India News (इंडिया न्यूज़), Rana Yashwant, Bihar News: बिहार में कानून व्वयस्था की लगातार बिगड़ती स्थिति कई गंभीर सवाल खड़ा कर रही है, अव्वल तो ये कि 19 साल के शासन काल में कानून व्यवस्था को सही करने का एक मजबूत ढांचा आखिर कार मुख्यमत्री नीतीश कुमार तैयार क्यों नहीं कर सके? नीतीश कुमार ने गृह मंत्रालय हमेशा अपने पास ही रखा और दावा यही रहा कि बिहार में सुशासन है, लेकिन मामला पुलिसकर्मियों की कमी का हो, पुलिस महकमे को आधुनिक हथियारों से लैस करने का हो, या थानों को आधुनिक बनाने का हो, या फिर संगठित अपराध के खिलाफ ऑपरेशन चलाने का हो, नीतीश कुमार कोसों दूर दिखते हैं, बिहार में पिछले कुछ दिनों में अपराध की जो घटनाएं हुई हैं, उनसे साफ है कि स्थितियां फिर से खराब दौर में जा रही हैं।
रेस्टोंरेंट मे बदमाशों नें चलाई गोलिया
मुजफ्फरपुर में एक रेस्टोरेंट में आकर बदमाशों ने अंधाधुंध गोलियां चला दीं, एक दो नहीं बल्कि 20 राउंड गोलियां चलाईं और बाइक पर सवार होकर फरार हो गए, रेस्टोरेंट में जो लोग बैठे थे उनकी जान हलक में आ गई, खुद को बचाने के लिए लोग टेबल के नीचे छिप गए, 20 अगस्त को बेगूसराय में रिटायर्ड टीचर की गोली मारकर हत्या कर दी गई, हत्यारे बाइक पर आए और जवाहर राय की पर ताबड़तोड़ गोलियां दाग दीं, मरने वाले के बेटे की ढाई साल पहले हत्या कर दी गई थी, बेटे की हत्या के मुकदमे में जवाहर राय खुद चश्मदीद गवाह थे, कहा जा रहा है कि उनको रास्ते से हटाने के इरादे से ही हत्या की गई।
18 अगस्त को पत्रकार विमल यादव की हत्या
ठीक ऐसा ही केस अररिया में पत्रकार विमल यादव की हत्या का है, 18 अगस्त को विमल को तड़के जगाकर गोली मार दी गई, हत्या के बाद अपराधी आराम से निकल गए, विमल भी अपने भाई की हत्या के केस में गवाह थे, उनकी हत्या का कारण यही माना जा रहा है कि सजा से बचने के लिए आरोपियों ने विमल की हत्या करवाई। जहानाबाद की जो तस्वीरें आई हैं आप देखिए कैसे बदमाश दफ्तर में घुसकर सरकारी अधिकारी को पीट रहे हैं, अपराधियों का मनोबल इतना बढा हुआ है कि पुलिसवाले भी नहीं बच पा रहे हैं, 14 अगस्त को समस्तीपुर में एक एसएचओ की गोली मारकर हत्या कर दी गई, अगर आप आंकड़ा देखें तो पिछले कुछ वर्षों में पुलिस पर अपराधियों के हमले बढे हैं, 2020- 2021 के बीच पुलिस पर 340 बार अपराधियों ने हमले किए, 2022 में इसमें अच्छा खासा इजाफा हुआ, सालभर के अंदर 450 से अधिक बार पुलिस पर हमले हुए, बाकी जिलों को छोड़िए, राजधानी पटना की ही बात करें तो आप देखेंगे कि वहां अपराधियों और माफियाओं का बोलबाला है, राजधानी में औसतन एक हत्या होती है, यह बात मैं नही एक पुलिस के सीनियर अधिकारियों के हवाले से कह रहा हूं।
बालू व शराब माफिया बिहार में सक्रिय
अभी तीन चार दिन पहले पटना जिले में बालू माफियाओं ने खनन विभाग की महिला इंस्पेक्टर दौड़ा दौड़ा कर पीटा, वह भागती रही और बालू माफिया उसे खदेड़ते रहे, महिला अधिकारी सड़क पर गिर गई, तब भी माफिया-गैंग उसे पीटता रहा, आप वीडियो देखिए, कैसे उस महिला को पीटा जा रहा है, खनन विभाग के कई अधिकारी तो ऐसे ही डर जाएंगे, इसी साल फरवरी में छपरा जिले में खनन विभाग के एक अफसर को बालू माफियाओं ने जिंदा जलाने की कोशिश की, खनन विभाग के लोगों को धमकी देने या उन पर हमला करने की घटनाएं अक्सर होती हैं, इसी तरह शराबबंदी के बावजूद शराब माफिया बिहार में सक्रिय है, समूचे प्रदेश में शराब आपको कहीं भी मिल सकती है, एक पूरा नेटवर्क तैयार हो चुका है, पुलिस या तो शराब माफियाओं के साथ मिल चुकी है या फिर डर से नहीं बोल पाती, अभी महीने भर भी नहीं हुआ मोतिहारी में पुलिस थाने से महज पांच सौ मीटर की दूरी पर एक्साइज पुलिस पर शराब माफिया ने हमला कर दिया और उसमें एक होमगार्ड की जान चली गई।
नीतीश कुमार विपक्षी दलों के मोर्चा की कमान संभालने और प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन जब आप एक राज्य के बुनियादी मुद्दे को अठारह साल में दुरुस्त नहीं कर सके तो देश कैसे चलाएंगे? ना बालू माफिया कभी नियंत्रण में आ सका, ना शराबमाफिया का नेटवर्क टूट रहा है और ना ही बढता अपराध रुक रहा है।
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