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महंगा हो सकता है होम लोन, इन तरीकों से कम कर सकते हैं बोझ Home Loans Can Be Expensive

महंगा हो सकता है होम लोन, इन तरीकों से कम कर सकते हैं बोझ Home Loans Can Be Expensive

इंडिया न्यूज:
इन दिनों बढ़ती महंगाई से जनता वैसे भी परेशान है। ऊपर से अगर आप घर खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं। जरा सोच समझकर करिए। क्योंकि इस साल होम लोन महंगे हो सकते हैं। बता दें कि होम लोन की ब्याज दरें साल 2019 से घट रही हैं। रिजर्व बैंक ने 2020 से रेपो रेट 4 फीसदी पर स्थिर रखा है। अब तक एक बार भी इसमें बढौतरी नहीं की गई है। यही वजह है कि पात्रता हो तो 6.40 फीसदी दर पर होम लोन मिल सकता है। दर्जनों बैंक और फाइनेंस कंपनियां 7 फीसदी से कम दर पर लोन दे रही हैं। लेकिन महंगाई लगातार बढ़ रही है। ऐसे में लोन लंबे समय तक उतने सस्ते नहीं रहेंगे, जितने अभी हैं। बताया जा रहा है इस साल नीतिगत ब्याज दरें बढ़ेंगी।

कितना महंगा होगा होम लोन?

मान लीजिए कि आपने 20 साल के लिए 6.50 फीसदी ब्याज दर पर होम लोन लिया है। इस लोन के हर एक लाख रुपए के मूलधन पर आप करीब 79,000 रुपए का ब्याज चुकाएंगे। यदि लोन की ब्याज दर 0.25 फीसदी बढ़ कर 6.75 फीसदी हो जाती है, तो आपका ब्याज करीब 82,000 रुपए हो जाएगा। अगर रेट 7 फीसदी हो गया तो ब्याज 86,000 रुपए हो जाएगा। मतलब साफ है, ब्याज दर में मामूली बढ़ौतरी भी ब्याज में हजारों रुपए का अंतर लाती है।

ईएमआई कितनी बढ़ेगी?

आम तौर पर रेट बढ़ने से आपके लोन की अवधि बढ़ जाती है और ईएमआई फिक्स्ड रहती है। उदाहरण के लिए यदि आपने 20 साल के लिए 1 लाख रुपए का लोन 6.75 फीसदी ब्याज पर लिया हो तो ईएमआई 760 रुपए होगी। लेकिन, यदि रेट 7 फीसदी हो जाए और ईएमआई वही है तो आपको 20 साल की जगह 20 साल 10 माह ईएमआई देनी होगी। लेकिन यदि लोन लेते समय ईएमआई बदलने का विकल्प चुना था तो रेट बढ़ने से आपकी ईएमआई बढ़ेगी। इस उदाहरण में आपका लोन 20 साल तक चलेगा, लेकिन ईएमआई 775 रुपए हो जाएगी।

ब्याज दर बढ़ने पर अपना सकते हैं ये विकल्प (Home Loans Can Be Expensive)

रिफाइनेंस करें: होम लोन रिफाइनेंस यानी बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प तब अपनाया जाता है जब आपके लोन की दर और मार्केट रेट में बड़ा (0.25-0.50 फीसदी) अंतर हो। मान लो कि आपका रेट 7.50 फीसदी है और बाजार में 7 फीसदी पर लोन मिल रहा है। ऐसे में बैलेंस ट्रांसफर लाभदायी होगा है। ऐसी स्थिति में यदि आपके लोन के 20 साल बाकी हों तो हर 1 लाख रुपए के लोन पर करीब 7,400 रुपए की बचत होगी। लेकिन बैलेंस ट्रांसफर तभी सही फैसला होगा, जब आधी से ज्यादा लोन अवधि बाकी हो। ट्रांसफर के खर्चे भी होते हैं, मसलन प्रोसेसिंग फीस और एमओडी चार्जेस।

ईएमआई बढ़ाएं: समय के साथ आपकी आय बढ़ेगी, लेकिन ईएमआई स्थिर रहेगी। पर आप स्वेच्छा से ईएमआई बढ़वा सकते हैं। अतिरिक्त ईएमआई लोन की मूलधन कम करेगी। इससे आपका लोन जल्द चुकेगा। लोन की अवधि कम होने लगेगी। यह तरीका छोटे-छोटे प्री-पेमेंट की तरह है। उदाहरण के लिए 7 फीसदी ब्याज पर 20 साल के लिए 30 लाख रुपए के लोन की ईएमआई करीब 23,000 रुपए होगी। यदि आप दूसरे साल से इसे बढ़ाकर 26,000 रुपए कर देंगे तो 3 ईएमआई कम हो जाएगी। ब्याज भी 25.96 लाख रुपए से घटकर 25.10 लाख रुपए रह जाएगा।

प्री-पेमेंट करें: ब्याज दर बढ़ने की सूरत में अगर आप ईएमआई बढ़ाना नहीं चाह रहे तो आपके पास तीसरा विकल्प है। आप साल में कम से कम एक बार प्री-पेमेंट कर सकते हैं और लोन का मूलधन घटा सकते हैं। ज्यादातर बैंक और फाइनेंस कंपनियां चाहेंगी कि आप ईएमआई की कम से कम 1 से 2 गुनी रकम का प्री-पेमेंट करें। उदाहरण के लिए यदि आपने 7फीसदी की दर पर 20 साल के लिए 30 लाख रुपए का होम लोन ले रखा है और शुरूआत में ही 50,000 रुपए का प्री-पेमेंट कर देते हैं तो 7 ईएमआई कम हो जाएंगी और ब्याज 25.96 लाख से घटकर 24.48 लाख रुपए रह जाएगा।  (Home Loans Can Be Expensive)

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Suman Tiwari

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