9th Sur Jyotsna National Music Awards शाल्मली व मेहताब लोकमत सुर ज्योत्सना राष्ट्रीय संगीत पुरस्कार से सम्मानित
- अद्भुत, यादगार, बेमिसाल और सुरमयी सुर ज्योत्सना अवॉर्ड की शाम
- गीत-संगीत के उभरते कोहिनूरों से जगमगाया सभागृह, श्रोता हुए मंत्रमुग्ध
इंडिया न्यूज, नागपुर : उपराजधानी के संगीत प्रेमियों के लिए बुधवार की शाम अद्भुत, यादगार व बेमिसाल रही। अवसर था 9वें लोकमत सुर ज्योत्सना राष्ट्रीय संगीत पुरस्कार की सुरमयी शाम का। रेशमबाग स्थित कविवर्य सुरेश भट सभागृह में आयोजित इस समारोह में गीत-संगीत क्षेत्र के उभरते कोहिनूरों ने कुछ ऐसा समा बांधा कि हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद प्रफुल्ल पटेल, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री व विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस, द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन, एक्सीस बैंक की उपाध्यक्ष अमृता फडणवीस, लोकमत समूह के एडिटोरियल बोर्ड के चेयरमैन व पूर्व सांसद विजय दर्डा, लोकमत समूह के एडिटर इन चीफ राजेंद्र दर्डा की प्रमुख उपस्थिति में हुए समारोह में युवा गायिका शाल्मली सुखटणकर व युवा सितार वादक मेहताब अली नियाजी को 9वां सुर ज्योत्सना राष्ट्रीय संगीत पुरस्कार प्रदान किया गया।
पुरस्कार के रूप में एक लाख रुपए का चेक, स्मृतिचिह्न व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री हंसराज अहिर, राज्य के पूर्व मंत्री व विधायक चंद्रशेखर बावनकुले, ब्राइट आउटडोर मीडिया प्रा.लि. के सीएमडी योगेश लखानी, जलगांव के पूर्व महापौर रमेशदादा जैन समेत सुर ज्योत्सना संगीत पुरस्कार की ज्यूरी के प्रख्यात गायक रूपकुमार राठोड़, पं. शशि व्यास, टाइम्स म्युजिक की गौरी यादवड़कर, लोकमत सखी मंच की अध्यक्ष आशु दर्डा, लोकमत समूह के प्रबंध निदेशक देवेंद्र दर्डा प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
शाल्मली व मेहताब ने बिखेरी गीत-संगीत की सप्तरंगी छटा
लिडियन नादस्वरम के बाद इस साल की लोकमत सुर ज्योत्सना राष्ट्रीय संगीत पुरस्कार विजेता युवा गायिका शाल्मली सुखटणकर ने अपनी मखमली आवाज से हर मन को जीत लिया। उन्होंने जरा-सी आहट होती ……., लग जा गले ……., संवार लूं……, निगाहें मिलाने को दिल चाहता है……. और मराठी गीत आयुष्य हे कांदेपोहे…. प्रस्तुत कर श्रोताओं को अपनी गायन कला का परिचय कराया।
भिंडी घराने के संगीत साधक युवा सितार वादक मेहताब अली नियाजी ने राग मिश्र खमाज व राग मालिका की प्रस्तुति देकर संगीत प्रेमियों के दिलों में अपनी अनूठी छाप छोड़ी। उनके साथ तबले पर प्रख्यात तबला वादक ओजस अढ़िया ने साथ दिया।
लोकमत सुर ज्योत्स्रा पुरस्कार की देशभर में पहचान
ज्योत्स्रा दर्डा सुरों की साधक थीं. उन्होंने स्वरों के माध्यम से अनेक को संस्कारित किया। वे अति कुशल संगठक भी थीं। सखी मंच के माध्यम से महिला शक्ति को प्रोत्साहित किया। 23 मार्च को होने वाले इस कार्यक्रम में हर हाल में आते हैं। कारण लोकमत से दिल का रिश्ता जुड़ा हुआ है। इसके माध्यम से सभी विचार, पक्ष एक मंच पर आते हैं।
लोकमत ने देश की प्रतिभाओं को सम्मानित करने की सराहनीय पहल की है। यह कलाकार भी देश का सम्मान बढ़ा रहे हैं। इससे पहले पुरस्कार जीतने वाले देश का गौरव बन चुके हैं। लोकमत सुर ज्योत्स्रा पुरस्कार ने देश के प्रतिष्ठित पुरस्कार के रूप में पहचान बना ली है। पूरा विश्वास है कि भविष्य में भी यह परंपरा कायम रहेगी।
देश के कलाकारों के अधिकार का मंच
लोकमत सुर ज्योत्स्रा राष्ट्रीय पुरस्कार के हर समारोह में शामिल होता हूं। यह एक भावनात्मक कार्यक्रम है। कला के क्षेत्र से देश के कोने-कोने से हीरों की तलाश कर लोकमत ने उन्हें अधिकार का एक मंच प्रदान किया है। इसके माध्यम से कलाकारों का भविष्य उज्ज्वल करने का कार्य हो रहा है। यह कार्यक्रम अब केवल नागपुर तक सीमित नहीं, इसकी देशभर में चर्चा होती है।
लोकमत सबका, हम सबके : दर्डा
लोकमत समूह एडिटोरियल बोर्ड के चेयरमैन व पूर्व सांसद विजय दर्डा ने कहा कि लोकमत सबका है। हम सबके हैं। हम लोकतंत्र व मानवता में विश्वास करते हैं। उन्होंने लोकमत की ओर से पत्रकारिता के क्षेत्र में दिए जाने वाले लोकमत पत्रकारिता पुरस्कार का उल्लेख करते हुए कहा कि पत्रकार की लेखनी मजबूत होनी चाहिए, यह पुरस्कार के पीछे का मुख्य उद्देश्य है।
स्वर कोकिला लता मंगेशकर को याद करते हुए उन्होंने कहा कि देश ही नहीं बल्कि समस्त विश्व की धरोहर जिन्होेंने अपनी आवाज से न जाने कितने लोगों के घर को बसाया। अनेकों के जीवन को आनंदित किया। लता दीदी की जगह कोई नहीं ले सकता, उनकी जगह कोई भर नहीं सकता। आज वे हमारे बीच में नहीं हैं। हम सबने दीदी को खो दिया। दीदी को सभी की ओर से श्रद्धासुमन अर्पित किए। साथ ही उनका आशीर्वाद भी लिया।
यह बड़ी सुखद बात है कि इस बार की ज्यूरी में उनके भाई हृदयनाथ मंगेशकर भी थे। दीदी की बड़ी इच्छा थी कि वे भी इससे जुड़ें। लेकिन तबीयत साथ नहीं दे रही थी। वे जब नागपुर आई थीं तब उन्होंने ज्योत्सनाजी से वादा किया था और कहा था कि वे बहुत अच्छा काम कर रही हैं। आज ही के दिन ज्योत्सनाजी हम सबको छोड़कर चली गर्इं। उनके जाने से जो कमी निर्माण हुई थी, वह कमी संगीत और संगीत साधकों से पूरी हुई है।
यह पुरस्कार मेरी अर्धांगिनी व मेरी शक्ति ज्योत्सना की स्मृति में स्थापित किया गया है, लेकिन इसके पीछे एक भावना यह भी थी कि वह संगीत की एक उपासक थीं। हमारे ससुराल पक्ष में अनेक लोग संगीत प्रेमी हैं। उनके रोम-रोम में संगीत बसा है। जो संगीत से जुड़ा है, वह सही मायने में जीवन से जुड़ा है।
संगीत से जुड़े हैं अर्थात मन से जुड़े हैं और मानवता से जुड़े हैं. हमारी ज्यूरी नाम नहीं देखती। यह देखती है कि वह कौन है। मात्र 15 साल के लिडियन नादस्वरम इसी से सामने आए हैं. इस बार के अवॉर्ड के लिए युवा सितार वादक मेहताब अली, गायिका शाल्मली सुखटणकर का चयन होने पर उन्होंने खुशी जताई।
सुर ज्योत्सना राष्ट्रीय संगीत पुरस्कार के नौवें संस्करण की विजेता नवोदित गायिका शाल्मली सुखटणकर और प्रसिद्ध सितार वादक मेहताब अली नियाजी को विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल के हाथों नागपुर के सुरेश भट सभागृह में बुधवार शाम आयोजित शानदार समारोह में सम्मानित किया गया।
इस दौरान बाएं से प्रसिद्ध गायक रूपकुमार राठौड़, विधायक चंद्रशेखर बावनकुले, लोकमत समूह के एडिटोरियल बोर्ड के चेयरमैन व पूर्व सांसद विजय दर्डा, द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन, लोकमत समूह के एडिटर इन चीफ राजेंद्र दर्डा, लोकमत सखी मंच की अध्यक्ष आशु दर्डा, एक्सिस बैंक की वाइस प्रेसिडेंट अमृता फडणवीस, लोकमत समूह के प्रबंध निदेशक देवेंद्र दर्डा, पूर्व केंद्रीय मंत्री हंसराज अहीर, ब्राइट आउटडोर मीडिया प्रा. लि. के चेयरमैन योगेश लखानी, जलगांव के पूर्व महापौर रमेश जैन के साथ जूरी टीम की गौरी यादवडकर, पं. शशि व्यास।
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