India News (इंडिया न्यूज़),Bihar News : आने वाले लोकसभा चुनाव में बिहार में बीजेपी की भले ही यह ख्वाइश हो की मंडल से कमंडल की ओर बड़ी हिंदू बिरादरी शिफ्ट हो जाए,पर ऐसा नही होने वाला । महिला आरक्षण के बाद से ही एक बार फिर जातिगत मुद्दे पर राजनीति शुरू हो चुकी है। बीजेपी के बड़े नेता ये जानते है की इंडिया गठबंधन के नीतीश कुमार और लालू यादव स्वर्ण जाति के अच्छे खासे वोट में सेंधमारी कर चुके है।
इन स्वर्ण वोटरों को जेडीयू और आरजेडी से मोह भंग कर अपने खेमे में लाने की तिकड़म में बिहार बीजेपी के नेता फेल है। दो अपर कास्ट के नेताओ का भिड़ना। बीजेपी के नीरज कुमार बबलू जैसे नेता के जले तवे पर रोटी सेंकने की कोशिश कुछ इशारा कर रहा है।
बिहार में स्वर्ण वोटरों की तादाद करीबन पंद्रह फीसदी है। चुनाव सिर पर है, कुछ नेता बस जात के नाम पर ही राजनीति चमकाना चाहते है। ठाकुर का कुआं कविता पर बिहार में सियासी संग्राम मचा हुआ है। आम चुनाव को देखते हुए जातिगत मुद्दे को जल्दी मारे नहीं जायेगे। राजनीति में मुद्दे को दफनाया नही जाता। जिंदा रखा जाएगा। 90 के दशक में जात को लड़ाकर ही वोट बटोरी जाती थी। आरजेडी के अपर कास्ट के सांसद और विधायक आमने-आमने हैं। ये बिहार की सत्ताधारी दल है।
राष्ट्रीय जनता दल खुद को पिछड़ों की हितैषी बताती रही है। जातिगत भावना में भड़काने में माहिर यह दल सांसद प्रोफेसर डॉक्टर मनोज झा के साथ है। आनंद मोहन बीते 16 सालों से सलाखों के पीछे थे। इसी साल 27 अप्रैल को जेल मैनुअल में बदलाव करके नीतीश सरकार ने इन्हें रिहा किया । नीतीश जानते हैं बिहार में सुशासन बाबू की छवि की उतनी ज़रूरत नहीं है। जितनी सवर्ण वोट पाने की ज़रूरत है।
नीतीश कुमार ने राज्य के अंदर दलित और पिछड़े तबके के वोटों के लिए पहले ही सोशल इंजीनियरिंग कर ली, अब सवर्णों का वोट पाने के लिए उन्हें खुश करने की ज़रूरत है। आनंद मोहन सिंह जैसे बाहुबली को रिहा कराना इस ओर बढ़ाया गया नीतीश का पहला कदम था। लंबी बीमारी से दुरुस्त होने के बाद एक बार फिर लालू प्रसाद यादव सक्रिय हैं।
राहुल की बारात सजाना चाहते हैं। लालू के हाथों बने चंपारण मटन का स्वाद चखने के बाद राहुल गांधी और लालू को सत्ता की स्वाद की तलब जागी हुई है । इधर नीतीश भी तैयार हैं। नीतीश जानते है की एनडीए में वेकेंसी नहीं है। पर इंडिया गठबंधन में मौका मिला तो किस्मत चमकी तो सत्ता हाथ में। देश में दो ही मुख्यमंत्री है। जो प्रधानमंत्री के दावेदार है। एक ममता और दूसरे नीतीश खुद। नीतीश के साथ आज लालू भी है। हाल के दिनों में सनातन विरोधी कृत्य और तुष्टिकरण करने में इंडिया गठबंधन के नेता खूब आगे रहे ।
आरोप भी लगा कि इंडिया गठबंधन के लोग साजिश कर हिंदुओं को अपमानित कर रहे हैं। आग में घी का काम किया था तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयगिरि के बयान । इसके बाद लालू प्रसाद यादव खुद मंदिरों में मत्था टेकने निकल चुके थे । झारखंड के बैद्यनाथ धाम, बासुकीनाथ से लेकर सोनपुर के हरिहरनाथ मंदिर और बांके बिहारी मंदिर तक।
जनता के नब्ज टटोलने में माहिर है लालू समझ गए थे की इंडिया के नेताओ के इस बोली से बीजेपी घर में भी बैठी रही तो भी फायदा होगा । सनातन धर्म पर इंडिया गठबंधन के नेताओं की बयान को रोकना भले ही लालू के लिए संभव नहीं था पर बिहार में गठबंधन को कोई नुकसान ना हो इसके लिए सचेत रहना जानते है।
चूल्हा मिट्टी का
मिट्टी तालाब की
तालाब ठाकुर का।पर इस बार जनता किसकी, ये देखना है।
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