नेचुरोपैथ कौशल :
Benefits Of Chhueemuee : लाजवंती नमी वाले स्थानों में ज्यादा पायी जातीइसके छोटे पौधे में अनेक शाखाएं होती है। इसका वानस्पतिक नाम माईमोसा पुदिका है। संपूर्ण भारत में होने वाला यह पौधा अनेक रोगों के निवारण के लिए उपयोग में लाया जाता है। इनके पत्ते को छूने पर ये सिकुड़ कर आपस में सट जाती है।
इस कारण इसी लजौली नाम से जाना जाता है इसके फूल गुलाबी रंग के होते हैं।
(Benefits Of Chhueemuee)
● लाजवंती का पौधा एक विशेष पौधा है।
● इसके गुलाबी फूल बहुत सुन्दर लगते हैं और पत्ते तो छूते ही मुरझा जाते हैं।
● इसे छुईमुई भी कहते हैं।
आप इसे छूने जाइए इसकी पत्तियां शर्मा कर सिकुड़ जाएंगी, अपने इस स्वभाव की वजह से इसे शर्मिली के नाम से भी जाना जाता है। यह पौधा आदिवासी अंचलों में हर्बल नुस्खों के तौर पर अनेक रोगों के निवारण के लिए उपयोग में लाया जाता है।
(1). पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार छुईमुई की जड़ और पत्तों का चूर्ण दूध में मिलाकर दो बार देने से बवासीर और भगंदर रोग ठीक होता है।
●छुईमुई के पत्तों का एक चम्मच पाउडर दूध के साथ प्रतिदिन सुबह शाम लेने से बवासीर या पाइल्स में आराम मिलता है।
(2). छुईमुई की जड़ और पत्तियों का पाउडर दूध में मिलाकर दो बार देने से बवासीर और भगंदर जैसे रोग में आराम मिलता है।
(Benefits Of Chhueemuee)
(3). डाँग में आदिवासी पत्तियों के रस को बवासीर के घाव पर सीधे लेपित करने की बात करते हैं।
इनके अनुसार यह रस घाव को सुखाने का कार्य करता है और अक्सर होने वाले खून के बहाव को रोकने में भी मदद करता है।
(4). खांसी हो तो लाजवंती के जड़ के टुकड़ों के माला बना कर गले में पहन लो। हैरानी की बात है कि जड़ के टुकड़े त्वचा को छूते रहें बस इतने भर से गला ठीक हो जाता है।
इसके अलावा इसकी जड़ घिसकर शहद में मिलाये।
(Benefits Of Chhueemuee)
(5). इसको चाटने से, या फिर वैसे ही इसकी जड़ चूसने से खांसी ठीक होती है।
(6). इसकी पत्तियां चबाने से भी गले में आराम आता है।
यदि छुईमुई की 100 ग्राम पत्तियों को 300 मिली पानी में डालकर काढ़ा बनाया जाए तो यह काढ़ा मधुमेह के रोगियों को काफी फायदा होता है।
(Benefits Of Chhueemuee)
(7). छुईमुई और अश्वगंधा की जड़ों की समान मात्रा लेकर पीस लिया जाए और तैयार लेप को ढीले स्तनों पर हल्के हल्के मालिश किया जाए तो स्तनों का ढीलापन दूर होता है।
(8). स्तन में गाँठ या कैंसर की सम्भावना हो तो लाजवंती की जड़ और अश्वगंधा की जड़ घिसकर लगाएँ।
(Benefits Of Chhueemuee)
(9). छुईमुई की जड़ों का चूर्ण (3 ग्राम) दही के साथ खूनी दस्त से ग्रस्त रोगी को खिलाने से दस्त जल्दी बंद हो जाती है।
वैसे डाँगी आदिवासी मानते है कि जड़ों का पानी में तैयार काढ़ा भी खूनी दस्त रोकने में कारगर होता है।
(10). छुईमुई की पत्तियों और जड़ों में एंटीमायक्रोबियल, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण होते हैं जिनकी पुष्टि आधुनिक विज्ञान भी करता है और मजे की बात ये भी है कि आदिवासी अंचलों में हर्बल जानकार आज भी त्वचा संक्रमण होने पर इसकी पत्तियों के रस को दिन में 3 से 4 बार लगाने की सलाह देते हैं।
(Benefits Of Chhueemuee)
(11). टांसिल्स होने पर इसकी पत्तियों को पीसकर गले पर लगाने से जल्द ही समस्या में आराम मिलता है।
प्रतिदिन 2 बार ऐसा करने से तुरंत राहत मिल जाती है,
(12). जिन्हें गोईटर की समस्या हो उन्हें भी इसी तरह का समाधान अपनाना चाहिए।
(Benefits Of Chhueemuee)
(13). Uterus या गर्भाशय बाहर आता है तो, पत्तियां पीसकर रुई से उस स्थान को धोएँ।
(14). डाँग गुजरात में आदिवासियों के अनुसार तीन से चार इलायची, छुईमुई की जड़ें 2 ग्राम सेमल की छाल (3 ग्राम) को आपस में मिलाकर कुचल लिया जाए और इसे एक गिलास दूध में मिलाकर प्रतिदिन रात को सोने से पहले पिया जाना चाहिए, यह नपुंसकता दूर करने के लिए एक कारगर फार्मूला है।
(Benefits Of Chhueemuee)
(15). छुईमुई की जड़ों का काढ़ा तैयार कर सर्पदंश होने पर प्रभावित शारीरिक अंग पर लगाने से जहर का असर कम हो जाता है।
कई इलाकों के सर्पदंश होने पर रोगी को इस रस का सेवन भी कराया जाता है।
(16). हृदय या किडनी बढ़ गए हैं और उन्हें नॉर्मल करना है, तो इस पौधे को पूरा सुखाकर, इसके पाँचों अंगों (फूल, पत्ते, छाल, बीज और जड़) ) का 5 ग्राम 400 ग्राम पानी में उबालें।
जब रह जाए एक चोथाई, तो सवेरे खाली पेट पी लें।
(Benefits Of Chhueemuee)
(17). लाजवंती के पत्तों को पानी में पीसकर नाभि के निचले हिस्से में लेप करने से पेशाब का अधिक आना बंद हो जाता है।
पत्तियों के रस की 4 चम्मच मात्रा दिन में एक बार लेने से भी फायदा होता है।
(18). यह पौधा बहुत गुणवान है और बहुत विनम्र भी; तभी तो इतना शर्माता है।
आप भी इसे लजाते हुए देख सकते है।
बस अपने गमले में लगाइए और पत्तियों को छू भर दीजिये।
(Benefits Of Chhueemuee)
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