपको अगले 20 से 25 दिनों तक इन कीड़ों की अच्छी तरह से देखभाल करनी होती है। इन कीड़ों को शहतूत के पत्ते खिलाने होते हैं। 30 दिनों तक इस प्रक्रिया को अपनाने के बाद अगले 20 से 25 दिनों में रेशम तैयार हो जाता है। इस बीच, जिस कमरे में रेशम के कीड़ों को पाला जाता है, उसके तापमान पर विशेष ध्यान देना होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि रेशम के कीड़ों को पालने के लिए तापमान को 26 डिग्री से 27 डिग्री के बीच नियंत्रित करना होता है। इस बीच, आर्द्रता भी 80 से 85% होनी चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है कि कीड़े पूरी तरह से स्वस्थ और सुरक्षित रहें और इन कीड़ों को कोई बीमारी न लगे। इससे रेशम की प्रोसेसिंग भी आसान हो जाती है।
रेशम का इस्तेमाल सबसे ज़्यादा लग्जरी कपड़े बनाने में होता है। इसका इस्तेमाल भारत में मशहूर रेशमी साड़ियों, रेशमी दुपट्टों और कई तरह के कपड़ों को बनाने में होता है। रेशम के कीड़ों से बना रेशम 2,000 से 7,000 रुपये प्रति किलोग्राम बिकता है, जिसका इस्तेमाल बाद में लाखों की साड़ियाँ बनाने में किया जाता है। पहले किसान और ग्रामीण इस व्यवसाय के बारे में नहीं जानते थे, लेकिन आज देश के अलग-अलग इलाकों में रेशम के कीड़ों का पालन किया जा रहा है, जिससे किसान खेती के साथ-साथ अच्छी कमाई कर रहे हैं।
अच्छी बात यह है कि इस काम में पशुपालन, मुर्गी पालन या मछली पालन जितनी मेहनत नहीं करनी पड़ती, बस एक एकड़ में शहतूत के पेड़ लगा दें और सब्ज़ियाँ भी उगा सकते हैं। ज़्यादा जानकारी के लिए आप अपने जिले के नज़दीकी कृषि विभाग के दफ़्तर से भी संपर्क कर सकते हैं।
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