Alkaline Diet Benefits
शरीर की एसिडिक कंडीशन को अल्कालिन में बदलना आवश्यक।
कोई भी रोग हो चाहे कैंसर भी, Alkaline वातावरण में पनप नहीं सकता।
सिर के बाल से पैर तक के हर रोग को सही करने का सबसे सही रास्ता है शरीर को अल्कालिन कर लेना।
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हमारे शरीर की सामान्य Ph 7.35 से 7.41 तक होना चाहिए।
अगर हम अपने शरीर के अन्दर पाए जाने वाले विभिन्न द्रव्यों की PH को Alkaline की तरफ लेकर जाते हैं। तो हम बहुत सारी बीमारियों के मूल कारण को हटा सकते हैं।
हर तरह के कैंसर सिर्फ Acidic Environment में ही पनपते हैं।
कैंसर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में Fermentation होता है और लैक्टिक एसिड बनता है जो Acidic Environment पैदा करता है। वहां पर मौजूद ग्लूकोस लैक्टिक एसिड में बदलना शुरू हो जाता है।
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दूसरा उदहारण है– गठिया रोग मे रक्त मे यूरिक एसिड* की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे रक्त एसिडिक होना शुरू हो जाता है। अगर हम ऐसी डाइट खाएं जिससे हमारा पेशाब अल्कालिन हो जाए तो ये बढ़ा हुआ यूरिक एसिड अल्कालिन पेशाब में आसानी से बाहर निकल जायेगा।
तीसरा उदहारण है — UTI जिसको Urinary tract infection कहते हैं, इसमें मुख्य रोग कारक जो बैक्टीरिया है वो E.Coli है, ये बैक्टीरिया एसिडिक वातावरण में ही ज्यादा पनपता है। इसके अलावा Candida Albicanes नामक फंगस भी एसिडिक वातावरण में ही ज्यादा पनपता है। इसीलिए UTI तभी होते हैं जब पेशाब की PH अधिक एसिडिक हो।
किडनी की समस्या मुख्यतः एसिडिक वातावरण में ही होती है, अगर किडनी का PH हम अल्कालिन कर देंगे तो किडनी से सम्बंधित कोई भी रोग नहीं होगा। मसलन क्रिएटिनिन, यूरिक एसिड, पत्थरी इत्यादि समस्याएँ जो भी किडनी से सम्बंधित हैं वो नहीं होंगी।
आजकल हम जो भी भोजन कर रहें हैं वो 90 प्रतिशत तक एसिडिक ही है बहुत दवा खायी मगर फिर भी आराम नहीं हो रहा। तो उन सबका मुख्यः कारण यही है कि शरीर का एसिडिक हो जाना। इसीलिए हमारे हर इलाज मे परहेज, हमारे हिसाब से बताना आवश्यक है।
विषेश – पाचनतंत्र को मजबूत किए बिना शरीर को अल्कालिन करना केसे संभव है। हाजमोला या अन्य चूर्ण खा कर पेट साफ करने से शरीर अल्कालिन बनना मुश्किल है।
इसके लिए ज़रूरी क्षारीय सामान
1 नीम्बू,
25 ग्राम खीरा,लोकी
5 ग्राम अदरक,
21 पोदीने की पत्तियां,
21 पत्ते तुलसी,
आधा चम्मच सेंधा नमक,
चुटकी भर मीठा सोडा।
इन सभी चीजों को छोटे छोटे टुकड़ों में काट लीजिये, निम्बू छिलके के साथ ही। एक कांच के बर्तन में डेढ़ गिलास पानी के साथ इन सब चीजों को डाल दीजिये। पूरी रात इस पानी को ढक कर पड़ा रहने दें। इन सभी चीजों को हाथों से अच्छे से मसल लीजिये और फिर इसको छान कर पीजिये सुबह खाली पेट।
चाय, कॉफ़ी, चीनी बन्द। अगर आप किसी बडे रोग से ग्रस्त हैं तो ये अल्कालिन पानी एक कप से ही शुरुआत करे। मात्र दस दिनों मे फर्क दिखाई देगा।
एप्पल साईडर विनेगर भी काम करता है पर कुछ कम।
खाने वाले चूने के पानी की दो तीन बूंदे एक लिटर पिने के पानी मे डाले। यही काम करती है, कुछ कम।
आयुर्वेदिक जडी बुटीयो वाला गोमूत्र खुद भी अल्कालिन ही है। जब चमडी पर विधि द्वारा लेप किया जाता है तो शरीर के अंदर के एसीड को बाहर निकालना शुरू कर देता है।
हार्ट किडनी लिवर व अन्य सभी मे सुधार आता है। इसी वजह से शरीर के हर अंग के सभी रोग आराम से ठीक हो रहे हैं। 26 जडी बुटीया व 18 खनिजो की ताकत भी शरीर को मिलती है।
पसीना आने तक कम से कम कपडो मे धूप का सेवन भी शरीर को अल्कालिन करता है। पर धिरे धिरे।
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