India News (इंडिया न्यूज़), Rana Yashwant, बातों बातों में : मुंबई में ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक होने जा रही है। लेकिन अभी तक जो बड़े प्रश्न हैं, उन पर कोई बात होता दिख नहीं रहा है। दो दिन बैठकर सारे मामले सुलझा लिए जाएंगे, यह नामुमकिन तो नहीं लेकिन बहुत मुश्किल जरुर है। गठबंधन का संयोजक कौन होगा? क्या यूपीए में जैसे चेयरमैन की जगह थी, ‘इंडिया’ मोर्चे में चेयरमैन होगा? कांग्रेस औऱ खासकर राहुल गांधी की भूमिका क्या होगी? इसतरह के कई बड़े और जरुरी प्रश्न हैं जो इस मोर्चे के सामने चुनौती की तरह हैं।
अंदरखाने का खेल ऐसा है कि किसके मन में क्या है, यह समझना आसान नहीं है। नीतीश कुमार अब बार बार कह रहे हैं कि उनको कोई पद नहीं लेना, उनकी कोशिश बस इतनी है, कि सब लोग साथ आ जाएं। इससे पहले ये चर्चा गर्म थी कि मोर्चे का संयोजक नीतीश कुमार को बनाया जा सकता है, फिर आगे वे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं, लेकिन लालू प्रसाद यादव ने मन के लड्डू पर यह कहकर घासलेट डाल दिया कि मुंबई की बैठक में तीन राज्यों पर एक-एक संयोजक बनाया जाएगा यानी कई संयोजक होंगे।
लालू प्रसाद के मुताबिक गठबंधन के दलों के बीच तालमेल बेहतर रहे इसलिए ऐसा करना जरुरी है। जाहिर है नीतीश कुमार बिदक गए हैं। उनकी पार्टी के नेता तो उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बता रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार ने अपनी लाइन पकड़ ली है- कुछ नहीं बनना, सबको बस एकजुट करना है, लेकिन उन्हें यह समझ आ रहा है कि लालू प्रसाद यादव उनकी राह रोकने के लिए हर जरुरी हथियार आजमाएंगे।
उधर महाराष्ट्र जहां की राजधानी मुंबई में बैठक होनी है, वहां एनसीपी नेता शरद पवार की स्थिति ही साफ नहीं है, वे कभी कहते हैं कि उनकी पार्टी टूटी नहीं है, कभी वे पुणे में एक कारोबारी के घर अजित पवार के साथ चार घंटे बैठक करते हैं, कभी शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले कहती हैं कि अजित पवार उनकी ही पार्टी के नेता हैं, इसतरह से एक भ्रम की स्थिति बनी हुई है। पवार को लेकर संशय के कारण ही कांग्रेस औऱ शिवसेना यह कह तो रही हैं कि पवार गठबंधन के साथ हैं, लेकिन वे यह भी चाहती हैं कि पवार से स्थिति साफ करवा ली जाए, माना जा रहा है कि 31 अगस्त को जिस रोज गठबंधन के नेताओं की अनौपचारिक बैठक है, उस रोज शरद पवार से स्थिति साफ करने को कहा जाएगा। माना जा रहा है कि कांग्रेस, टीएमसी और समाजवादी पार्टी के सामने पवार को अपना पक्ष रखना पड़ सकता है।
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में सांप नेवले का रिश्ता है, और कांग्रेस के कई नेता अरविंद केजरीवाल के साथ किसी भी कीमत पर हाथ मिलाने को तैयार नहीं दिखते, बैठक एक दिन बाद होनी है औऱ अलका लांबा ने ‘इंडिया’ मोर्चे को अरविंद केजरीवाल से आगाह करते हुए कहा कि यह कुर्सी के अलावा किसी के नहीं हो सकते, इससे पहले भी अलका ने ये कहकर आम आदमी पार्टी खेमे में खलबली मचा दी थी, कि दिल्ली की सातों सीटों पर पार्टी ने तैयारी करने को कहा है। उस रोज अलका कांग्रेस की दिल्ली चुनाव समिति की बैठक से निकली थीं, जिसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे औऱ राहुल गांधी भी मौजूद थे। अलका ने जो कुछ कहा उसका इशारा उन्हें ऊपर से नहीं मिला होगा, यह नहीं माना जा सकता, अब जो बैठक होगी, उसमें कांग्रेस औऱ आम आदमी पार्टी के बीच कितनी बनेगी, राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल एक दूसरे के साथ कबतक बैठ पाएंगे, बड़ा सवाल है,मसला यही नहीं है।
मुंबई की बैठक से पहले आम आदमी पार्टी ने बिहार में चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है, इससे बिहार के साथी दलों का मन खट्टा कर दिया है। मध्य प्रदेश, राजस्थान औऱ छत्तीसगढ ने चुनाव लड़ने की बात ‘आप’ पहले ही कह ही चुकी है, इससे कांग्रेस में खासी नाराजगी भी है, ‘इंडिया’ मोर्चा के नेताओं को लग रहा है कि वे सभी सवालों का जवाब निकाल लेंगे, लेकिन इस गठबंधन के पीछे जो मूल मंशा है वही इसकी सबसे बड़ी कमजोरी है, हर नेता मोदी को सत्ता से बाहर रखने के नाम पर साथ आने की बात तो कह रहा है मगर अधिकतर की नजर अभी से प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी स्थिति मजबूत करने पर है।
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