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अकबर के वो 5 काले सच, जानें इतिहास से भी कैसे रखे गए छिपाकर

India News (इंडिया न्यूज), 5 Dark Truths Of Akbar: मुगल सम्राट अकबर का शासनकाल उसकी प्रशासनिक क्षमता और धार्मिक सहिष्णुता के लिए तो प्रसिद्ध है, लेकिन उसका हरम हमेशा विवादों से घिरा रहा। विभिन्न ऐतिहासिक स्रोतों में अकबर के हरम में महिलाओं की संख्या को लेकर अलग-अलग दावे किए गए हैं, जिनमें से एक प्रमुख स्रोत अब्दुल कादिर बदायुनी की किताब मुंतखब-उत-तवारीख है।

अकबर का विशाल हरम

बदायुनी ने अपनी किताब में लिखा है कि अकबर के हरम में लगभग 5,000 महिलाएं थीं। इनमें से अधिकांश महिलाएं उसकी पत्नियां या प्रेमिकाएं नहीं थीं, बल्कि वे उसकी सेवा में नियुक्त की गई महिलाएं थीं, जिनका काम हरम की व्यवस्था और सम्राट के विभिन्न कामों को संभालना था।

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अकबर की 300 पत्नियां और रखैलें

इतिहासकारों के अनुसार, अकबर की करीब 300 पत्नियां और रखैलें थीं। यह संख्या इतनी अधिक होने के कारण अकबर का हरम हमेशा चर्चा का विषय बना रहा। यह पत्नियां विभिन्न रियासतों के साथ राजनीतिक गठजोड़ के रूप में की गई शादियों का परिणाम थीं। अकबर ने अनेक रानियों और राजकुमारियों से विवाह किया, ताकि उसकी साम्राज्य की सीमाएं और भी विस्तारित हो सकें।

शादीशुदा महिलाओं पर अकबर की नजर

ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार, अकबर के हरम में कुछ ऐसी महिलाएं भी थीं जो पहले से ही विवाहित थीं। उदाहरण के तौर पर, आगरा के एक सरदार शेख बादाह की पत्नी से अकबर ने जबरदस्ती निकाह किया और उसे अपने हरम में शामिल कर लिया। यह घटना बताती है कि अकबर अपने हरम को भरने के लिए कभी-कभी अमानवीय कदम भी उठाता था।

जोधाबाई और अकबर का संबंध

अकबर और जोधाबाई के संबंधों को लेकर कई धारणाएं प्रचलित हैं। कुछ का दावा है कि अकबर को जोधाबाई से सच्चा प्रेम था, लेकिन यह तथ्य विवादास्पद है। यदि अकबर का जोधाबाई से प्रेम था, तो वह उसके बाद अन्य महिलाओं से विवाह क्यों करता? जोधाबाई का विवाह अकबर के साथ राजनीतिक कारणों से हुआ था, न कि किसी प्रेम के चलते।

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अकबर का काला कानून

अकबर के हरम से जुड़ा एक और विवादास्पद तथ्य यह है कि अगर बादशाह को कोई शादीशुदा महिला पसंद आ जाती, तो उस महिला के पति को उसे तलाक देना अनिवार्य था। यह कानून न केवल अन्यायपूर्ण था, बल्कि अकबर के शासनकाल के एक काले अध्याय के रूप में देखा जाता है। इस तरह के कानून ने उस समय के सामाजिक ढांचे को प्रभावित किया और महिलाओं की स्थिति को और भी कमजोर किया।

निष्कर्ष

अकबर का हरम और उसके कानूनों ने उसके शासनकाल में एक गहरे सामाजिक प्रश्न को जन्म दिया। एक तरफ अकबर को एक महान शासक और धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक माना जाता है, तो दूसरी तरफ उसके हरम और व्यक्तिगत जीवन से जुड़े विवाद आज भी उसकी छवि को धूमिल करते हैं।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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