Blood Clotting Symptoms: अच्छा स्वास्थ्य सभी चाहते है। इसलिए कहा गया है पहला सुख निरोगी काया। खुद को स्वस्थ रखने के लिए हम पौष्टिक आहार का सेवन करते। प्रतिदिन व्यायाम भी करते है लेकिन फिर भी बहुत सी बीमारियां मनुष्य के शरीर में पैदा हो जाती है। जिनका समय रहते इलाज जरूरी है। अगर समय पर उचित इलाज न मिले तो मनुष्य का जीवन खतरे में पड़ जाता है। इसलिए आज हम आपको एक ऐसी की बीमारी के बारे में बता रहे है।
जिसका समय रहते इलाज न कराया जाए तो मनुष्य का जीवन खतरे में पड़ सकता है। हम जिस बीमारी की बात कर रहे है वह है ब्लड क्लॉटिंग। वैसे तो ब्लड क्लॉटिंग शरीर के लिए बेहद अहम है मगर कुछ परिस्थिति में यह जानलेवा साबित हो सकती है। शरीर के लिए ब्लड क्लॉटिंग एक आवश्यक प्रोसेस है जिससे अत्यधिक खून बहने से रुकता है। कभी कभार ब्लड वेसल्स में ब्लड क्लॉटिंग हो जाती है जो आक्सीजन के फ्लो को प्रभावित करती है। यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है इसीलिए इसका इलाज करवाना आवश्यक होता है।
ब्लड क्लॉटिंग को कोएग्यूलेशन भी कहा जाता है। जब कोई इंसान चोट से पीड़ित होता है तब उस जगह पर ब्लड क्लॉट हो जाता है ताकि खून को बहने से रोका जा सके। जब खून बहने से रुक जाता है तब यह खुद ब खुद प्राकृतिक तरीके से टूट जाता है। यह बेहद सरल प्रोसेस है मगर कुछ परिस्थितियों में जानलेवा भी बन सकता है। जब किसी इंसान के ब्लड वेसल्स में ब्लड क्लॉट होने लगता है तब यह ह्रदय और शरीर के अन्य हिस्सों में आॅक्सीजन के प्रवाह को प्रभावित करता है जिससे हार्ट अटैक या स्ट्रोक जैसी समस्या पैदा हो जाती है। इसीलिए विशेषज्ञ यह मानते हैं कि लोगों को इसका इलाज समय रहते करना चाहिए और अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
हाथों और पैरों में क्लॉटिंग (Blood Clotting Symptoms)
हाथों और पैरों की गहरी नसों में क्लॉटिंग होना सेहत के लिए हानिकारक माना गया हैक्योंकि यह बहुत आसानी से हमारे हृदय और लंग्स में जा सकते हैं।। हाथों और पैरों की गहरी नसों में क्लॉटिंग को डीप वेन्स थ्रोम्बोसिस कहते हैं। अगर यह परिस्थिति आपके शरीर के अंदर बन रही है तो हाथ या पैर के प्रभावित जगह पर सूजन, दर्द, कोमलता, सेंसेशन और रेडनेस हो सकता है।
हृदय में क्लॉट (Blood Clotting Symptoms)
अगर हृदय में क्लॉटिंग होती है तो छाती में भारीपन, चक्कर और सांस लेने में दिक्कत जैसे सिम्टम्स दिखाई देते हैं।
ह्रदय में क्लॉटिंग होने पर हार्ट अटैक का खतरा बना रहता है।
फेफड़ों में क्लॉटिंग (Blood Clotting Symptoms)
जब हमारे हाथों या पैरों की नसों में ब्लड क्लॉट शुरू होता है तो यह क्लॉट लंग्स में भी पहुंच जाता है। इसे पलमोनरी एंबॉलिज्म का नाम दिया जाता है। ऐसे व्यक्ति को चेस्ट पेन, घबराहट, खून की खांसी और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
आंतों में क्लॉटिंग (Blood Clotting Symptoms)
लीवर के परेशानी या जरूरत से ज्यादा बर्थ कंट्रोल पिल्स का इस्तेमाल करने की वजह से कभी कभार आंतों में भी ब्लड क्लॉटिंग हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में किसी इंसान को पेट में दर्द, डायरिया, मल में खून और फुला हुआ महसूस हो सकता है।
कब लेनी चाहिए डॉक्टर की सलाह (Blood Clotting Symptoms)
कभी-कभी ब्लड क्लॉटिंग के सिम्टम्स को समझने में परेशानी होती है क्योंकि कई बार यह दूसरे हेल्थ प्रॉब्लम के सिम्टम्स की तरह दिखाई देते हैं। अगर आपको ब्लड क्लॉटिंग के सिम्टम्स दिख रहे हैं तो आपको अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए क्योंकि सरकुलेशन में ब्लॉकेज आने के 4 मिनट बाद ही हमारे सेल्स मरने लगते हैं। इसीलिए ऐसी परिस्थिति घातक साबित हो जाती है। जितना जल्दी हो सके हमें अपने डॉक्टर से इसकी सलाह लेनी चाहिए।