दिल्ली हाईकोर्ट ने शिबू सोरेन के खिलाफ लोकपाल की कार्यवाही पर रोक लगाई

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली, Delhi High Court stays Lokpal proceedings against Shibu Soren in disproportionate assets case): दिल्ली हाईकोर्ट ने झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख शिबू सोरेन पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में लोकपाल की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट में एकल न्यायाधीश यशवंत वर्मा की पीठ ने कार्यवाही पर रोक लगा दी और लोकपाल के साथ-साथ भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को नोटिस जारी किया.

मामले की अलगी सुनवाई 14 दिसंबर को होगी, तब तक दोनों लोगों को अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया है।शिबू सोरेन ने लोकपाल के समक्ष कार्यवाही और 4 अगस्त, 2022 के उसके आदेशों को चुनौती देते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इस आदेश में सोरेन के खिलाफ कार्यवाही का आदेश देते हुए कहा गया था की प्रथम दृष्टया उनपर कार्यवाही करने का आधार दिखता है.

निशिकांत दुबे की शिकायत पर लोकपल ने दिया था आदेश

शिबू सोरेने की याचिका में तर्क दिया गया तह की यह आदेश उनकी आपत्ति पर विचार किए बिना पारित किया गया है। उनके खिलाफ कोई जांच नहीं की जा सकती है क्योंकि कथित घटना के सात साल से अधिक समय बाद शिकायत दर्ज की गई है और लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 की धारा 53 के एक सीमा अवधी के बाद जांच को बंद कर दिया जाता है.

याचिका में आगे कहा गया है कि लोकपाल के समक्ष कार्यवाही 5 अगस्त, 2020 की एक शिकायत के अनुसार दर्ज की गई है और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जुलाई 2021 में सोरेन, उनकी पत्नी और उनके बच्चों के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू की थी, इसकी कोई प्रति फरवरी 2022 तक याचिकाकर्ता को उपलब्ध नहीं करवाई गई है.

सोरेन ने लोकपाल के सितंबर 2020 के उस आदेश को भी चुनौती दी थी जिसके जरिए लोकपाल ने सीबीआई को सोरेन के खिलाफ प्रारंभिक जांच करने और एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था। सोरेन के खिलाफ आरोप यह है कि उन्होंने झारखंड में बेईमान और भ्रष्ट तरीकों को अपनाकर 10 साल से अधिक समय तक कई बड़ी संपत्ति अर्जित की.

पूरे परिवार पर आरोप

यह आरोप लगाया गया है कि संपत्ति न केवल उनके नाम पर है, बल्कि उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर भी है, जिनमें बेटे, बेटियां, बहू, दोस्त और विभिन्न कंपनियों के नाम पर झारखंड के विभिन्न जिलों जैसे रांची, धनबाद, दुमका में हैं। शिकायत का संज्ञान लेते हुए प्रारंभिक जांच कराने के निर्देश दिए थे.

झामुमो के मुखिया ने आरोपों और शिकायत को शरारती, झूठा, तुच्छ और प्रेरित और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा काता गया सूत बताया है। शिबू सोरेन ने अपनी याचिका में कहा था की “शिकायत में भ्रष्टाचार के एक भी विशिष्ट कथित कृत्य का कोई उदाहरण नहीं है। शिकायत किसी भी विवरण से रहित है और प्रतिवादी संख्या 2 (निशिकांत दुबे) द्वारा याचिकाकर्ता और उसकी पार्टी के असंतुष्ट और असफल राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी द्वारा काता गया एक जुझारू सूत है।”

याचिका अधिवक्ता पल्लवी लंगर और वैभव तोमर के माध्यम से दायर की गई है और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इसपर तर्क किया। इस केस को शिबू बनाम भारत के लोकपाल बनाम अन्य के नाम से जाना गया.

Roshan Kumar

Journalist By Passion And Soul. (Politics Is Love) EX- Delhi School Of Journalism, University Of Delhi.

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