India News ( इंडिया न्यूज), Abhijit Bhatt, Gujarat News: गुजरात विधानसभा में पब्लिक यूनिवर्सिटी बिल बहुमत से पारित हो गया है, इस विधेयक के लागू होते ही राज्य के 11 विश्वविद्यालय एक ही कानून के तहत संचालित होंगे। गुजरात विधानसभा में पब्लिक यूनिवर्सिटी बिल पर 12 से ज्यादा विधायकों ने अपनी राय रखी, विधानसभा में पब्लिक यूनिवर्सिटी बिल पर करीब 5 घंटे तक बहस चली, हालांकि कांग्रेस ने बिल को लेकर सरकार पर सवाल उठाए, कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य में 11 यूनिवर्सिटी के अलावा 100 प्राइवेट यूनिवर्सिटी हैं, हम चाहते हैं कि इन सभी यूनिवर्सिटी को इस बिल के दायरे में लाया जाए।
दीपक की रोशनी में पढ़ाई करके पहुंचे है विधानसभा
कांग्रेस के अर्जुन मोढवाडिया ने कहा कि इस बिल को लेकर हमें ऋषिकेष पटेल से काफी उम्मीदें थीं, शिक्षा किसी का क्षेत्र नहीं है। गुजरात में विश्वविद्यालय के अनुदान के अनुसार चांसलर की नियुक्ति नहीं की जाती है। कॉमन यूनिवर्सिटीज़ एक्ट में कहा गया था कि मंत्री ऋषिकेश एक क्रांतिकारी बिल लेकर आएंगे, यदि आप विश्व का मित्र बनना चाहते हैं, तो आप वाणी से ऐसा नहीं कर सकते। विद्या को कोई गुलाम नहीं बना सकता वह स्वतंत्र है। विद्या ज्ञानवर्धक है, हम सभी दीपक की रोशनी में पढ़ाई करके विधानसभा पहुंचे हैं। यह विधेयक सीनेट प्रणाली को समाप्त कर देगा। कोई भी युवा नेता मंत्री नहीं बन सकता, इस बिल का मतलब यह नहीं है कि अब कोई विद्वान बन जायेगा।
हमारी यूनिवर्सिटी का विदेशों में भी बढ़ेगा मान
हार्दिक पटेल ने कहा कि इस बिल से सबसे बड़ा फायदा गांव के लोगों को यूनिवर्सिटी को है, इस बिल से विदेश में पढ़ाई करने जाने वाले छात्रों को फायदा होगा। इस बिल से NAEC की मान्यता जरूरी हो जाएगी, जिससे हमारी यूनिवर्सिटी का मान विदेशों में भी बढ़ेगा, पहले अगर गांव के युवा यूनिवर्सिटी में दाखिला लेना चाहते थे तो छात्र नेताओं को पैसे देने पड़ते थे, यह बिल पैसे से एडमिशन नहीं बल्कि सभी छात्र नेताओं की दुकानें बंद करने वाला है। पहले एक यूनिवर्सिटी से दूसरी यूनिवर्सिटी में जाने के लिए एनओसी की जरूरत होती थी, अब एनओसी लेने की जरूरत नहीं।
अधिनियम के महत्वपूर्ण प्रावधान (अलग से बाॅक्स बना सकते है)
– विश्वविद्यालय के कुलाधिपति का कार्यकाल पाँच वर्ष का होगा
– एक कार्यकाल पूरा होने के बाद 5 साल के लिए दूसरे विश्वविद्यालय का चांसलर दोबारा नियुक्त किया जा सकता है
– प्रबंधन बोर्ड, कार्यकारी परिषद और अकादमिक परिषद विश्वविद्यालय के प्रशासन और प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे
– इस अधिनियम से 11 विश्वविद्यालयों में प्रवेश, अध्ययन एवं परीक्षा प्रणाली में एकरूपता आयेगी
महामहिम राज्यपाल राज्य के 10 सार्वजनिक विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होंगे
– शुभांगिनी राजे गायकवाड़ एमएस यूनिवर्सिटी, वडोदरा में चांसलर और प्रबंधन बोर्ड की अध्यक्ष होंगी
– शिक्षकों, प्राचार्यों, विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों, अध्यक्षों की नियुक्ति में 33% महिला सदस्यों का प्रावधान किया गया है
– विश्वविद्यालयों में सीनेट और सिंडिकेट के स्थान पर प्रबंधन बोर्ड कार्य करेगा
– विश्वविद्यालय अपने सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन से नए कार्यक्रम, नए पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए स्वायत्त होगा। विश्वविद्यालय छात्रों को बाहरी के रूप में डिग्री प्रदान कर सकता है। ऑनलाइन कोर्स तैयार कर सकते हैं, दूरस्थ पाठ्यक्रम भी संचालित कर सकते हैं
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