India News (इंडिया न्यूज़), Rashid Hashmi, Election 2024: 26 दलों के विपक्षी गठबंधन INDIA की तीसरी बैठक 31 अगस्त और 1 सितंबर को होने जा रही है। रार, तकरार और आरपार के बीच मुंबई में मीटिंग है, चुनावी सेटिंग है। ’24’ का समर है, INDIA का ग़दर है। INDIA वाले कहते नहीं थक रहे कि अबकी बार 24 में बेड़ा पार। नीतीश कह रहे हैं कि संयोजक का पद नहीं चाहिए तो लालू कहते हैं कि संयोजक अलग-अलग राज्यों से होंगे। केजरीवाल फ़ाइनल कर चुके हैं, 2025 में बिहार चुनाव में उतरेंगे तो कांग्रेस कहती है कि दिल्ली के दंगल में हमारा भी मंगल है। कलह और सुलह की चाशनी में मुस्कान फेंटी जाएगी, हाथ उठाए जाएंगे, दिल मिलाए जाएंगे, सपने देखे और दिखाए जाएंगे। मोदी को INDIA गठबंधन में घमंडिया दिखता है, बीजेपी वाले कह रहे हैं कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ा करती।
INDIA गठबंधन को लेकर कई लाज़मी सवाल हैं। नीतीश-लालू के सुर बार-बार अलग क्यों पड़ जाते हैं ? संयोजक को लेकर नीतीश और लालू की ज़ुबान अलग क्यों ? यूपी से मायावती साथ आईं तो अखिलेश के साथ बात कैसे बनेगी ? बंगाल में ममता बनर्जी और लेफ्ट एक साथ कैसे आएंगे ? कुछ पार्टियां ना तीन में हैं और ना ही तेरह में, उनका क्या होगा ?
आज़ाद हिंदुस्तान ने तीन तरह का चुनावी और लोकतांत्रिक दौर देखा है- 1952 के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर 1964 का जवाहर युग, 1964 से लेकर 1977 का इंदिरा युग, 1989 से लेकर अब तक का गठबंधन युग। जब दल मिलते हैं तो गठबंधन धर्म की बात होती है, जिसे मैं मजबूरी मानता हूं। गठबंधन युग ने कभी तीसरी मोर्चा, कभी यूनाइटेड फ्रंट तो अब INDIA अलायंस नाम दिया है। फ़र्क़ इतना है कि पुराने मोर्चे ग़ैर बीजेपी या ग़ैर कांग्रेसी के नाम पर बनते थे, लेकिन आज कांग्रेस को भी मोर्चे की दरकार है।
देश के सियासी मिज़ाज में तपिश है, क्योंकि 6 महीने बाद लोकसभा चुनाव है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों कुनबा बढ़ाने में जुटे हुए हैं। एक के साथ 26 दल हैं तो NDA की ताक़त 38 पार्टियां हैं। NDA के पास मोदी का चेहरा है तो INDIA को चेहरा फ़ाइनल करना है। दुष्यंत के शब्दों में- मस्लहत-आमेज़ होते हैं सियासत के क़दम, तू न समझेगा सियासत तू अभी नादान है। केंद्र में गठबंधन सरकार के इतिहास की शुरुआत 1977 में जनता पार्टी की सरकार से हुई, जिसके प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई थे। जनता पार्टी में कुल 13 दल शामिल थे। कुछ दिन बाद जनता पार्टी की सरकार गिरी तो जनता दल (सेक्युलर) के चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने और 1980 तक पद पर बने रहे। चौधरी चरण सिंह की सरकार अल्पमत में थी जिसे कांग्रेस का समर्थन मिला हुआ था, लेकिन जब लोकसभा में विश्वास मत की बारी आई तो कांग्रेस ने हाथ खींच कर सरकार गिरा दी।
फिर साल 1989 में कांग्रेस की हार के बाद जनता दल और कुछ क्षेत्रीय दलों ने राष्ट्रीय मोर्चा बना कर विश्वनाथ प्रताप सिंह को प्रधानमंत्री पद दिलाया। हैरानी ये कि उस दौर में धुर-विरोधी बीजेपी और वाम दल भी साथ थे। हालांकि, मंडल कमीशन की सिफारिश लागू होने पर बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया, और वीपी सरकार गिर गई। साल 1990 में जनता दल (सोशलिस्ट) की सरकार बनी और चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने, लेकिन यह सरकार भी कुछ महीने बाद ढेर हो गई। 1996 लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो ना भाजपा को बहुमत मिला और ना ही कांग्रेस को। अटल प्रधानमंत्री बने, लेकिन सरकार महज़ 13 दिन ही चल पाई। फिर 13 पार्टियों ने मिलकर संयुक्त मोर्चा बनाया, 1996 में पहली बार सरकार बनाई, जिसके प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा थे। देवगौड़ा सरकार भी एक जून 1996 से लेकर 21 अप्रैल 1997 तक ही चल पाई। इसके बाद 21 अप्रैल 1997 से लेकर 19 मार्च 1998 तक इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री रहे। दोनों बार सरकार कांग्रेस के समर्थन वापस लेने की वजह से गिरी। मतलब साफ़ है, भारतीय राजनीति में तीसरा मोर्चा काठ की वो हांडी है जिसे बार-बार चढ़ाने की कोशिश की गई।
साल 2024 के लिए विपक्ष ने कमर कसी है। महामोर्चा बना कर नाम भी INDIA रख दिया है। विपक्षी गठबंधन INDIA की 31 अगस्त और एक सितंबर को मुंबई में महाबैठक है। अंदर की ख़बर ये है कि विपक्षी गठबंधन INDIA ने बड़ा दांव चलते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती से संपर्क किया है, लेकिन मायावती ने यूपी में 40 लोकसभा सीटें देने वाली शर्त विपक्षी गठबंधन के सामने रख दी है। अखिलेश के लिए मायावती को 40 सीटें देना आसान नहीं है। खास बात ये है कि एक सितंबर को मुंबई में ही सत्ताधारी गठबंधन एनडीए की भी बैठक होने जा रही है। पेचीदा सवाल ये है कि 2024 चुनाव में विपक्षी मोर्चे का नेतृत्व कौन करेगा। इस दौर में नेतृत्व विश्वसनीय राजनीतिक फैसले लेने के लिए ज़रूरी है।
आम आदमी पार्टी के सपने भी INDIA गठबंधन के सपनों को पलीता लगा रहे हैं। केजरीवाल की आप ने बिहार में भी विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राज्यसभा सांसद मनोज झा कहते हैं कि “INDIA के हर दल को कुछ नियमों का पालन करना होगा, उम्मीद है आम आदमी पार्टी भी नियमों का पालन करेगी।”
इधर विपक्षी गठबंधन मुंबई बैठक के लिए कमर कस रहा है, उधर केंद्र सरकार ने रसोई गैस की क़ीमत 200 रुपये कम कर दी। ये मोदी का मास्टरस्ट्रोक है। INDIA वालों का नैरेटिव है कि ये मोदी सरकार का डर है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की नेता सुप्रिया सुले केंद्र सरकार के फैसले को ‘जुमला’ (राजनीतिक नौटंकी) करार दे रही हैं तो तेजस्वी कहते हैं- “यह दबाव है (INDIA गठबंधन की) दूसरी बैठक के बाद, उन्होंने (भाजपा) कीमतों में 200 रुपये की कमी की है, जब सब कुछ फाइनल हो जाएगा, तब आप (INDIA गठबंधन की) ताक़त देखेंगे ” घरेलू सिलेंडर के दाम घटाने पर विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरा, कांग्रेस बोली- ‘जब वोट लगे घटने, तो चुनावी तोहफे लगे बंटने’। ख़ैर INDIA गठबंधन का मुख्य फोकस यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में NDA को घेरने पर है। नीतीश की नज़र बहुजन समाज पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, इंडियन नेशनल लोक दल पर भी है। 24 की फ़ाइट है, चुनाव टाइट है, मुंबई सियासी साइट है। इंतज़ार कीजिए मुंबई मंथन से विपक्ष का चेहरा और संयोजक दोनों तय होंगे। काठ की हांडी फिर चढ़ेगी, वो सवाल अलग है कि इस बार क्या खिचड़ी पकेगी।
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