इंडिया न्यूज़ (रांची): झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्थर खदान आवंटन मामले में आज चुनाव आयोग के सामने पेश होना है ,इससे पहले दो बार इस मामले में हेमंत सोरेन अलग अलग करना बता कर पेश नहीं हुए थे,सबसे पहले उन्हें 31 मई और फिर 14 जून को पेश होना था लेकिन दोनों ही बार सोरेन पेश नहीं हुए थे,आज पेश होने के मसले पर चुनाव आयोग से सोरेन ने यह कहते हुए समय माँगा था की उनके वकील की तबियत ख़राब है इसपर चुनाव आयोग ने और समय देने से इंकार करते हुए आज पेश होना का समय हेमंत सोरेन को दिया है.
क्या है पत्थर खदान आवंटन मामला
10 फरवरी 2021 को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रघुवर दास ने यह आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राँची जिले के अनगौड़ा मौजा की पत्थर खदान,थाना नंबर 26,खदान नंबर 18,प्लॉट 482 का लाइसेंस खुद से खुद को आवंटित कर लिया है,क्योंकि सोरेन मुख्यमंत्री के साथ राज्य के खनन मंत्री भी है तो सीधे सीधे उंगली उन पर उठी ,रघुवर दास ने कहाँ की यह भारतीय दंड संहिता की धारा 169 के तहत अपराध है और लोक प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 9 का इस्तेमाल करते हुए हेमंत सोरेन की विधान सभा की सदस्यता और सरकार को बर्खास्त करना चाहिए.
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) की धारा 169 के अंतर्गत जो कोई लोक सेवक होते हुए और ऐसे लोक सेवक के नाते इस बात के लिए वैध रूप से आबद्ध होते हुए कि वह अमुक सम्पत्ति को न तो क्रय करे और न उसके लिए बोली लगाए, या तो अपन निजी नाम से या किसी दूसरे के नाम से, अथवा दूसरों के साथ संयुक्त रूप से, या अंशों में, उस सम्पत्ति को क्रय करेगा, या उसके लिये बोली लगायेगा तो यह धारा 169 के अंतर्गत दंडित किया जाएगा। जिसके लिए वह दंड व जुर्माने का भागीदार होगा.
जबकि लोक प्रतिनिधि अधिनियम की धारा 9(A) कहती है कि कोई व्यक्ति, जिसने भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन पद धारण किया हो, भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता के लिए बर्खास्त किया गया हो, ऐसी बर्खास्तगी की तारीख से पांच साल की अवधि के लिए अयोग्य होगा.
11 फरवरी 2021 को भाजपा का प्रतिनिधि मंडल राज्यपाल रमेश बैस से मिला और करवाई की मांग की ,राज्यपाल ने कागज़ भारतीय निर्वाचन आयोग की तरफ बढ़ा दिया,वही इस मामले की सुनवाई झारखडं हाईकोर्ट में भी हो रही है,इससे पहले 24 जून को कोर्ट में सुनवाई हुए थी,अगली सुनवाई 30 जून हो होनी है ,इसक मामले में झारखडं सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गई थी,17 जून को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था की पहले झारखण्ड हाईकोर्ट फैसला दे फिर हम इस मामले को सुनेगे.