इंडिया न्यूज, नई दिल्ली
उत्तराखंड में चार धाम (Char dham Project) सड़क परियोजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार धाम (Char Dham Pariyojana) सड़क परियोजना के लिए तीन डबल-लेन हाईवे बनाने की और सड़क की चौड़ाई भी 10 मीटर करने की इजाजत दे दी है।
कोर्ट ने पूर्व न्यायाधीश एके सीकरी की अगुआई में एक निगरानी समिति का गठन किया है, जो प्रोजेक्ट की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को देती रहेगी। अब सवाल ये उठता है कि अगर पहाड़ों के रास्ते की चौड़ाई बड़ाई गई तो उससे पर्यावरण पर क्या असर पड़ेगा।
उत्तराखंड में धार्मिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम हैं। इन धामों (Char Dham road) तक जाने के लिए रास्ता साल के केवल 6 माह खुला होता है। बाकी के 6 माह बर्फबारी की वजह से सड़क बंद हो जाती है और धाम तक नहीं पहुंचा जा सकता।
इस कारण केंद्र सरकार चार धामों तक साल के 12 माह पहुंचने लायक सड़क बनाने पर काम कर रही है। ये सड़कें चारों धामों को एक-दूसरे से जोड़ेंगी। पहले इस प्रोजेक्ट को आॅल वेदर रोड नाम दिया गया था, जिसे बदलकर चार धाम प्रोजेक्ट कर दिया गया।
दरअसल, उत्तराखंड का ज्यादातर हिस्सा पहाड़ी है और भूगर्भीय रूप से बहुत ही नाजुक है। पहाड़ों से छेड़छाड़ का सीधा असर दुर्लभ वनस्पति से लेकर जैव विविधता पर भी पड़ रहा है। चूंकि चार धाम प्रोजेक्ट के तहत सड़कों का निर्माण भी पहाड़ी क्षेत्र में ही होना है। इस वजह से प्रोजेक्ट का असर पहाड़ों के परिस्थतिकी तंत्र पर पड़ेगा।
आरोप है कि इस प्रोजेक्ट को बनाने और पास होने की प्रोसेस के दौरान पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को भी नजरअंदाज किया गया है। प्रोजेक्ट का एनवायरन्मेंट इम्पैक्ट असेसमेंट भी नहीं किया गया।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की अधिसूचना 2006 के मुताबिक, 100 किमी से बड़े किसी भी सड़क प्रोजेक्ट पर एनवायरन्मेंट इंपैक्ट असेसमेंट जरूरी होता है। इससे बचने के लिए चार धाम प्रोजेक्ट के करीब 900 किलोमीटर लंबी सड़कों को 53 छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटा गया है, ताकि एनवायरन्मेंट इंपैक्ट असेसमेंट न करना पड़े।
प्रोजेक्ट के तहत सड़क बनाने के लिए ब्लास्टिंग, यानी विस्फोट, कर पहाड़ों को तोड़ा जा रहा है। इससे पहाड़ों को बेहद ज्यादा नुकसान हो रहा है। इस पर भी एक्टिविस्ट चिंता और नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
Char Dham Road-Widening: चार धाम प्रोजेक्ट में ऋषिकेश से शुरू होकर अलग-अलग रास्ते निकाले जाएंगे, जो आगे चलकर चारों धाम तक जाएंगे। यह सड़क ऋषिकेश से शुरू होकर उत्तर में माना नाम के गांव तक जाती है। इससे एक रास्ता धारासु नाम की जगह तक जाएगा।
धारासु से एक रास्ता यमुनोत्री और दूसरा गंगोत्री जाएगा। एक रास्ता ऋषिकेश से शुरू होकर रुद्रप्रयाग तक जाएगा। रुद्रप्रयाग से ही एक रास्ता केदारनाथ के लिए गौरीकुंड तक जाएगा और दूसरा माना गांव तक जाएगा। इससे बद्रीनाथ पहुंचा जा सकेगा। साथ ही टनकपुर से पिथौरागढ़ के रास्ते को भी हाईवे में बदला जाएगा।
अभी चार धाम (Char Dham Highway Project) तक पहुंचने के लिए सड़क केवल छह माह ही खुला रहता है। साथ ही सड़क से सफर के दौरान कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बारिश के मौसम में भूस्खलन और पहाड़ों से पत्थर टूट कर गिरने की समस्याएं और बढ़ जाती हैं।
प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद हर मौसम में आसानी से चारों धामों तक पहुंचा जा सकेगा। यानी श्रद्धालु गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धामों के दर्शन साल भर कर पाएंगे। इससे राज्य में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
उत्तराखंड, चीन और नेपाल की सीमा से लगा हुआ राज्य है। ऐसे में चीन से बढ़ते तनाव के बीच किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए भी इन सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। सड़कों के जरिए चीन से जुड़ी सीमा तक जल्द से जल्द पहुंचा जा सकेगा।
रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा है कि इस सड़क के निर्माण से भारत की फौज को सीमा तक टैंक और हथियारों के साथ पहुंचने में आसानी होगी।
2017 में प्रोजेक्ट (Char Dham Project) पर काम शुरू होने के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में कई अर्जियां दाखिल की गईं। हालांकि, 2018 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने प्रोजेक्ट को अप्रूवल दे दिया था। इसके बाद सिटिजन फॉर ग्रीन दून नाम के एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें दावा था कि इस परियोजना से पहाड़ी क्षेत्र में होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकेगी।
2018 में ही कोर्ट ने इस मामले पर पर्यावरणविद की अगुआई में 26 सदस्यों की एक हाई पावर कमेटी बनाई गई थी। सड़क की चौड़ाई के मसले पर कमेटी दो गुटों में बंट गई। इसमें एक गुट का कहना था कि सड़क की चौड़ाई 12 मीटर होना चाहिए। वहीं, दूसरे गुट का कहना था कि सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर होना चाहिए।
कमेटी ने आपसी मतभेद के चलते दो अलग-अलग जांच रिपोर्ट सौंपीं। सितंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने कम सदस्यों वाली कमेटी की सिफारिश मानते हुए सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर करने की अनुमति दी थी। बाद में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सड़कों के रणनीतिक और सामरिक महत्व को देखते हुए चौड़ाई को 10 मीटर करने की अपील की थी, जिसे हाल ही में कोर्ट ने मंजूरी दे दी है।
Health Tips: तीन महत्वपूर्ण पोषक तत्व (विटामिन डी, जिंक और फोलेट) पुरुषों की प्रजनन क्षमता…
India News RJ(इंडिया न्यूज़),Tonk SDM Thappad Kand : देवली उनियारा में विधानसभा उपचुनाव में मतदान…
Wayanad Landslides: गृह मंत्रालय ने नई दिल्ली में केरल के विशेष प्रतिनिधि केवी थॉमस को…
Pinaka Weapon System: भारत ने गुरुवार (14 नवंबर, 2024) को सत्यापन परीक्षणों के एक सेट…
India News RJ(इंडिया न्यूज़),Jaipur Ramkatha: राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गुरुवार को प्रसिद्ध कथावाचक…
Khalistani Terrorist Arsh Dalla: कनाडा सरकार की तरफ से कोर्ट में ये अपील की गई…