इंडिया न्यूज़ (दिल्ली, Arvind kejriwal reaction on Anna hazare letter): दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा की भारीतय जनता पार्टी अन्ना हज़ारे का इस्तेमाल उनपर निशाना साधने के लिए कर रही है.
दिल्ली के सरिता विहार में अस्पताल के निर्माण का जायजा लेने के बाद मीडिया से बात करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा की “वे (भाजपा) कहते रहे हैं कि शराब नीति में घोटाला है, लेकिन सीबीआई ने कहा कि कोई घोटाला नहीं है। जनता उनकी नहीं सुन रही है। अब ये अन्ना हजारे जी के कांधे पर रख के बंदुक चला रहे हैं। राजनीति में यह आम बात है”
अरविन्द केजरीवाल ने आगे कहा की “जब हम सार्वजनिक जीवन में आते हैं, तो हमें किसी भी जांच के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। सीबीआई ने अपनी सभी जांच पूरी की। मनीष सिसोदिया से 14 घंटे तक पूछताछ की। उन्होंने उनके सवालों का संतोषजनक जवाब दिया। उन्हें उनके लॉकर में कुछ भी नहीं मिला। इसलिए, उन्हें एक अनौपचारिक क्लीन चिट दे दी गई है। अब जबकि सीबीआई जांच में कुछ नहीं मिला तो, इसमें कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। अब इस बात की जांच होनी चाहिए कि वे दिल्ली में विधायकों को 20-20 करोड़ रुपये में कैसे खरीदना चाहते थे, अगर हम इससे नहीं भागे, तो वे क्यों करें”
इस से पहले अन्ना हज़ारे ने अरविन्द केजरीवाल को एक पत्र लिखा था, इसमें अन्ना हज़ारे ने कहा था की “आपके मुख्यमंत्री बनने के बाद यह पहली बार है जब मैं आपको लिख रहा हूं। शराब घोटाले पर दिल्ली सरकार के बारे में हालिया खबर निराशाजनक है। मैं गांधीजी और उनकी विचारधारा से प्रेरित हूं। इसके आधार पर, मैं मैंने अपना जीवन लोगों, समाज और देश को समर्पित कर दिया है। पिछले 47 वर्षों से मैं समाज के उत्थान और भ्रष्टाचार की दिशा में काम कर रहा हूं।”
अन्ना हज़ारे आगे लिखते है की “आपने ‘स्वराज’ नाम की किताब लिखी थी जिसमें आपने आदर्शों के बारे में लिखा था। तब आपसे बहुत उम्मीद थी, लेकिन राजनीति में जाने और मुख्यमंत्री बनने के बाद आप सत्ता के नशे में विचारधारा को भूल गए हैं। लगता है अब आप सत्ता के नशे में डूब गए हो।”
अन्ना हज़ारे ने हजारे ने दिल्ली की नई आबकारी नीति के खिलाफ भी प्रहार किया, उन्होंने कहा कि इस नीति ने शराब की बिक्री और खपत को प्रोत्साहित किया। शहर के कोने-कोने में शराब की दुकानें खोली जा रही थीं और यह आम जनता के लिए बहुत बुरा है.
आपको बता दे की, जब साल 2011 -12 में अन्ना हज़ारे, मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आंदोलन करते थे, तब केजरीवाल को अन्ना हज़ारे के सहयोगी के रूप में पहचान मिली थी, जब राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान हुआ तब अन्ना हज़ारे ने पार्टी में शामिल होने से मना कर दिया था.
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