इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
20 years in Power of Narendra Modi: पीएम नरेंद्र मोदी इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल कब और कैसे करना है। सोशल मीडिया पर उनकी लोकप्रियता को उनके आलोचक भी काबिल-ए-तारीफ मानते हैं। सोशल मीडिया पर मौजूदगी के मामले में उन्हें कुछ सबसे बड़े वैश्विक राजनेताओं की सूची में रखा जा सकता है।
जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (20 years in Power of Narendra Modi) ने 2020 में मार्च के पहले सप्ताह में यह घोषणा की थी कि वह सोशल मीडिया अकाउंट्स को छोड़ने के बारे में सोच रहे हैं, तो लोग हैरान रह गए थे। लोगों को इस बात पर हैरानी इसलिए हुई क्योंकि वे सोशल मीडिया का सबसे बेहतर इस्तेमाल करने वाले और सोशल मीडिया पर देश के सबसे ‘मुखर’ शीर्ष नेता रहे हैं।
पीएम की आलोचना करने वाले भी मानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (20 years in Power of Narendra Modi) 2014 में देश के प्रधानमंत्री बने और अपने पहले एक साल के कार्यकाल में ही उन्होंने युवाओं को जोड़ने, कार्यकर्ताओं तक संदेश पहुंचाने, विभिन्न अभियानों में लोगों को शामिल करने और विदेश यात्राओं के लिए सोशल मीडिया का इस तरह से धुंआधार इस्तेमाल किया कि विपक्ष के दूसरे नेता पटखनी खा गए।
दरअसल मोदी (20 years in Power of Narendra Modi) और उनकी टीम ने यह बहुत पहले भांप लिया था कि पहली बार वोट देने जा रहा युवा सोशल मीडिया का जबरदस्त इस्तेमाल करता है और उस वर्ग तक पहुंच बनाने के लिए सोशल मीडिया को ही औजार बनाना होगा। युवाओं तक पहुंचने के लिए शुरू की गई यह रणनीति धीरे-धीरे समाज के सभी वर्गों तक पहुंचने के लिए आजमाई गई और कामयाब रही।
इसी वजह से न्यूयॉर्क टाइम्स ने मोदी (20 years in Power of Narendra Modi) को ‘सोशल मीडिया पोलिटिशियन’ कहा था। कहा यह भी जाता है कि मोदी (20 years in Power of Narendra Modi) ने दुनिया में शुरू हुए सेल्फी के नए ट्रेंड को भारत में भी लोकप्रिय कर दिया।
नरेन्द्र दामोदरदास मोदी (20 years in Power of Narendra Modi) 26 मई 2014 से अब तक लगातार दूसरी बार भारत के प्रधानमन्त्री बने हैं तथा वाराणसी से लोकसभा सांसद भी चुने गये हैं। इससे पहले वे 7 अक्तूबर 2001 से 22 मई 2014 तक गुजरात राज्य के मुख्यमन्त्री रह चुके हैं। मोदी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य हैं। वडनगर के एक गुजराती परिवार में पैदा हुए, मोदी ने अपने बचपन में चाय बेचने में अपने पिता की मदद की, और बाद में अपना खुद का टी स्टाल चलाया था।
आठ वर्ष की आयु में वे आरएसएस से जुड़े, जिसके साथ एक लम्बे समय तक सम्बन्धित रहे। स्नातक होने के बाद उन्होंने अपने घर छोड़ दिया। मोदी ने दो साल तक भारत भर में यात्रा की, और कई धार्मिक केन्द्रों का दौरा किया। 1969 या 1970 वे गुजरात लौटे और अहमदाबाद चले गए। 1971 में वह आरएसएस के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता बन गए। 1975 में देश में आपातकाल की स्थिति के समय उन्हें कुछ समय के लिए छिपना पड़ा था। 1985 में वे बीजेपी से जुड़े और 2001 तक पार्टी पदानुक्रम के भीतर कई पदों पर कार्य किया, जहां से वे धीरे धीरे भाजपा में सचिव के पद पर पहुंचे।
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गुजरात में आये 2001 के भूकम्प के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमन्त्री केशुभाई पटेल के असफल स्वास्थ्य और खराब सार्वजनिक छवि के कारण नरेंद्र मोदी को 2001 में गुजरात के मुख्यमन्त्री नियुक्त किया गया था। मोदी शीघ्र ही विधायी विधानसभा के लिए चुने गए। 2002 के गुजरात दंगों में उनके प्रशासन को कठोर माना गया है, इस समय उनके संचालन की आलोचना भी हुई। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) को नरेंद्र मोदी के खिलाफ कार्यवाही आरम्भ करने के लिए कोई भी प्रमाण नहीं मिला।
वे गुजरात के 14वें मुख्यमन्त्री रहे। उन्हें उनके काम के कारण गुजरात की जनता ने लगातार 4 बार (2001 से 2014 तक) मुख्यमन्त्री चुना। अटल बिहारी वाजपेयी की तरह नरेन्द्र मोदी एक राजनेता और कवि हैं। वे गुजराती भाषा के अलावा हिन्दी में भी देशप्रेम से ओतप्रोत कविताएं लिखते हैं। उनके नेतृत्व में भारत की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा और 282 सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की।
एक सांसद के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी एवं अपने गृहराज्य गुजरात के वडोदरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा और दोनों जगह से जीत दर्ज की। 2014 बाद वर्ष 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने उनके नेतृत्त्व में दोबारा चुनाव लड़ा और इस बार पहले से भी ज्यादा बड़ी जीत हासिल हुई। पार्टी ने कुल 303 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा के समर्थक दलों यानी राजग को कुल 352 सीटें प्राप्त हुईं। 30 मई 2019 को शपथ ग्रहण कर नरेन्द्र मोदी (20 years in Power of Narendra Modi) लगातार दूसरी बार प्रधानमन्त्री बने।
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