India News (इंडिया न्यूज),Sawan 2024: सावन का महीना शुरू हो चुका है। ऐसे में हिंदू धर्म को मानने वाले लोग इस पवित्र महीने में अपनी परंपराओं के अनुसार कई ऐसे काम करते हैं, जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। चलिए आज हम आपको भारत के एक ऐसे गांव की कहानी बताते हैं, जहां सावन के महीने में महिलाएं 5 दिनों तक कपड़े नहीं पहनती हैं। इसके साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि वहां की महिलाएं ऐसा क्यों करती हैं और क्या इस गांव में पुरुषों पर भी कोई नियम लागू होता है।
हम जिस भारतीय गांव की बात कर रहे हैं, वह हिमाचल प्रदेश की मणिकरण घाटी में स्थित है। इस गांव का नाम पीणी है। यहां सदियों से यह परंपरा चली आ रही है कि सावन के महीने में यहां की महिलाएं 5 खास दिनों तक कपड़े नहीं पहनती हैं। यही वजह है कि इन पांच दिनों में गांव में बाहरी लोगों का प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित रहता है।
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हिमाचल प्रदेश के इस गांव का इतिहास सदियों पुराना है। इसीलिए यहां कई ऐसी परंपराएं हैं जो कहीं और देखने को नहीं मिलती। सावन में पांच दिन तक कपड़े न पहनने की परंपरा भी सदियों पुरानी है। आइए अब जानते हैं इसके पीछे क्या वजह है।
दरअसल, एक समय इस गांव में राक्षसों का इतना आतंक था कि गांव वालों का जीना मुश्किल हो गया था। जब राक्षसों का आतंक बहुत बढ़ गया तो लाहुआ घोंड नाम के देवता इस गांव में आए और राक्षस को मारकर गांव वालों की रक्षा की। कहा जाता है कि जब राक्षस गांव में आते थे तो सजी-धजी महिलाओं को उठा ले जाते थे। यही वजह है कि आज भी सावन के इन पांच दिनों में महिलाएं कपड़े नहीं पहनती हैं।
पीनी गांव की आज हर महिला इस परंपरा का पालन नहीं करती है। लेकिन इस परंपरा का पालन करने वाली महिलाएं इन पांच दिनों में स्वेच्छा से ऊन से बनी पट्टी पहनती हैं। परंपरा का पालन करने वाली महिलाएं इन पांच दिनों में घर से बाहर नहीं निकलती हैं। इस परंपरा का पालन खास तौर पर गांव की शादीशुदा महिलाएं करती हैं।
ऐसा नहीं है कि इस गांव में सिर्फ महिलाओं के लिए ही नियम हैं। पुरुषों के लिए नियम है कि वे सावन के महीने में शराब और मांस का सेवन नहीं करेंगे। इन खास पांच दिनों में इस परंपरा का पालन करना सबसे जरूरी है। इस परंपरा के अनुसार इन पांच दिनों में पति-पत्नी एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा भी नहीं सकते हैं।
अगर आप घूमने-फिरने के शौकीन हैं तो इस गांव में जा सकते हैं। हालांकि सावन के इन पांच दिनों में आपको इस गांव में प्रवेश नहीं मिलेगा। गांव वाले इन पांच दिनों को बेहद पवित्र मानते हैं और इसे त्योहार की तरह मनाते हैं। ऐसे में वे इन पांच दिनों में किसी बाहरी व्यक्ति को अपने गांव में प्रवेश नहीं करने देते हैं।
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