India News (इंडिया न्यूज़), Festival Of Ideas, नई दिल्ली: ITV नेटवर्क की तरफ से 24 और 25 अगस्त, 2023 को देश की राजधानी दिल्ली में फेस्टिवल ऑफ आइडियाज (Festival Of Ideas) कॉन्क्लेव का आजोयन किया जा रहा है। इस कॉन्क्लेव में देश के तमाम क्षेत्रों के दिग्गज लोग अपने विचारों को देश की जनता के साथ साझा करेंगे। साथ ही लोगों के सवालों का जवाब भी देंगे। बीते दिन कई दिग्गजों ने जनता के साथ अपने विचारों को साझा किया। आज ये कॉन्क्लेव जारी रहेगा। इस कॉन्क्लेव के हर अपेडट के लिए जुड़े रहे हमारे साथ…
कांग्रेस पार्टी को कहां खड़ा देख रहे हैं जैसे सवाल पर भारत सरकार में भूतपूर्व विदेश मंत्री रहे सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) ने कहा कि खड़े हैं एक विश्वास में, खड़े हैं इस दायित्व में कि आज कि परिस्थितियों में हमें क्या कर के देना है। लोग पुछते हैं कि आप अपना झंड़ा चारो तरफ कब फहराएंगे। लेकिन यदि कोई गंभीर बात करता है कि भारत की राजनीति में जो परिवर्तन आए हैं। उसके बाद यदि चाहते हैं कि फिर कोई और परिवर्तन आए तो जो विपक्षी पार्टीयां हैं जब तक वो एक दूसरे के साथ ना आए तब तक कोई परिवर्तन नहीं आ सकता है। हो सकता है पांच साल दस साल बाद आए लेकिन अभी नहीं आ सकता। ऐसे ही एक गठबंधन बानाने की तरफ हम आगे बढ़ रहे हैं।
अभिनेत्री श्रिया पिलगांवकर (Shriya Pilgaonkar) से जब ये पुछा गया कि आपने शाहरूखान के साथ बड़े परदे पर काम किया साथ ही आपने OTT को भी चूज किया और आपको इस प्लेटफार्म पर भी खुब सराहा गया। तो श्रिया ने कहा कि मैने हमेशा एक अच्छे स्क्रिप्ट को चूज किया चाहे वो कोई विज्ञापन हो कोई सार्ट फिल्म हो कोई वेब सिरीज हो। मैं कह सकती हूं कि मैं इस मामले में लकी हूं कि मुझे अच्छे सक्रीप्ट मिले हैं। जब भी मैं कुछ पढ़ती हूं एक विवर के नज़र से देखती हूं।
राज्यसभा एमपी राकेश सिन्हा ने कहा कि कितने दशक बीत गए। इस दौरान कई प्रधानमंत्री आए। लेकिन जिनके कारण आजादी मिले लोग उन्हें भूल गए। 2003 में जब नरेंद्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री बनते हैं और दिल्ली में अटल बिहारी वाजपेयी थें, तब नरेंद्र मोदी जी जीनेवा जाकर उनके अस्थि भस्म को भारत लाएं और एक क्रांति तीर्थ की स्थापना किया। एक घटना यह बताती है कि राष्ट्र के प्रति जो सरोकार है वो सरोकार केवल भूमि के नहीं बल्कि, केवल जंगल, पहाड़ और चौहदी के प्रति नहीं बल्कि उन विचार, उन भावनाओं और उन लोगों के प्रति होना चाहती है जो इनका निर्माण करती है। नरेंद्र मोदी ने इसको टूल के तरह प्रयोग नहीं किया बल्कि उन्होंने इस विरासत को जीवित किया है।
डॉ॰ किरण बेदी ने आउट ऑफ दी बॉक्स सोचने की चुनौती पर कहा, “मैं अपने काम के पीछे क्या करण है ये सोचकर काम करती हूं। मुझें समस्या को सुलझाना पसंद है और इसके लिए ये चिंता नहीं करती के कौन मुझे पसंद करेगा और कौन नहीं। अगर आप अपने काम करने के पीछे के कारण को समझते हो और उस समस्य पर स्थिर होकर हल करने की कोशिश करते हो तो आप अवश्य ही सफलता रहोंगे। ये सच है कि बदलाव हर किसी को पंसद नहीं, लेकिन बदलाव के लिए अपको किसी से पूछना नहीं है।”
भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता सैयद जफर इस्लाम ने कहा, “पीएम मोदी ने भारत को ग्लोबल मंच जिस तरह से लाकर रखा है। उससे दिखता है कि भारत का विस्तार दुनिया की नजरों में बड़ा है। पहले भारत सॉफ्ट नेशन की तरह जाना जाता था आज भारत बहुत स्ट्रोंग नेशन की तरह जाना जा रहा है। हमारी सरकार देश और देश के नागरिकों को मजबूत करने वाली सरकार है। हमारे लिए राम मंदिर का मुद्दा भी लोगों में खास है। कई राज्यों में डबल इंजन की सरकार से भी फायदा हुआ है वो भी लोगों की दिखता है। जब हम चुनाव के दौरान लोगों के बीच जाएंगे तो विपक्षी औऱ हमारे काम में लोगों को साफ अंतर दिखेगा।
यह भारत में दुर्भाग्य है की लोग पूछते है कि राष्ट्रवाद मु्द्दा होगा। अल जहावरी को अमेरिका ने मार, ओसमा बिन लादेन को मारा तो सबूत दिया? लेकिन हमारे यहां सर्जिकल सट्राइक हुई, बालाकोट मे एयर सट्राइक हुई तो नेताओं ने सबूत मांगा।
26/11 के बाद कांग्रेस सरकार ने शरमल शेख का समझौता और कहा कि बातचीत, आतंकवाद से प्रभावित नहीं होगी। हमने कहा, आतंकवाद के साथ बातचीत नहीं होगी। जनकल्याण, विकास, सुरक्षा और आत्मगौरव चारों को लेकर आगे बढ़ेगे।
चंद्रयान-3 इसरो की वैज्ञानिकों की तपस्या से हुआ लेकिन इसमें मोदी जी की प्रेरणा भी थी। जब चंद्रयान-2 फेल हुआ तब मोदी ने कहा कि आपको जैसा फैसला करना है कीजिए, तब हमें आज यह परिमाण देखने को मिला है।
नेताओं से जनता हमेशा कहती है कुछ नया दो, मोदी जी ने कहा कि सब्सिडी छोड़ दो और लोगों ने छोड़ दिया। लालबहादुर शास्त्री के बाद पहली बार ऐसा मौका आया था जब लोगों ने नेता के कहने पर छोड़ दिया। जब लाल किले से मोदी जी ने कहा कि आने वाले 25 सालों को हम आने वाले हजार साल का आधार बनाएंगे। बाकि पार्टियों एक-दो चुनाव तक सोचती था। हम 5 हजार साल पीछे भी सोचते है और 500 साल आगे की भी।
इसी कड़ी में बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने हिस्सा लिया। 2014 में केवल 30 प्रतिशत लोगों के पास बैंक का खाता था। तब बैंको ने कहा था कि एक साल में 1.5 करोड़ से ज्यादा खाता नहीं खोला जा सकता है। आरबीआई ने कहा था कि 2.5 करोड़ से ज्यादा खाता नहीं खोला जा सकता। यह मोदी जी के आइडिया का ही परिमाणा था। 30 करोड़ से ज्यादा खाता एक साल में खोला गया।
अनुच्छेद 370 के हटने के समय जनरल (रि.) ढिल्लों जम्मू-कश्मीर में तैनात थे। तब क्या तैयारी थी इसपर उन्होंने कहा कि हम बहुत क्लियर थे हम देश के हित में होगा वह वही करेंगे। 5 अगस्त 2019 जब अनुच्छेद 370 हटाया गया तो 80 प्रतिशत कश्मीर के लोगों को नहीं पता है की अनुच्छेद 370 क्या है। सरकार ने काफी साहसी निर्णय लिया था। सिर्फ 2.5 लोगों को पता था की यह हटने वाला है।
जनरल (रि) सतीश दुआ ने अनुसार, तब के रक्षा मंत्री मनोहर परिकर उरी जाने चाहते है उसी दिन लेकिन नहीं ले जाया गया क्योंकि ऑपरेशन चल रहे थे। मेरे ऑफिस में उन्होंने कहा कि क्या करना चाहिए था। तब इसपर पहली बार चर्चा हुए की हमें बॉर्डर पार जाकर हमला करना चाहिए। सर्जिकल स्ट्राइक से सिर्फ सेना का नहीं देश का मनोबल बढ़ा।
इतिहासकार शिव वर्मा ने 1962 के चीन यूद्ध पर किताब लिखी है। इस पर भी चर्चा की गई। लेफ्टिनेंट जनरल (रि) सतीश दुआ ने सर्जिकल स्ट्राइक पर बताया कि जब मैं उरी के बारें में आज युवाओं से पूछता हूं की उरी क्या है तो वह कहता है हाउ इज द जोश पर हमारे उम्र के लोग ऐसा नहीं सोचते। 18 सितंबर 2016 को दिन मेरे जिंदगी का सबसे काला दिन जब 18 बहादुर सैनिकों की जान चली गई।
जनरल (रि.) ढिल्लों के अनुसार, घटना के 100 घंटे के भीतर ही हमला करने वाले मॉड्यूल को हमने निष्क्रिय कर दिया। मॉड्यूल का कमांडर पाकिस्तानी आतंकी था, जिसका असली नाम का था कमरान, कोड नाम था गाजी। इसके बाद एक प्रेंस कॉफ्रेंस में एक सवाल किया गया कि क्या गाजी मारा गया? इसपर मैंने कहा कि कितने गाजी आए, कितने गाजी गए। इसको काफी वायरल किया गया।
इसी कड़ी में सेना के रिटार्ड अधिकारी इसमें शामिल हुए। लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) कंवल जीत सिंह ढिल्लों, लेफ्टिनेंट जनरल (रि) सतीश दुआ और सेना के इतिहासकार शिव वर्मा शामिल हुए। लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) कंवल जीत सिंह ढिल्लों ने किताब लिखी है कितने ‘गाजी आए और कितने गाजी गए’ इसके शीर्षक पर उन्होंने कहा कि मैं 10 फरवरी 2019 को चिनार कोर में तैनात किया गया। चार दिन बाद पुलवामा में सीआरआरपीफ के काफिले पर धमाका हुआ।
क्या वो नाम रख सकता है INDIA। मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या कोई व्यक्ति नाम रख सकता है INDIA जब वो कह दे हमारी वीर सेना चीनी सेना से पिट गई। सच्चाई ये है भारत की सेना न कभी किसी से पीटी है न कभी पिटेगी। चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया, क्योंकि जब शेर दहाड़ता है तो चूहे बिल में घुस जाते हैं। ये हमारी सेना की ताकत है।
और दूसरे तरफ की सोच ये है कि एक गांधी परिवार ही उनके लिए पूरा देश है। देश का कुछ भी हो परिवार चलना चाहिए। INDIA पर मैं केवल ये कहूंगा कि इंडिया आपका भी उतना है जितना हमारा है। लोग कहते थे कि इंडिया नहीं बोल रहे आजकल, अरे क्यों नहीं बोल रहे। घमंड है हमें…हमें अच्छा लगता है कि जब हम भारत और इंडिया कहते हैं। घमंडिया है ये इंडिया नहीं है। घमंडिया क्या है? घमंडिया वह है…आप मुझे बताइए कोई व्यक्ति अपने आप को INDIA बुला सकता है, लेकिन जहां नारे लगते… “भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह, इंशाअल्लाह” वहां पर राहुल गांधी समर्थन करते थे।
वहीं राम मंदिर के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि ये कहते थे भव्य राम मंदिर बनाएंगे लेकिन तारीख नहीं बताएंगे। हम भव्य राम मंदिर भी बना रहे हैं तारीख भी बता रहे हैं। और उनको भी बुला रहे हैं कि वो भी वहां पर दर्शन करें सद्बुद्धि आएगी। इसके बाद में कहूंगा जो कभी नहीं हुआ भारत में मोदी जो देश के लिए ईमानदारी, कड़ी मेहनत और समर्पण का पर्याय है। आर्टिकल 370, पेंशन, GST, PFI बैन, 4 करोड़ के घर, उज्जवला योजना, वुमन एम्पावरमेंट ये क्या दर्शाते है कि एक व्यक्ति आया है जिसको भारत के नागरिकों की चिंता है और उसका परिवार आप लोग हैं।
उन्होंने कहा कि नाम जो है वो आपकी पहचान होता है ये बचपन से हमें सिखाया गया है और 10 साल ज सत्ता में रहे UPA नाम था UPA ये बात अलग है उसमें P का नाम पुश-पुश उसमें दम नहीं था, भ्रष्टाचार के लिए जाने जाते थे। अपना नाम क्यों त्याग देते हैं उसकी वजह है। जब UPA का नाम लिया जाता है तो याद आता है 2जी घोटाला, कोलगेट घोटाला, CWG घोटाला, जीजा जी घोटाला अरे इतने घोटाले थे कि देश को लूट रहे थे। आज क्या याद आता है अनुच्छेद 370 कहते थे हटा के दिखाओ। नरेंद्र मोदी जी आए गृहमंत्री अमित शाह जी थे अनुच्छेद 370 जो कि टेम्परेरी शब्द थे शुरूआत होती थी हटा दिया।
बीजेपी के प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वकील गौरव भाटिया ने चंद्रयान 3 के बारे बातचीत करते हुए कहा कि मैंने देखा कि दो दिन दिन पहले चंद्रमा पर जब चंद्रयान 3 गया और वहां पर भी तिरंगा लहराया। तो मैं समझता हूं कि हर नागरिक के लिए यग गर्व का क्षण था और ये बताता है कि कोई भीं मंजिल नामुकिन नहीं है हमारे देश भारत इंडिया के लिए और उन्होंने कहा जब मैं इंडिया कहता हूं, तो आपने इसका जिक्र किया I.N.D.I.A नाम बदलने से जो आपकी पहचान है, जो आपकी विश्वसनीयता है और जो आपने कुकर्म किए वह छिप नहीं जाते हैं।
इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वकील गौरव भाटिया ने जनता के साथ अपने विचारों का साझा किया।
वहीं एस. भटाचार्य जी का कहना था कि जब थाईलैंड अपनी करी के लिए मशहूर है तो हमें क्यों अपनी दाल से शर्म आती है। उन्होंने बताया कि कैसे हम हमारे इंडियन फूड को गलोबल फूड बना सकते हैं। उनका यह भी बताया कि कैसे जो खाना हम रोजाना में नहीं खाते वो ही ग्लोबल वर्ल्ड में मशहूर हो रहा है।
इंडिया में भी बहुत तरह की कुजीन होती हैं जैसे कि पंजाबी कुजीन, कश्मीरी कुजीन आदि को कैसे हम प्रमोट कर सकते हैं? इसके जवाब में सुभीर ने कहा कि इसके लिए जब भी कोई शेफ आए तो उसे होटल के मशहूर खाने की जगह घरों में बना सदा खाना सिखाया जाए तो सही रहेगा।
उसके बाद जब सुवीर सरन से सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि कैसे नॉन इंडियंस को इंडियन फ़ूड प्रोमोट करना बहुत ही आसान काम लगता है। इंडियन फ़ूड आज भी एथनिक फ़ूड है। हमे अपने खाने को पहनावे को एथनिक बुलाना बंद करना होगा। तभी हमारा इंडियन फ़ूड ग्रो कर पाएगा। उन्होंने बताया कि वो न्यूयार्क में करीब 30 साल रहे और हर 4-5 सालों में न्यूयार्क में यह खबर छपती थी कि इंडियन फ़ूड जो है वो अगला बेस्ट कुजीन होगा पर कभी बन नहीं पाया। उनके हिसाब से हम उस मुकाम को हासिल नहीं कर पाए क्योंकि हमें आज भी घर की दाल से शर्म आती है।
इस कड़ी में विक्की रत्नानी ने बताया कि कैसे उन्होंने कभी किसी इंडियन किचन में कोई प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं ली है और कैसे उन्होंने अलग-अलग देशो में अलग-अलग प्रकार का भोजन बनाया है। कल उनका हैदराबाद में एक पॉप-अप है। उन्होंने आगे बताया की जब वो अब्रॉड में कभी कुक करते हैं तो वे इंडियन फ़ूड का अपने हिसाब से बनाते हैं। इंडियन फ़ूड सिर्फ नमक मिर्च की कहानी नहीं बल्कि बहुत से स्पाइस के एक परफेक्ट मिश्रण होता है। पहले क ज़माने में इंडियन स्पाइस को हैंगओवर उतारने के लिए खाया जाता था। पर अब इंडियन फ़ूड को देखने का लोगों का जो नजरिया बदल गया है।
फेस्टिवल ऑफ आइडियाज में इसी कड़ी में शेफ विक्की रत्नानी, सुवीर सरन और एस भट्टाचार्या के साथ इंडियन कुजीन को लेकर खास चर्चा हुई।
वही कवि अभय कुमार ने कहा कि जी-20 का ध्यय वाक्य है वसुधैव कुटुंबकम। वसुधा मतलब होता पृथ्वी। ऐसा विचार दुनिया में कहीं नहीं हो सकता है। जब हमारा संसद बन रहा था तो सेंट्रल हॉल में इसे लिखा गया। कोविड-19 के दौरान, भारत की वैक्सीन आपूर्ति वसुधैव कुटुंबकम का व्यावहारिक उदाहरण है।
अश्विन संघी ने कहा कि 1947 के बाद से हम देखने लगे जैसा भारत सिर्फ एक जमीन का टुकड़ा है। अगर हम रामायण तो देखे 300 तरफ के रामायण है। मैं यह कहना चाहता हूं यह कहना आसान है कि यह 300 तरफ तो यह झूठ है। मैं यह कहना चाहता हूं की यह सभी 300 राम के लिए लिखा जो हुए ही नहीं। मैं यह नहीं मान सकता।
इसी कड़ी में कथावाचक अश्विन संघी, कवि अभय कुमार शमिल हुए। अप्रा कुचल ने इस सत्र का संचालन किया। इस सत्र में सांस्कृतिक सॉफ्ट पावर में चर्चा हुई।
विनय सहस्रबुद्धे से पूछा गया कि पुराने भारत में लिबरल होने बहुत अच्छा माना जाता था। आज लिबरल होने का बहुत बुरा माना है। आज भारत का विचार क्या है जो आप देखते है। इस पर विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि जो पूरे चीज का कोर है वह नहीं बदला, यह समझना (Festival Of Ideas) का तरीका है। कई बार नेता अपने हिसाब से समझते है जो उन्हें अच्छा लगता है वह उस हिसाब से सोचते है। भारत के कई विचार है और उसे समझने का भी एक तरीका है। लेकिन एक लोकतंत्र में रहते है। लोकतंत्र किसी के लिए कुछ भी नहीं होता। हर बात का एक कोर होता है। इसलिए मैं समझता है की भारत का विचार एक है।
पूर्व जदयू नेता और राजनयिक पवन वर्मा ने कहा कि मैं नहीं समझता का सभी का भारत का विचार एक है। हम सभी भारत के प्रति समर्मित है लेकिन हमारा विचार अलग हो सकता है। भारत एक राष्ट्र है और एक सभ्यता भी है। भारत एक आधुनकि राष्ट्र और दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है।
इसी कड़ी में ‘भारत के कई विचार’ मुद्दे पर चर्चा की गई। इसमें बीजेपी नेता (Festival Of Ideas) विनय सहस्रबुद्धे, पूर्व जदयू नेता और राजनियक पवन वर्मा और लेखक विक्रम सम्पत शामिल हुए। इस सत्र का संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रिया सहगल की तरफ से किया गया।
मुझे अच्छे से याद है कि गोलवलकर बेहद ही दयालु थे। जिस तरह मैंने उनके बार में सुना था कि वह बेहद ही कम बात करने वाले हैं, मगर ऐसा कुछ नहीं था। मगर मैं एक एकेडिमक बैकग्राउंड से आता हूं। जिसमें लोग सख्त और दयालु दोनों होते हैं और ये दोनों ही खुबियां उनके अंदर थीं। जिस वजह से मुझे लगा कि मैंने उनके बारे में गलत मानसिकता बना रखी थी। जिस कारण मैं कुछ समय रूका और सोचा कि क्या ये वहीं हैं जिनके बार में मैं सोच रहा था।
दिल्ली विश्वविद्यालय में RSS का एक मेंबर था जिसने मेरे पास आकर कहा कि इस दिन इस घंटे तुम्हारे को एक गाड़ी लेने आएगी। जो आपको मुंबई लेकर जाएंगे। मुझे याद है कि सुबह के 6 बज रहे थे और मैं सुबह 5 बजे से तैयार बैठा था कि वह मुझे 6 बजे लेके जाएंगे। मुंबई में एक इंसान सबसे ज्यादा मेरे पास था जो मेरे साथ गोलवलकर से मिलने गया था। जहां हम कुछ समय रहे और फिर हमें लेबर लीडर के घर ले जाया गया। जो कि RSS द्वारा एफिलिएटेड था। यहां से हमको गोलवलकर से मिलने के लिए ले जाया गया था।
जिस कारण उन्हें लगा कि समय और मुसीबत के लिए एक ऐसे इंसान की जरूरत है जो हर चीज को ऑर्गनाइज करके रखे। अमेरिकन ऑथर वाल्टर के. एंडरसन ने कहा कि उन्हें पर्सनली भी फील किया जैसे उन्होंने पहले रूल्स ऑफ के बारे में मेनशल किया। उन्होंने कहा कि यहां बैठे लोगों में से कोई न कोई उनके बारे में जानता ही होगा कि उन्होंने कहा कि जब वह दिल्ली विश्वविद्यालय में थे तब RSS को एक साथ बांध रखा था। लोगों में एकजुट्टा बनाए रखी थी। मैं पर्सनली भी हर महीने उनसे मिलता था। इस दौरान हम फिलॉसफी के बारे में बात करते थे। उन्होंने एक दिन मुझे बोल कि क्या वो गोलवलकर से मिलना चाहते हैं। मैंने बोला हां मैं उनसे जरूर मिलना चाहूंगा।
उन्होंने RSS और हिन्दुत्व को लेकर कहा कि लोगों को लगता है कि आरएसएस सिर्फ हिन्दुत्व पर ही काम करता है। मगर उस दौरान वह सभी हिंन्दुओं को एकजुट कर रह थे, लेकिन अब क्रिश्चियन और मुस्लिम को भी जोड़ने का काम कर रहे हैं। वाल्टर के. एंडरसन ने कहा कि आज के समय में जो RSS के प्रेसिडेंट हैं वो मुस्लिम और क्रिश्चियन की बात करते हुए हिंदुत्व को बढ़ावा भी देते हैं। ये बिल्कुल इसी तरह है जैसे दो देशों के लोग होते हैं। इसके साथ उन्होंने मुस्लिम और क्रिश्चियन को भी हिंदू बताया है। उन्होंने कल्चर के तौर पर मुस्लिम और क्रिश्चियन को भी हिंदू बताया है न कि रिलीजिन के तौर पर। इसी लिए उस समय गोलवलकर को चुना गया था। क्योंकि वह एक रिलीजियस पर्सन थे। साथ ही वह एक अच्छे ऑर्गनाइजर भी थे।
अमेरिकन ऑथर वाल्टर के. एंडरसन ने उस समय के आइडिया के बारे में बात करते हुए कहा कि समय यात्रा काफी करीब आ रहे थे। इसलिए उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी। जो काम को लेकर डेडिकेटेड हो। इसीलिए एम एस गोलवलकर को इसके लिए सिलेक्ट किया गया। क्योंकि वह बहुत ज्यादा अलग थे। क्योंकि वह बेहद ही अलग थे। वो धर्म को मानते थे, लेकिन वह इतने ज्यादा धार्मिक भी नहीं थे।
आज इसी दिशा में ITV नेटवर्क की चेयरपर्सन और द संडे गार्जियन फाउंडेशन की निदेशक डॉ ऐश्वर्या पंडित शर्मा ने अमेरिकन ऑथर वाल्टर के. एंडरसन के साथ RSS और हिन्दुत्व को लेकर बातचीत की। उन्होंने कहा कि तीसरी शताब्दी के समय के बार में बात करते हुए कहा कि उस दौरान डॉ दत्तात्रय देवरस थे जिन्होंने RSS को छोड़ दिया था। क्योंकि उन्होंने ऐसा लगा कि इसे छोड़कर आगे बढ़ने में ही सफलता मिल सकती है।
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