India News (इंडिया न्यूज), Himachal News: हिमाचल प्रदेश में 300 गांव आज भी सड़क से नहीं जुड़ पाए हैं। इसकी वजह यह है कि इन गांवों में सड़कों के लिए आवश्यक भूमि लोक निर्माण विभाग (PWD) के नाम नहीं की गई है। इसके साथ ही कई परियोजनाओं को फॉरेस्ट क्लियरेंस नहीं मिल पाई है। इस कारण सड़क निर्माण कार्य आधे में लटक गया है।

PWD के नाम गिफ्ट डीड होगा करना

प्रदेश सरकार ने पंचायतों से कहा है कि वे इन समस्याओं का समाधान करें ताकि सभी गांवों तक सड़क सुविधा पहुंच सके। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब यदि सड़क निर्माण में गांव के किसी निवासी की भूमि आती है, तो उसे PWD के नाम गिफ्ट डीड करना होगा। इसके बाद ही उस सड़क का विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार होगा।

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जनजातीय क्षेत्रों के गांवों को प्राथमिकता

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का चौथा चरण शुरू होने वाला है। इस चरण में खासतौर पर जनजातीय क्षेत्रों के गांवों को प्राथमिकता दी जाएगी। पहले की योजना में लोगों से शपथ पत्र लेकर सड़क निर्माण किया जाता था, परंतु कई बार लोग अपनी बस्ती सड़क से जुड़ने के बाद आगे का काम रुकवा देते थे।

राज्य के सभी छोटे-बड़े गांव सड़क से जुड़ें

हिमाचल सरकार का लक्ष्य है कि राज्य के सभी छोटे-बड़े गांव सड़क से जुड़ें। पिछले डेढ़ साल में सरकार ने 17,882 बस्तियों में से 15,561 को सड़कों से जोड़ने में सफलता पाई है। कुछ सड़कें नाबार्ड के सहयोग से तो कुछ प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तीसरे चरण में बनी हैं। अब चौथे चरण के तहत उन गांवों को भी जोड़ा जाएगा जो पिछले चरणों में छूट गए थे।

काम समय पर हो पूरा

लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ नरेंद्र सिंह पॉल ने बताया कि सभी चार जोन के चीफ इंजीनियर को निर्देश दिए गए हैं कि सड़क निर्माण में आने वाली भूमि को गिफ्ट डीड कराएं ताकि काम समय पर पूरा हो सके।

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