योगेश कुमार सोनी, नई दिल्ली:
Beaware of Fraud Websites: आज ऑनलाइन बाजारों का जमाना है और त्योहारों के अवसर पर सभी प्रोडक्टों की छोडी बड़ी कंपनियां बेहतर ऑफर देती हैं लेकिन इस बीच कुछ फर्जी कंपनियां आपको बेहद सस्ते दामों पर सामान का लुभावना ऑफर देते हुए लूटने का काम कर रही है। वह सामान ऑर्डर करने पर कैश ऑन डिलीवरी का विकल्प नहीं देते। सामान की दाम इतने कम होते है जिससे व्यक्ति लालच में पहले ही ऑनलाइन पेमेंट कर देता है।
www.shopingtime.in नामक इस वेबसाइट ने करीब 600 करोड़ का घपला किया है। यह कंपनी पिछले एक महीने से सभी सोशल माध्यम पर बेहद महंगी चीजों को मात्र 100 रुपये में दे रही थी जिस पर लोगों ने जमकर शॉपिंग की लेकिन पिछले सप्ताह इस वेबसाइट का नामोनिशान ही गायब हो गया अर्थात खोलने पर एरर लिखा आ रहा है। हालांकि ऐसी बहुत कंपनियां है लेकिन सबसे बड़ा घपला “शॉपिंग टाइम” ने ही किया है। कभी-कभी कुछ वेबसाइटों से कई बार नकली प्रोडक्ट भी आ जाते जिसको कंपनी मानने को राजी नहीं होती।
कई बार कुछ लोगों ने शिकायत की थी कि उनको मोबाइल की जगह केवल डमी या खाली डिब्बा ही मिला। हालांकि कंपनियां ऐसी शिकायतों पर अपना पलड़ा झाडकर डिलीवरी ब्वॉय पर आरोप लगा देती हैं लेकिन अंत में नुकसान ग्राहक का ही होता है। बीते दिनों मुंबई पुलिस कुछ छोटी-मोटी फर्जी वेबसाइटों के मालिकों जिन्होनें कुछ लाखों का फजीर्वाड़ा किया था उन्हें गिरफ्तार करते हुए कहा था ‘डिस्काउंट के चक्कर में कहीं आपका अकाउंट खाली न हो जाए।’ इसलिए ऑनलाइन शॉपिंग करते वक्त केवल विश्वसनीय साइट्स को चुनें। यदि आपको किसी अनजान माध्यम से डिस्काउंट और अन्य लुभावने ऑफर मिल रहे हैं तो उस लिंक को क्लिक न करें।ह्य
आज हमारा समाज एक ऐसी दिशा की ओर जा रहा है जहां हर रोज लालच व आलस का शिकार होता जा रहा है। हमें ऑनलाइन बाजारों ने अपाहिज बना दिया। इसमें अधिकतर विदेशी कंपनियां भी हैं। आज हम अपने घरेलू व देसी बाजारों को छोड़कर ऑनलाइन शॉपिंग की ओर चले तो गए लेकिन घूम-फिरकर इसका नुकसान हमें ही हो रहा है। टैक्स के रुप में दिया गया पैसा देश में न जाकर विदेशों में जा रहा है। मार्मिक व धार्मिक स्तर पर यदि हम थोड़ी देर सोचे तो घरेलू बाजारों से सामान लेने से लाखों मजदूर व कारीगरों का पेट भरता है।
बाजारों से खरीदारी न करने से कई लोग गरीबी के चलते आत्महत्या तक कर लेते हैं। बहरहाल, इस मामले में एक बात यह भी समझनी चाहिए कि आखिर इस तरह की कंपनियों का विज्ञापन फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर व अन्य सोशल माध्यम पर कैसे आ जाता है। ऐसी घटनाओं को लेकर विश्व प्रचलित सोशल माध्यमों की गंभीरता पर भी कई सवालिया निशान खडे हो जाते हैं। कुछ इस तरह की चीजें देश के नामचीन अखबारों व वेबसाइटों में देखने को मिलती है।
आजकल दिल्ली से नोएडा व राजनगर के कुछ बिल्डर जिन प्रोजेक्टों को न देने के लिए जेल में हैं उन ही प्रोजेक्ट का विज्ञापन अभी अखबारों व उनकी वेबसाइटों में आ रहा है जिसके लिए वह जेल में हैं। अधिकतर लोगों को यह लगता है कि देश इतने सम्मानित अखबार में यदि विज्ञापन लगा है तो निश्चित तौर पर सही ही होगा लेकिन ऐसा नही होता। अब तो विश्वसनीयता के नाम पर मार्केट में कुछ नहीं बचा। एक गरीब व मध्यम वर्ग की पूरी जिंदगी का सपना होता है अपना घर बनाना और दिल्ली-एनसीआर के अधिकतर बिल्डर इस सपने को तोड़ने में लगे हुए हैं।
एक आम आदमी पूरी जिंदगी की कमाई लगा देता है अपनी छत को बनाने में और एक जालसाज पल भर में उसकी खुशियां तोड़ देता है। ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले हो या अन्य प्रकार से जालसाजी करने वाले ठगों पर देशद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए चूंकि किसी की आस्था को तोडना भी एक तरह का द्रोह है। ऑनलाइन फ्रॉड की कहानी व किस्से अब नए नही लगते और इनकी खास बात यह है कि जैसे ही इनके तरीके से आप अवगत होते हैं यह तुरंत नया तरीका खोज लेते हैं।
पिछले वर्ष आरबीआई की गाइडलाइन जारी हुई थी यदि ग्राहक किसी भी बैंक साइट या लिंक्ड मर्चेंट वेबसाइट से धोखा खाता है बैंक को अपने ग्राहक पूरा पैसे लौटाना होगा लेकिन शॉपिंग से धोखा खाया हुआ पीड़ित संपर्क कहां और कैसे करे चूंकि यह साइबर क्राइम का मामला है और क्षेत्रीय थाना पुलिस इसमें कुछ भी करने में असक्षम होती हैं। जब तक यह पुलिस इस पर काम करती है तब तक को देश में लाखों लोगों को करोडों रुपयों का चूना लग चुका होता है।
इसके बाद भी जिन लोगों ने इसकी शिकायत दर्ज कराई थी उन सभी को यह कहा दिया गया है थोडे से पैसों के लिए आपको बहुत चक्कर काटने पड़ेंगे। इसमें अशिक्षित के साथ शिक्षित लोग भी चपेट में आए हैं। जज से लेकर बड़े पुलिस अधिकारी तक इसका शिकार हुए हैं।
फ्रॉड करने वालों के पास तरीके तो बहुत हैं लेकिन लोगों पर बचने के लिए विकल्प बहुत कम। क्या इस तरह का साइबर क्राइम करने वालों के लिए शासन-प्रशासन के पास कोई ठोस नीति नहीं है या हैकर्स के पास पुलिस से भी ज्यादा हाईटैक तरीका है जिससे वह आसानी से बच निकलते हैं। बहरहाल, मामला चाहे कुछ भी लेकिन अंत में यही बात समझ में आती है कि सुरक्षा ही बचाव है।
इसके लिए अधिक से अधिक, लोगों को इसके बारे में चेताने के लिए जागरुक होना पडेÞगा और यह काम मीडिया व सरकार द्वारा विज्ञापन या जागरूकता कार्यक्रम करके किया जाना चाहिए। सोशल साइटों से जुड़ना गलत नही हैं चूंकि आज फेसबुक, व्हाट्स एप, ट्विटर व इंस्टाग्राम पर हर कोई जुड़ा है लेकिन इस तरह की फर्जी शॉपिंग वेबसाइटों से बचना होगा।
हाल में चल रहे दिवाली ऑफर के चक्कर में न पड़ें और यदि आपको सामान मंगवाना भी है तो कोशिश कीजिए कैश ऑन डिलीवरी पर सामान मंगवाए चूंकि इससे कम से कम यह तो तय हो जाएगा कि आपका सामान आ रहा है। और जो ऐप व वेबसाइट कैश ऑन डिलीवरी न दें तो समझ जाइये कि वह पूर्ण रूप से फर्जी हैं चूंकि जो पहले पैसे ले लेगा उस वेबसाइट से सामान आने की कोई गारंटी नही होती। ऐसे फजीर्वाड़ा करने वालों से स्वयं और आसपास के लोगों को भी सतर्क करते रहिए।
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