India News (इंडिया न्यूज), Bharat Ki Shaan: प्रसिद्ध समाजसेवी और अंतर्राष्ट्रीय कारोबारी अनिल कुमार को इंडिया न्यूज़ का प्रतिष्ठित ‘भारत की शान’ पुरस्कार मिला है। ये 30 सालों से सफलता पूर्वक अपना अंतर्राष्ट्रीय व्यापार चला रहे हैं, सादा जीवन उच्च विचार के स्वामी अनिल कुमार जेपी आंदोलन में भी शामिल रह चुके हैं, बिहार के मुजफ्फरनगर में एक अत्यंत साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से जुड़े अनिल कुमार की प्रारंभिक स्कूली शिक्षा सुदूर गांव में हुई, लेकिन भले ही इन्हें छोटा-मोटा काम करना पड़ा, इन्होंने डी लिट तक पढ़ाई स्व-वित्त-पोषित रूप से की।

कैसे और क्यों शुरू किया कारोबार?

अंतर्राष्ट्रीय कारोबारी अनिल कुमार ने जिंदगी का सबक बहुत कठिन तरीके से सीखा। उन्होंने पढ़ाई के साथ छोटी उम्र से ही समाज सेवा में योगदान देना शुरू कर दिया और छोटा-मोटा काम करके इन्हें महसूस हुआ कि बड़े व्यापार से ही ये समाज और देश का भला, व्यापक तौर पर कर सकते हैं। इसलिए, इन्होंने लगभग चार-पांच हजार अमेरिकी डॉलर एकत्र किया और अपना अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय शुरू कर दिया। उनकी पहली अंतर्राष्ट्रीय यात्रा अफ़्रीका के तंजानिया में थी। जहां ये कुछ आलू के चिप्स लेकर गए और वहां बसे एक गुजराती व्यापारी की पत्नी को दे दिया।

शुरुआती डील यह थी कि वह सारे उत्पाद बेचेगी और फिर उन्हें पैसे लौटा देगी। यह एक ऐसी शुरुआत थी जिसके बाद इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज सफलतापूर्वक 250 करोड़ के टर्नओवर के साथ अपना निर्यात व्यवसाय चला रहे हैं। इस वर्ष कंपनी का 100 मिलियन डॉलर कारोबार का लक्ष्य भी है। अनिल कुमार आज अंकिता ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ के सीईओ और अध्यक्ष हैं और एग्रो, हेल्थकेयर और किराना जैसे विभिन्न उत्पादों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और विनिर्माण में काम करते हैं। भारत सरकार की ओर से इनकी कंपनी को स्टार एक्सपोर्ट हाउस का खिताब मिल चुका है, क्रिसिल ने भी रेटिंग दी है-SE 2B। अनिल कुमार प्रतिष्ठित सीआईआई, एसोचैम, एफआईईओ और फिक्की के सदस्य हैं।

समाजसेवा ही जीवन का लक्ष्य

भारत की महिलाओं को सशक्त और शिक्षित करने के उद्देश्य से उन्होंने ‘महेश्वर लक्ष्मी मेमोरियल फाउंडेशन’ नाम से एक एनजीओ शुरू किया है। इन्होंने, बाढ़ के समय बिहार में 150 से अधिक वंचित परिवारों की आर्थिक सहायता भी की है। हर किसी की मदद करने और किसी को भी उपेक्षित महसूस न होने देने के उद्देश्य से, इन्होंने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए बरेली में एक स्कूल की स्थापना की। समाज सेवा की कड़ी में बरेली में ही लाल बहादुर शास्त्री स्कूल में इनका एनजीओ छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से मुफ्त कंप्यूटर शिक्षा प्रदान कर रहा है।

इनकी भविष्य की योजना में सबसे प्रमुख है, स्थानीय आर्य समाज और डॉक्टरों के समूह की मदद से गुजरात में कच्छ के गांधी धाम क्षेत्र के गरीब लोगों, किसानों को मुफ्त डायलिसिस सुविधाएं प्रदान करना। रामकृष्ण मिशन विश्व को अनिल कुमार ने चलती बस से मोबाइल नेत्र उपचार सुविधा दान करने का प्रस्ताव दिया है, इनका उद्देश्य रामकृष्ण मिशन के परिसर में उनकी देखरेख में एक नर्सिंग प्रशिक्षण और अन्य चिकित्सा प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करना है। आज भी इनकी स्वास्थ्य सेवाएं गरीबों के लिए संचालित हैं ।

कोरोना के समय देवदूत की भूमिका

जब दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रही थी तब अनिल कुमार लोगों की मदद करने और प्रवासियों को उनके घर तक पहुंचने में सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध थे। इन्होंने उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली और गुजरात में लोगों को खतरनाक वायरस से बचाने के लिए लॉकडाउन के दौरान कई जरूरी काम किए और सड़क किनारे लगे ठेलों से सैनिटाइजर और पीपीई किट भी लोगों के बीच बांटने का काम किया।

गुजरात के कच्छ में इनके एनजीओ ने आर्य समाज की मदद से कोविड 19 महामारी के दौरान जरूरतमंद लोगों के लिए ऑक्सीजन बैंक शुरू कर दिया। 70 कंसंट्रेटर अस्पतालों को और बाकी 30 कंसंट्रेटर जरूरतमंद मरीजों को मुफ्त वितरित किए। बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के नरकटियागंज के पास बाघा में जहां कोविड महामारी के दौरान एक गांव लगभग नष्ट हो गया था। वहां अनिल कुमार ने अपने एनजीओ के माध्यम से सबसे गरीब लोगों के लिए अस्थायी घर बनाने के लिए बांस और पुआल उपलब्ध कराया। आपदा पीड़ित परिवार के उन सदस्यों को फिर से मिलाने की पूरी कोशिश की है क्योंकि दुर्भाग्य से 7-8 गांवों में कोई पुरुष नहीं बचा था। अनिल कुमार ने इन्हें कुछ कौशल विकास के पाठ भी पढ़ाए ताकि ये सभी आत्मनिर्भर बन सकें ।

भारतीय उत्पादों का विदेश में प्रचार

भारतीय कृषि उत्पादों के साथ-साथ हाल ही में अनिल कुमार की कंपनी ने विदेशों में पूरी तरह से छत्तीसगढ़ के जनजातीय लोगों द्वारा बनाई गई हथकरघा और हस्तशिल्प कला और उत्पादों को प्रदर्शित करने और बेचने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के साथ करार किया है। इंडिया न्यूज पर साक्षात्कार में इन्होंने कृषि के सवाल पर बताया कि बाजरा, मटर और चावल नियमित रूप से निर्यात के माध्यम से विभिन्न विदेशी तटों तक पहुंच रहा है। औषधीय गुणों से युक्त छत्तीसगढ़ के पारंपरिक आदिवासी खाद्य उत्पाद, जो बहुत पौष्टिक हैं, वे भी विभिन्न देशों में भेजे जा रहे हैं।

बिहार में चहुंमुखी विकास चाहते हैं अनिल कुमार

अनिल कुमार ने अपने गृह राज्य बिहार के सम्मान को बढ़ाने का संकल्प लिया है, वह आम गरीब लोगों की स्थिति बेहतर करना हाते हैं। लोगों को बेहतर सुविधाओं और नौकरी के अवसरों के लिए कोशिश करना चाहते हैं। बिहार में चौतरफा विकास चाहने वाले अनिल कुमार बिहार से श्रम बल के पलायन से बहुत दुखी हैं और ये कुछ ऐसा करने की योजना पर काम कर रहे हैं ताकि ये पलायन पूरी रूक जाएं और लोग बिहार में विकास के लिए बिहार में ही रह कर काम करें।

30 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार

अनिल कुमार को अपने पूरे करियर में लगभग 30 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। इन्हीं में से 2011 का एक राष्ट्रीय उद्योग रथ पुरस्कार है। इसी तरह इनको सामुदायिक सेवाओं में निरंतर योगदान के लिए अंतर्राष्ट्रीय सेवा गौरव पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया।

अनिल कुमार को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के साथ भारतीय प्रतिनिधिमंडल के रूप में ग्रीस जाने का सम्मान मिला है साथ ही इन्हें प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान सीआईआई प्रतिनिधिमंडल के रूप में वहां के भारतीय उच्चायुक्त के निमंत्रण पर श्रीलंका में कोलंबो जाने का सम्मान भी मिला है । हाल ही में KEISIE इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, दक्षिण कोरिया द्वारा प्रबंधन में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की डिग्री और कॉन्फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल एक्रिडिटेशन कमीशन (CIAC) से मानद डॉक्टरेट पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

यह भी पढ़ेंः- Heaven of Pakistan: पाकिस्तान का वह अनोखा रहस्यमयी जगह, जानें क्यों 80 साल तक जवान रहती हैं महिलाएं