India News (इंडिया न्यूज़), Sachin Arora, Himachal News: हिमाचल इन दिनों भयानक आपदा का दंश झेल रहा है, प्रदेश में 24 जून से लेकर अब तक 335 लोगों की मौत हो चुकी है। कई लोग अब भी लापता हैं 8 हज़ार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। जिस वक़्त आपदा आई उस वक़्त हज़ारों पर्यटक हिमाचल में थे। सरकार ने रेस्क्यू टीमों की मदद से ज्यादातर पर्यटकों को सुरक्षित निकाल लिया। इनमें 200 पर्यटक वो भी थे जो लाहौल और स्पीति में 14,100 फ़ीट उचाई पर चंद्र ताल झील के पास फंसे थे। ऐसी आपदा के वक़्त यहां पहुंचना न केवल मुश्किल था, बल्कि जान जोखिम में डालने वाला था। इस बेहद कठिन ऑपरेशन को अंजाम दिया गया और सभी को सुरक्षित निकाल लिया गया। लेकिन चंद्रताल में ऐसा क्या है कि लोग अपनी जान जोखिम में डाल कर यहां तक पहुंचते हैं।
हिन्दुस्तान में एक तरफ़ चंद्रयान का काउंटडाउन चल रहा है, ठीक उसी वक़्त चंद्रताल की भी चर्चा है। रहस्यों से भरी बेहद खूबसूरत चन्द्रमा के आकार की चंद्रताल झील पर्यटकों को रिझाती रही है, कुछ साल पहले वहां जाना हुआ तो कुछ पलों के लिए मैं भी सुध-बुध खो बैठा। यदि आप सोचते हैं कि कुल्लू, मनाली, शिमला, धर्मशाला, मैक्लोडगंज और डलहौजी जाकर आपने हिमाचल प्रदेश का सबसे आकर्षक पक्ष देखा है, तो फिर मैं आपको बता दूं कि ये तो बस शुरुआत है। मनाली से जब आप 4300 मीटर की ऊंचाई पर चढ़ते हैं तो आपको हिमाचल के सबसे गुप्त रहस्य चंद्रताल झील का पता चलता है, स्पीति घाटी में पहाड़ों के बीच बनी यह चंद्रमा के आकार की झील किसी भी प्रकृति प्रेमी के लिए निर्वाण के समान है, झील इतनी साफ है कि जब आप पानी में देखेंगे तो आपको लगेगा कि आप किसी बेदाग शीशे को देख रहे हैं।
टेम्पर्ड ग्लास स्क्रीन जैसा दिखती है, पानी के नीचे की दुनिया, रंग बदलता आसमान अपने फूले हुए सफेद बादलों और विशाल पहाड़ों के साथ एक ऐसा चित्रपट बनाता है, जो आपको मदहोशी में डाल देगा। आपकी सांसें थम जाएंगी, नीले बेल के फूल और हरे पतले पेड़ एक दृश्य भ्रम पैदा करते हैं कि आप एक एनिमेटेड फिल्म के बीच में खड़े हैं, ये झील अर्धचांद की तरह दिखाई देती है, जिसे लोग ‘चांद की झील’ के नाम से पुकारते हैं। इस झील का पानी इस कदर साफ है कि इसका पानी शीशे की तरह चमकता है।
चंद्र ताल जितनी खूबसूरत है उतनी ही रहस्यों से भरी हुई है, स्थानीय निवासियों की माने तो रात को इस झील में परियां आती हैं और इसके भीतर उन्हीं का लोक बसा है। इस झील को वो बेहद पवित्र मानते हैं और इसके अंदर जाने की किसी को भी इजाजत नहीं है, इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। लोककथाओं के अनुसार एक चरवाहा था जो शुद्ध हृदय का व्यक्ति था, टूटते तारे की तरह अचानक ही एक जलपरी उसके सामने प्रकट हो गई, उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वो क्या देख रहा है, इससे पहले कि वह ये तय कर पाता कि यह हकीकत है या सपना, उसे जलपरी ने अपनी दुनिया में आमंत्रित किया, पानी के नीचे के खूबसूरत महलों और परियों की दुनिया से आश्चर्यचकित हो गया, जलपरी ने उसे शपथ दिलाई कि वह इस बारे में किसी को नहीं बताएगा अन्यथा वह मर जाएगा। उसके बाद वो चरवाहा अपने गांव गया उसने अपने इस आलौकिक अनुभव को सबको बताया, कहते हैं कि अगले दिन वो चरवाहा मृत पाया गया, इन्हीं रहस्यों से खुद को दो चार करने और धरती पर स्वर्ग की सुंदरता का आभास करने सैलानी चंद्रताल आते हैं।
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