4 जनवरी को दुनिया की पहली कंपनी बनी ‘एप्पल’, 224 लाख करोड़ रुपये का मार्केट वैल्यू पार
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Apple Success Story in Hindi किसी भी बड़ी कंपनी का नाम लेते ही सबसे पहले लोगों के जहन में उस कंपनी के लोगो की तस्वीर आती है। क्योंकि हर कंपनी की पहचान उस कंपनी के ‘लोगो’ से होती है। ऐसा होना लाजमी है क्योंकि हर ब्रांड की पहचान उसका लोगो है। लोगो कंपनी का आइकन कहलाता है। उन्हीं में से एक है ‘एप्पल’ कंपनी।
एप्पल कंपनी का नाम लेते ही जहन में उसके लोगो यानी कटे सेब की तस्वीर आती है। चार जनवरी 2022 को एप्पल दुनिया की पहली कंपनी बन गई, जिसने तीन ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 224 लाख करोड़ रुपए के मार्केट कैप यानि मार्केट वैल्यू को पार कर लिया है। एप्पल की वैल्यू भारत समेत 198 देशों की (जीडीपी) से भी ज्यादा हो गई है। (Apple Success Story in Hindi)
अमेरिकी कंपनी एप्पल की स्थापना एक अप्रैल 1976 को हुई। कंपनी की स्थापना स्टीव जॉब्स, स्टीव वोजनियाक और रोनाल्ड वेन ने की थी। शुरूआत में इनका मकसद पर्सनल कंप्यूटर बनाना था। स्थापना के एक साल बाद 1977 में कंपनी का नाम ‘एप्पल इंक’ रखा गया था। समय तकनीक के साथ-साथ एप्पल की पहचान भी समय-समय पर बदलती रही।
हलांकि 1976 में शुरू हुई एप्पल कंपनी ने अगस्त 2018 में एक ट्रिलियन डॉलर का मुकाम पाया था। दो साल बाद यानी अगस्त 2020 में कंपनी ने दो ट्रिलियन डॉलर मार्केट कैप को पार किया और महज 16 माह (2022) में इसने तीन ट्रिलियन डॉलर को छुआ है। (Apple Success Story in Hindi)
दरअसल, ये उस दौर की बात है जब छह रेफ्रिजरेटर के बराबर एक कंप्यूटर हुआ करता था। स्टीव जॉब्स और स्टीव वोजनियाक नाम के दो दोस्तों को ये बात अखरती थी। वो ऐसा कंप्यूटर बनाना चाहते थे, जिसे लोग अपने घर या आफिस में आसानी से रख सकें।
स्टीव जॉब्स के गैराज में दोनों ने ऐसा कंप्यूटर बनाने का काम शुरू किया। 1976 में उनकी मेहनत रंग लाई और एप्पल-वन बनकर तैयार हुआ। एक अप्रैल 1976 को जब इसे लॉन्च किया गया तो न इसमें मॉनिटर था, न कीबोर्ड और न ही डब्बा। 1978 में एप्पल-2 लॉन्चिंग ने तो कंप्यूटर इंडस्ट्री में क्रांति ला दी। कंपनी की सेल दो साल में सात मिलियन डॉलर से बढ़कर 117 मिलियन डॉलर हो गई। (Apple Success Story in Hindi)
1983 में स्टीव वोजनियाक की रुचि कम होने लगी और उन्होंने कंपनी छोड़ दी। इसके बाद स्टीव जॉब्स ने पेप्सिको को जॉन स्कली को हायर कर लिया। हालांकि, ये कदम उलटा साबित हुआ और 1985 में स्टीव जॉब्स को एप्पल से बाहर जाना पड़ा। कंपनी की कमान जॉन स्कली के हाथों में आ गई।
1990 तक एप्पल कंप्यूटर्स ने खूब मुनाफा कमाया। इसके बाद मार्केट शेयर घटने लगा और कंपनी डूबने लगी। 1997 में बोर्ड मेंबर्स ने स्टीव जॉब्स को कंपनी में वापस लाने का फैसला किया। ये एक टर्निंग पॉइंट था और इसके बाद एप्पल ने कभी मुड़कर नहीं देखा। स्टीव जॉब्स ने कंप्यूटर्स की बिक्री बढ़ाई और आईबुक, आईपॉड, एमपी3 प्लेयर और आईफोन जैसे प्रोडक्ट लॉन्च किए और मार्केट लीडर बन गए। (Apple Success Story in Hindi)
ब्रायन मर्चेंट ने ‘द वन डिवाइस : द सीक्रेट आफ द आईफोन’ नाम से एक किताब लिखी है। इसके मुताबिक आईफोन बनाने का आइडिया सिर्फ स्टीव जॉब्स को पता था और उन्होंने यह बात किसी से शेयर नहीं की थी।
स्टीव जॉब्स ने इस प्रोजेक्ट का नाम ‘प्रोजेक्ट पर्पल’ रखा था। इसके लिए कूपरटिनो में एक बिल्डिंग को लिया गया। इस बिल्डिंग के पास रहने वाले लोगों को भी नहीं पता था कि इसमें क्या काम चल रहा है। प्रोजेक्ट पर्पल में शामिल टीम के लोगों को भी इस बारे में नहीं पता था कि वे किस फाइनल प्रोडक्ट पर काम कर रहे हैं।
3 साल की मेहनत के बाद जनवरी 2007 को स्टीव जॉब्स सैन फ्रांसिस्को के मॉस्कॉन सेंटर में दुनिया का पहला आईफोन लॉन्च किया। लॉन्च के समय इंजीनियर्स नर्वस और डरे थे, क्योंकि जॉब्स स्टेज पर दुनिया के सामने पहला आईफोन पेश कर रहे थे और अगर डिवाइस में कोई गड़बड़ी हुई या डेमो दिखाते समय फोन ठीक से परफॉर्म नहीं कर पाया तो बाद में उन्हें जॉब्स के गुस्से का शिकार होना पड़ता।
जनवरी 2007 में आईफोन लॉन्चिंग के बाद से अब तक एप्पल के शेयर में 5800 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। टिम कुक ने वीडियो स्ट्रीमिंग और म्यूजिक सर्विस की तरफ रुख किया। इससे आईफोन पर निर्भरता कम हुई है। 2018 में एप्पल का 60 फीसदी रेवेन्यू आईफोन से आता था, जो अब घटकर 52फीसदी हुआ है। हालांकि, सितंबर में खत्म होने वाले कारोबारी साल में आईफोन की बिक्री 192 बिलियन डॉलर की थी, जो एक साल पहले की तुलना में लगभग 40फीसदी ज्यादा है।
अगस्त 2011 में स्टीव जॉब्स ने एप्पल कंपनी से इस्तीफा दे दिया और उसी साल अक्टूबर में कैंसर से उनकी मौत हो गई। कंपनी की कमान टिम कुक ने संभाली। कुक ने 2015 में एप्पल वॉच, 2016 में एयरपॉड्स लॉन्च किए। 2018 में कंपनी ने पहली बार एक ट्रिलियन डॉलर की मार्केट कैप को पार किया। दो साल बाद दो ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार किया। तीन जनवरी 2022 को एप्पल तीन ट्रिलियन डॉलर की मार्केट कैप हासिल करने वाली दुनिया का पहली कंपनी बन गई। (Apple Success Story in Hindi)
कई सालों तक एप्पल के लोगो को लेकर ये कहानी प्रचलित थी- एलन मैथसिन ट्यूरिंग नाम के एक कम्प्यूटर साइंटिस्ट थे, जिन्होंने जर्मन कोड तोड़ने की मशीन बनाई थी। इस मशीन का नाम ‘ट्यूरिंग मशीन’ था। ऐसा कहा जाता है एलन पर सरकार ने कई जुल्म किए थे। उनको मानसिक प्रताड़ित किया गया। जिससे एलन ने खुदकुशी कर ली। यह सुनने में आता है कि उन्होंने सेब को साइनाइड में रखा और सुबह उठकर उसको खा लिया और बाकी बचे सेब को टेबल पर रख दिया। टेबल पर रखा सेब ही एप्पल का ही लोगो बन गया।
एप्पल के को-फाउंडर स्टीव वोजनियाक ने 2006 में अपनी किताब में इस कहानी को बेबुनियाद बताया और एप्पल के नाम और लोगो का असली किस्सा बताया। किताब के मुताबिक, ‘मैं और जॉब्स हाइवे पर सफर कर रहे थे। हमने कंपनी के नाम की बात छेड़ी। स्टीव जॉब्स उस समय ओरेगॉन से आ रहे थे जिसे सेब का बगीचा कहा जाता है। उन्होंने कहा एप्पल कंप्यूटर कैसा रहेगा? हमें इससे बेहतर कोई और नाम नहीं मिला।’
एप्पल का पहला लोगो रोनाल्ड वेन ने डिजाइन किया। स्टीव जॉब्स इससे खुश नहीं थे और उन्होंने रॉब जैनोफ को हायर किया। 1977 में एप्पल का आइकॉनिक लोगो सामने आया, जो आज तक चल रहा है। कटा हुआ सेब इसलिए लिया गया, जिससे लोग इसे बेर न समझ लें।
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