India News(इंडिया न्यूज़), Abhijeet Bhatt,Gujarat News: मुकुल वासनिक को ऐसे वक्त में गुजरात कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया है जब राज्य में पार्टी बेहद कमजोर है, पार्टी के पास एक भी लोकसभा सीट नहीं है, तो वहीं विधानसभा में पार्टी के पास 182 में से सिर्फ 17 सीटें हैं। ऐसे में शक्ति सिंह गोहिल के साथ मिलकर बीजेपी को उसके सबसे मजबूत गढ़ में घेरना वासनिक के लिए बड़ी चुनौती है, देखना यह है कि वासनिक इस मोर्चे पर कितना खरा उतर पाते हैं, वासनिक से पहले कांग्रेस राज्य में रघु शर्मा, राजीव सातव, अशोक गहलोत, मोहन प्रकाश झा, बीके हरिप्रसाद गुरुदास कामत पर दांव लगा चुकी है। 2017 के विधानसभा चुनाव को छोड़कर बाकी सभी चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है। 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने 182 में से 77 सीटें जीतीं और अच्छा प्रदर्शन किया।
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक को गुजरात का प्रभारी नियुक्त किया है, गुजरात के प्रभारी बनने से पहले वासनिक ने देश के कई राज्यों की कमान संभाली है। अब तक राजस्थान के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा गुजरात के प्रभारी थे, मुकुल वासनिक राज्यसभा के सदस्य हैं। वासनिक को गुजरात भेजना कांग्रेस की बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। कांग्रेस पार्टी ने जून में राज्य की बागडोर राज्यसभा सांसद शक्तिसिंह गोहिल को सौंपी थी, तब इस बात पर चर्चा हुई थी कि क्या शक्ति सिंह गोहिल को राज्य में पूरी ताकत के साथ काम करने दिया जाएगा? वासनिक के प्रभारी बनने का पहला बड़ा संकेत यह है कि राहुल गांधी आने वाले दिनों में गुजरात में पूरी तरह सक्रिय होने वाले हैं, चाहे शक्तिसिंह गोहिल हों या मुकुल वासनिक, दोनों ही नेता राहुल गांधी के साथ सीधी ट्यूनिंग में हैं, ऐसे में जहां भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण गुजरात से शुरू करने की चर्चा है, वहीं वासनिक को गुजरात के लिए नियुक्त किया गया है।
गुजरात में लोकसभा की 26 सीटें है। पीछले दोनो चुनाव मे गुजरात में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया हुआ है, हालांकी 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पास 11 सीटें थीं, पार्टी के लिए 2024 के चुनाव में खाता खोलना एक बडी चुनौती माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिला है तो प्रभारी भी नया मिलना चाहिए। अभी तक राजस्थान के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डा. रघु शर्मा प्रभारी बने हैं. किसी मजबूत नेता की नियुक्ति के बाद ही गुजरात कांग्रेस में कुछ किया जा सकता है, अन्यथा 2024 में भी कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ सकता है। उनकी पार्टी में अभी तक कोई अनुशासन नजर नहीं आ रहा है, भाजपा में संगठन की इजाजत के बिना कोई बयान नहीं दे सकता, जबकि कांग्रेस में हर कोई नेता हर मुद्दे पर बोलने को उत्सुक रहता है।
गुजरात मे कांग्रेस की एसी हालात देखकर कह सकते है की क्या 2024 में गुजरात में कांग्रेस पार्टी और I.N.D.I.A. गठबंधन बीजेपी के हैट्रिक को रोक पायेगा? यह अहम सवाल आज पूरे देश समेत प्रदेश में चल रहा है, हालांकी उसको मजबूत करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन राजनीतिक रूप से सबसे चर्चित राज्य गुजरात में कांग्रेस पर उसका कोई असर दिखने को नही मिल रहा है। कांग्रेस पार्टी द्वारा राज्य की कमान राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता शक्तिसिंह गोहिल को सौंपे जाने के बाद पार्टी के आलाकमान का यह मानना था कि लोगों के मन में अच्छी छवि रखने वाले शक्तिसिंह गोहिल के नेतृत्व में पार्टी एकजुट होगी? शक्ति सिंह के कमान संभालने के बाद भी पार्टी में गुटबाजी साफ नजर आ रही है। शक्ति सिंह गोहिल द्वारा संगठन को मजबूत करने के लिए किए जा रहे प्रयासों को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का किसी प्रकार का सहयोग नहीं मिल रहा, हालांकी गुजरात कांग्रेस की खस्ता हालात के लिए खुद उसके ही नेता जिम्मेदार है, क्योंकी गुजरात कांग्रेस में जितने नेता उतने गुट कहा जा रहा है और वह देखने को भी मिल रहा है।
कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक सबसे कम उम्र के सांसद थे जब वह 1984 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए थे तब उनकी उम्र महज 25 साल थी। भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके वासनिक को गुजरात भेजने का पहला बड़ा कारण अगले पांच-छह महीनों में कांग्रेस संगठन को मजबूत करना और पार्टी में गुटबाजी को खत्म कर लोकसभा चुनाव की तैयारी करना है, वासनिक खुद एक छात्र नेता होने के अलावा यूपीए 2 सरकार में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री भी रह चुके हैं। ऐसे में अब उन पर गुजरात में कांग्रेस को सत्ता में लाने का काम है।
मुकुल वासनिक को गुजरात की अच्छी समझ है, हाल के दिनों में महाराष्ट्र से आए राजीव सातव के बाद वह दूसरे प्रभारी हैं, इसके अलावा सबसे बड़ी बात यह है कि वासनिक और शक्तिसिंह गोहिल के बीच अच्छी बनती है। ऐसे में उम्मीद है कि गुजरात कांग्रेस को लेकर फैसला न होने की शिकायत दूर हो जाएगी, दोनों नेताओं की केंद्रीय नेतृत्व तक सीधी पहुंच है और दोनों टीम राहुल का हिस्सा हैं। वासनिक मध्य प्रदेश के अलावा केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और लक्षद्वीप के भी प्रभारी रह चुके हैंस, वासनिक की नियुक्ति से गुजरात कांग्रेस के साथ-साथ कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई और भारतीय युवा कांग्रेस को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
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