Ahoi Ashtami Vrat 2021 What To Do in Fever बुखार में ऐसे रखें अहोई माता का व्रत
सर्दियों की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में मौसम भी ठंडा है। वायरल के कारण काफी लोग सर्दी और जुकाम के साथ-साथ बुखार से पीड़ित हैं। आज हम आपको बताएंगे कि अगर आपको बुखार हो गया है तो आप अहोई अष्टमी 2021 का व्रत कैसे रखें?
बुखार में भी कर सकती हैं पूजा
इसमें घबराने की बात नहीं है। अगर आपको हलका बुखार है तो चिंता न करें। आप अगर व्रत रख सकें तो रख लें नहीं तो अपनी सास, ननद या जेठानी से कह कर व्रत करवा दें। क्योंकि अहोई अष्टमी का व्रत हर घर में रखा जाता है इसलिए जो भी पारिवारिक सदस्य व्रत रख रहा होगा वह आपकी संतानों के लिए भी व्रत रख लेगा।
अहोई माता की करें पूजा
भले ही आपको बुखार है, आप व्रत का पालन कर सकती हैं। अगर आपको लग रहा है कि एक दिन पहले से तबीयत खराब है तो सुबह आप दवा लेकर आराम कर लें और माता का स्मरण करती रहें। शाम को आप पूजा के बाद व्रत खोलकर दवा का सेवन कर सकती हैं। अगर आपकी तबीयत ज्यादा खराब है तो आपको तुरंत डाक्टर के पास जाना चाहिए और दवा व सलाह लेनी चाहिए ताकि आपको तुरंत आराम मिल सके।
अहोई अष्टमी पर कौन से फलों का सेवन करें?
अहोई अष्टमी पर आपको मौसमी फलों का ही इस्तेमाल करना चाहिए। सर्दियों की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में बाजार में सेब, केले, अनार, सीता फल आदि फलों की बहार है। हम आपको बताएं कि अहोई अष्टमी व्रत 2021 में आपको कौन-कौन से फलों का सेवन करना चाहिए?
मौसमी फलों का सेवन सर्वोत्तम
इस समय बाजार में सेब, केला, अनार, मौसमी, सीता फल, सिंघाड़े, आदि प्रचूर मात्रा में उपलब्ध हैं। इस दौरान आप इन फलों का सेवन व्रत में कर सकती हैं।
अहोई माता को कौन से फल चढ़ाएं?
अहोई माता को पार्वती माता का ही रूप माना जाता है। ऐसे में आप अहोई माता को मौसमी फलों के साथ-साथ सिंघाड़े, शकरकंदी, गन्ना जरूर चढ़ाएं। इससे मां प्रसन्न होंगी और आपकी और आपकी संतान की रक्षा करेंगी।
अहोई अष्टमी प्रसाद के पारंपरिक लाभ क्या हैं?
हर वर्ष अहोई अष्टमी का व्रत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस बार अहोई अष्टमी 28 अक्टूबर को है। ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि अहोई अष्टमी माता के प्रसाद का पारंपरिक क्या लाभ है। इस बारे में ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू कहते हैं कि अहोई माता का व्रत सर्वोत्तम माना गया है। इस कारण इस व्रत के प्रसाद का महत्व भी अलग ही है। क्योंकि यह व्रत माताएं अपनी संतान के लिए रखती हैं इसलिए यह और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। हम आपको बताएंगे कि आखिर क्या महत्व है इस प्रसाद का।
पारंपरिक प्रसाद का क्या महत्व है?
अहोई माता के व्रत में माता को चढ़ाए जाने वाले फल-फूल और मिष्ठान को अगले दिन बच्चों में बांटे जाने का प्रावधान है। माता को जो फल अर्पित किए जाते हैं उन्हें माताएं और बच्चे ही सेवन करते हैं। फूलों को आप अपनी अल्मारी में रख सकते हैं। बाकी के बचे हुए फूलों और मालाओं को बहते जल में प्रवाहित कर दें।
अहोई अष्टमी व्रत के अगले दिन अंडे या नॉनवेज खा सकते हैं?
इस बार अहोई अष्टमी 28 अक्टूबर को है। इस संबंध में पाठकों के बहुत से सवाल हमारे पास आ रहे हैं। ऐसे ही एक पाठक ने हमसे पूछा है कि क्या अहोई अष्टमी व्रत के अगले दिन अंडे या नॉनवेज का सेवन किया जा सकता है?
इस पोस्ट में हम आपके सवालों के जवाब विद्वानों द्वारा देंगे ताकि आपको किसी प्रकार की दुविधा न हो।
परहेज रखना उचित होगा
अगर आपने अहोई माता का व्रत रखा है तो आपको नॉनवेज का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि आप गुरुवार को अहोई माता का व्रत रखेंगी और अगले दिन अंडे आदि का सेवन करना चाहती हैं तो यह उचित नहीं होगा। दिवाली तक अहोई माता की माला और पूजा का प्रावधान है। इस बारे में ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू कहते हैं कि शास्त्रों के अनुसार व्रत के पहले और बाद में मांस आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। दिवाली तक व्रत की मान्यता है। ऐसे में आप जितना हो सके इससे बचें और मन में भी ऐसे विचार न आने दें।
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