गुरुवार को अदालत ने याचिका को सुनवाई योग्य न मानते हुए रद किया
इंडिया न्यूज, मुंबई:
पिछले करीब डेढ साल से चल रहे केस में एक बार फिर से मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह को हाईकोर्ट से निराशा हाथ लगी है। गुरवार को उनकी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह कहते हुए रद कर दिया कि यह सुनवाई योग्य नहीं है। ज्ञात रहे कि अपनी याचिका में पूर्व सीपी ने प्रदेश सरकार द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई दो प्राथमिक जांच को रद करने की अपील की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनजे जामदार की खंडपीठ ने कहा कि पूर्व सीपी द्वारा मांगी गई राहत पर केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण फैसला ले सकता है क्योंकि यह सेवा का मामला है। लेकिन अदालत में यह सुनवाई योग्य नहीं है। इसके साथ ही खंडपीठ ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता उचित मंच का रुख करते हैं तो वह इस पर सुनवाई कर सकता है।
इसलिए दायर की थी याचिका
पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने याचिका में अपने खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू करने के राज्य सरकार के दो आदेशों को चुनौती दी है। पहली जांच ड्यूटी में लापरवाही और गलत आचरण को लेकर और दूसरी कथित भ्रष्टाचार को लेकर है। राज्य सरकार ने परमबीर सिंह की याचिका पर प्राथमिक आपत्तियां जताई थीं और कहा था कि उच्च न्यायालय इस पर सुनवाई नहीं कर सकता क्योंकि यह पूरी तरह सेवा का मामला है और इस पर प्रशासनिक न्यायाधिकरण को सुनवाई करनी चाहिए।
इन तरह फंसता गया मामला
पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। एंटीलिया मामले में मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वाझे की गिरफ्तारी के बाद से परमबीर सिंह पर भी सवाल उठाए जा रहे थे। इसी बीच परमबीर सिंह का तबादला कर दिया गया उन्हें होमगार्ड की जिम्मेदारी सौंपी गई। 20 मार्च को परमबीर सिंह का मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखा एक पत्र सामने आया था। पत्र में उन्होंने आरोप लगाया था कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने शीर्ष पुलिस अधिकारियों को हर महीने 100 करोड़ रुपए की वसूली का टारगेट दिया था। परमबीर सिंह का पत्र सामने आने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में भूकंप आ गया था। जिसके बाद मामला लगातार कोर्ट में चल रहा है।