समय है कम, काम ज्यादा, साबित करनी होगी काबलियत
फरवरी 2022 के विधानसभा चुनाव का रोडमैप तैयार करने की चुनौती
इंडिया न्यूज, लुधियाना:
पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के लिए आगामी समय काफी चुनौतीपूर्ण होगा और आगामी तीन चार महीनों में इन्हें अपने कार्यों द्वारा सरकार की कारगुजारी को साबित करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी सरकार ने शपथ ग्रहण करने के पश्चात ही अपने अंदाज दिखाने शुरू कर दिए है और कुछ ही घंटों में 1995 बैच के आईएएस अधिकारी हुसन लाल को मुख्यमंत्री का प्रिंसिपल सेकेट्री बना दिया गया, जबकि स्पेशल सेकेट्री के तौर पर राहुल तिवारी को नियुक्त कर दिया गया। मौजूदा हालातों को देखते हुए ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं चन्नी-सिद्धू जोड़ी की नई सरकार आगामी समय में बहुत बड़े स्तर पर प्रशासनिक तब्दीलियां कर सकती है। जिनमें कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को कई बड़ी जिम्मेदारियां मिल सकती हैं और लोगों में चर्चा है कि पंजाब के पुलिस प्रमुख को भी बदला जा सकता है। इस चर्चा में सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को नया डीजीपी बताया जा रहा है। इसके अलावा 1988 बैच की रवनीत कौर को मुख्य सचिव की जिम्मेदारी मिल सकती है। सूत्रों के मुताबिक पुलिस प्रशासन में नीचे से ऊपरी स्तर तक काफी बड़े बदलाव आने की संभावना है।
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सरकार के सामने ये बड़ी चुनौतियां
इस सरकार को आगामी समय में कई चुनौतियों पर पार पाना होगा। जिनमें मुख्य रूप से नशा और बेअदबी मुद्दे शामिल हैं। क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर इन कार्यों के लिए ढीलापन होने के आरोप लगे थे। वही कच्चे मुलाजिमों को पक्का करना, युवाओं को नौकरियां देना, हड़ताल कर रहे कर्मचारियों की समस्याएं हल करना आदि भी प्रमुख तौर पर शामिल हैं। वही राज्य में लॉ एंड आर्डर व्यवस्था को कायम रखना भी इस समय प्रमुख चुनौतियों में शामिल है। क्योंकि आगामी 6 महीने चुनावों के लिए अहम है और इस स्थिति में लॉ एंड आॅर्डर की स्थिति को कायम रखना बेहद जरूरी है। गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में पंजाब में टिफिन बम , ड्रोन आदि से काफी दहशत का माहौल व्याप्त हुआ है और लगातार करोड़ों की नशा तस्करी भी पकड़ी जा रही है।