इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Debate on Rafale : फ्रांसीसी पोर्टल मीडियापार्ट ने राफेल पर नई रिपोर्ट में दावा किया है कि साल 2007 और 2012 के बीच राफेल सौदे में शामिल एक बिचौलिए को कथित रूप से रिश्वत दी गई। इस नई रिपोर्ट के बाद भारत में हंगामा मच गया है।
इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सीबीआई की ओर से कथित तौर पर दस्तावेज प्राप्त करने के बावजूद इन आरोपों की जांच नहीं की गई। अब इस मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच राजनीतिक बहस शुरू हो गई है। भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को साल 2014 से पहले हुए कथित भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस पर हमला किया।
उधर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर भ्रष्टाचार पर छिपाने का आरोप लगाया। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस का मतलब है मुझे कमीशन की जरूरत है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, रॉबर्ट वाड्रा, सभी कहते हैं कि मुझे कमीशन की जरूरत है।
संबित ने इटली से मांगा जवाब (Debate on Rafale)
पात्रा ने कहा, ह्यइटली से राहुल गांधी जी जवाब दें। राफेल को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश आपने और आपकी पार्टी ने इतने वर्षों तक क्यों की? आज ये खुलासा हुआ है कि उन्हीं की सरकार में पार्टी ने 2007 से 2012 के बीच में राफेल में ये कमीशनखोरी की है, जिसमें बिचौलिए का नाम भी सामने आया है। उन्होंने कहा, ह्यराफेल का विषय कमीशन की कहानी थी, बहुत बड़े घोटाले की साजिश थी। ये पूरा मामला 2007 से 2012 के बीच हुआ।
कांग्रेस ने बनाया झूठा माहौल: पात्रा (Debate on Rafale)
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि हम आपके सामने कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज रखने वाले हैं, जो भ्रष्टाचार किसके कालखंड में हुआ ये बताएगा। फ्रांस के एक मीडिया संस्थान ने कुछ वक्त पहले ये खुलासा किया कि राफेल में भ्रष्टाचार हुआ था। पात्रा ने कहा कि 2019 के चुनावों से पहले विपक्षी दलों ने, खासकर कांग्रेस पार्टी ने जिस प्रकार से एक झूठा माहौल बनाने की चेष्टा राफेल को लेकर की थी वो हम सभी ने देखा था। उनको लगता था कि इससे उनको कोई राजनीतिक फायदा होगा।
मॉरीश में हुआ रिश्वत का भुगतान (Debate on Rafale)
मीडियापार्ट की पड़ताल के अनुसार दसॉल्ट एविएशन ने 2007 और 2012 के बीच मॉरीशस में बिचौलिए को रिश्वत का भुगतान किया। पत्रिका ने जुलाई में खबर दी थी कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के लिए भारत के साथ 59,000 करोड़ रुपये के अंतर-सरकारी सौदे में संदिग्ध भ्रष्टाचार और पक्षपात की अत्यधिक संवेदनशीलह्व न्यायिक जांच का नेतृत्व करने के लिए एक फ्रांसीसी न्यायाधीश को नियुक्त किया गया है।
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