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‘Artificial Pancreas’ के जरिए बॉडी में पहुंचेगा जरूरी इंसुलिन

Artificial Pancreas : कोविड महामारी के बाद, डायबिटीज की बीमारी ने बड़ी तेजी से अपने पैर पसारने शुरू कर दिए है। आंकड़े बताते हैं कि इन दिनों भारत में 40 साल से ज्यादा उम्र वाले 20 फीसदी लोग डायबिटीज का शिकार हो चुके हैं। वहीं, अब तो 30 साल की छोटी सी उम्र में लोगों को डायबिटिज जैसी ऐसी बीमारी अपने गिरफ्त में ले रही है, जिसे कभी बुजुर्गों की बीमारी कहा जाता था। बदलते लाइफस्‍टाइल और फूड पैटर्न के साथ यह बीमारी भी लगातार गंभीर होती जा रही है। पूरी दुनिया में आज डायबिटीज से 42 करोड़ से ज्यादा लोग पूरी लाइफ दवाई खाने के लिए मजबूर हैं।

डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिसके लक्षण शुरूआती दौर में नहीं आते हैं। डायबिटीज के लक्षण तभी नजर आते हैं, जब यह बीमारी आपको अपनी गिरफ्त में ले लेती है। लिहाजा, उम्र 30 वर्ष के पार जाते ही, हम सबको निश्चित समयावधि में अपनी जांच कराते रहना चाहिए। यह बेहद सामान्‍य और मामूली खर्च में होने वाली जांच है, लिहाजा हमें इससे परहेज नहीं करना चाहिए। अगर हम बात इसके इलाज की करें, तो इस पर लगातार वैज्ञानिक प्रयोग भी हो रहे हैं। इसी फेहरिस्त में डायबिटीज के लिए सेल थेरेपी, कृत्रिम अंग और वैक्सीन पर रिसर्च जारी है। (Artificial Pancreas)

सेल थेरेपी (Artificial Pancreas)

टाइप-1 डायबिटीज के इलाज के लिए साइंटिस्ट सेल थेरेपी विकसित करने की कोशिश में जुटे हैं। वैज्ञानिक बॉडी में खत्म हो चुकी इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को कृत्रिम कोशिकाओं से बदलने पर काम कर रहे हैं। इसके लिए अमेरिका में डीआरआई यानी डायबिटीज रिसर्च इंस्टीट्यूट एक बायोइंजीनियर्ड मिनी-ऑर्गन विकसित कर रहा है।

आर्टिफिशियल पैंक्रियाज

टाइप 1 डायबिटीज में हमारा इम्यून सिस्टम, शरीर में इंसुलिन बनाने वाले अंग पैंक्रियाज पर हमला कर देता है और उसके सारे सेल्स को नष्ट कर देता है। इस स्थिति में आपका शरीर शुगर पचा नहीं पाता और आप टाइप 1 डायबिटीज के शिकार हो जाते हैं। अब कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में आर्टिफिशियल पैंक्रियाज विकसित करने पर काम चल रहा है। ये एक तरह की ऑटोमेटेड डिवाइस है, जो शरीर में ग्लूकोज के लेवल का पता लगाएगी और जरूरी मात्रा में इंसुलिन ब्लड में इंजेक्ट करेगी। (Artificial Pancreas)

डायबिटीज की वैक्सीन

डायबिटीज की वैक्सीन पर भी काम चल रहा है. फ्रांस की कंपनी निओवाक्स डायबिटीज के लिए टीका विकसित कर रही है, जो कि प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम को मजबूत करेगी। ये उस प्रोटीन के लेवल को कम करने में सहायक होगी जो ऑटोइम्यून बीमारियों का कारण बनता है। यानी जब हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम हमारी स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर देता है तो इसे ऑटोइम्यून डिजीज कहा जाता है। किसी भी बाहरी (वायरस, बैक्टीरिया) हमले से हमें बचाने के लिए हमारा इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी बनाता है, लेकिन कई बार इसमें गड़बड़ी के चलते यह स्वस्थ कोशिकाओं को बाहरी तत्व समझकर उन पर भी हमला कर देता है। (Artificial Pancreas)

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Sameer Saini

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