India News(इंडिया न्यूज), Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ में चुनाव होने की वजह से दोनों ही प्रमुख पार्टी के बड़े नेता लगातार छत्तीसगढ़ दौरे पर पहुंच रहे है। एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ दौरे पर आने वाले है। 3 अक्टूबर को पीएम नरेंद्र मोदी बस्तर दौरे पर आ रहे है। जहां नगरनार संयंत्र का उद्घाटन किया जाएगा। उससे पहले ही सर्व आदिवासी समाज ने 3 अक्टूबर को बस्तर बंद का आव्हान कर दिया है।
सर्व आदिवासी समाज नगरनार संयंत्र को निजी हाथों में देने का विरोध कर रहे है। जिसे लेकर प्रदेश में एक बार फिर सियासत गर्म होती जा रही है। छत्तीसगढ़ में बीजेपी के साथ ही कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की नजर बनी हुई है। चुनाव को देखते हुए दोनों ही प्रमुख पार्टी के बड़े नेता छत्तीसगढ़ के दौरे पर पहुंच रहे है। एक बार फिर बस्तर दौरे पर पीएम नरेंद्र मोदी पहुंचने वाले है। इस दौरान पीएम नगरनार प्लांट का उद्घाटन करते हुए नजर आएंगे। जिसे लेकर सियासत भी शुरु हो चुकी है।
नगरनार संयंत्र को निजी हाथों में देने के विरोध में सर्व आदिवासी समाज ने बस्तर बंद का आव्हान 3 अक्टूबर को किया है। इसी दिन पीएम नरेंद्र मोदी बस्तर पहुंच रहे है। जिसे लेकर सीएम भूपेश बघेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की, उन्होंने कहा कि नगरनार की जमीन किसानों, आदिवासियों की जमीन है। उस समय जिन लोगों से जमीन ली गई ना ही उनको मुआवजा दिया गया।
उनका पुनर्वास किया गया ना नौकरी दी गई। हम लोगों ने इसे खरीदने के लिए प्रस्ताव पारित किया था। उसमे ऐसे नियम लाए गए कि हम भाग ही ना ले सके। रमन सिंह ने केंद्र सरकार को भी पत्र लिखा था कि इसे निजी हाथों में ना दिया जाए। विधानसभा में भी बीजेपी विधायकों ने समर्थन दिया था। मोदी जी आ रहे हैं तो इनको नगरनार संयंत्र को लेकर अपनी बात रखनी चाहिए।
प्रदेश में चुनाव नजदीक होने की वजह से लगातार मुद्दे उछाले जा रहे है। एक बार फिर बस्तर से जुड़ा मुद्दा सियासत को गर्म करता जा रहा है। 3 अक्टूबर को पीएम नरेंद्र मोदी बस्तर दौरे पर पहुंचेंगे, लेकिन उससे पहले ही सर्व आदिवासी समाज ने बस्तर बंद का आव्हान किया है। नगरनार संयंत्र को निजी हाथों में देने का आदिवासी विरोध कर रहे है। जिसका कांग्रेस ने भी समर्थन किया है। नगरनार संयंत्र को निजी हाथों में दिए जाने के विरोध में बस्तर बंद को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर निशाना साधा है।
बीजेपी के प्रदेश महामंत्री और पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि आदिवासी समाज को सामने करके कांग्रेस पीठ पिछे राजनीतिक कर रही है। इससे कांग्रेस की घटिया सोंच उजागर हो रही है। जिस तरह से परिवर्तन यात्रा और पीएम के अन्य सभाओं को सफलता मिली वैसी सफलता बस्तर के कार्यक्रम को ना मिले इसीलिए पीठ पीछे से राजनीति कर रहे है यह सफल नहीं होगा।
नगरनार संयंत्र का निजीकरण नहीं होगा। यहां के लोगों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं होगा। एक तरफ जहां नगरनार संयंत्र का मुद्दा लगातार उठ रहा है तो दूसरी ओर बस्तर को साधने की कोशिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हुए नजर आएंगे। लेकिन इन सबके बीच आदिवासी समाज के बस्तर बंद का आव्हान पीएम मोदी की सभा में कितना प्रभाव डालेगी यह तो सभा के बाद ही स्पष्ट होगा।
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