इंडिया न्यूज़ (गांधीनगर, industrial revolution in gujarat): औद्योगिकीकरण और औद्योगिक विकास को अधिकांशतः आर्थिक विकास का इंजन माना जाता है, लेकिन वास्तव में इसका संबंध अर्थ के साथ-साथ राज्य की सामाजिक व्यवस्था और समरसता से भी है। जब कोई राज्य अर्थ के दृष्टिकोण से सुदृढ़ हो तो सामाजिक विकास भी स्वतः ही अपना व्यवस्थित आकार लेने लगता है।
गुजरात देश का संभवतः एकलौता ऐसा राज्य है जिसने पिछले 20 साल में लगातार विकास के कई नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। गुजरात में पिछले 20 वर्षों के दौरान आए शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व ने अपने दूरदर्शी विजन, अनुशासन और निरंतर कठिन परिश्रम से गुजरात को नई बुलंदियों तक पहुँचाया है।
हालाँकि, किसी को भी सफलता रातोंरात नहीं मिलती। 20 पहले नरेन्द्र मोदी को भी गुजरात की बागडोर जब मिली तह यह राज्य कई आर्थिक चुनौतियों, सामाजिक विपदाओं और प्राकृतिक आपदाओं से घिरा हुआ था। 2002 में कच्छ के भुज में आए सदी के भयानक भूकंपों में से एक ने गुजरात की आर्थिक-सामाजिक नींव को झकझोर कर रख दिया था।
गुजरात आपदा में अवसर खोज निकालने में विश्वास करता है। तत्कालीन नरेन्द्र मोदी की सरकार ने गुजराती अस्मिता के इसी गुण के बदौलत मात्र 2-3 सालों के भीतर ही न केवल कच्छ के भुज में विश्व स्तरीय विकास किया बल्कि भुज को गुजरात के सबसे बड़े जिले कच्छ का औद्योगिक केन्द्र भी बना दिया। नरेन्द्र मोदी के इस कार्य प्रदर्शन ने उस समय ही यह संकेत दे दिए थे कि गुजरात अब न थकने वाला है और न ही रुकने वाला, वह तो नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकास की अनंत विकास यात्रा की ओर चल पड़ा है।
2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा शुरू किए गए एक अभिनव पहल ‘‘वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट’’ ने गुजरात की आर्थिक दशा और दिशा को बदलने का काम किया। देश-विदेश के निवेशकों को गुजरात में निवेश के लिए आमंत्रित करने के विषय पर आधारित यह कार्यक्रम आज पूरे विश्व में काफी लोकप्रिय है।
वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट ने गुजरात को लाखों करोड़ रुपए का निवेश दिया जिसके बाद यहाँ के औद्योगिक विकास एक नया जीवन मिला। एक ओर जहाँ गुजरात में कई नई औद्योगिक इकाइयाँ स्थापित हुईं, तो वहीं दूसरी तरफ गुजरात में लगातार रोजगार के नए-नए अवसरों का भी सृजन हुए।
वर्तमान में 28,479 फैक्ट्रियों के साथ गुजरात तमिलनाडु के बाद दूसरा सबसे बड़ा राज्य हैं जहाँ सबसे अधिक फैक्ट्रियाँ मौजूद हैं और इन्होंने राज्य के लगभग 16 लाख लोगों को रोजगार दिया है। वहीं निवेश के आँकड़े को देखा जाए तो वर्ष 2003 से लेकर अगस्त 2022 तक गुजरात ने US$ 51.19 बिलियन क्युमुलेटिव FDI प्राप्त किया है। इस प्रकार हम यदि यह कहें कि वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट ने इस राज्य में औद्योगिक विकास के नई पीढ़ी की नींव रखी, तो यह शायद अतिशयोक्ति नहीं होगा।
सार्वजनिक नीति निर्माण, उसका अंगीकरण और कार्यान्वयन किसी भी राज्य के संपूर्ण विकास की रीढ़ होती है। सरकार की नीतियाँ ही राज्य के विकास यात्रा की दिशा तय करती है। पिछले 20 सालों में गुजरात सरकार की नीतियाँ अपने-अपने समय पर समावेशी, प्रगतिशील और भविष्यवादी रही हैं। गुजरात इस बात का एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे एक नीति-संचालित प्रणाली किसी भी चुनौती को अवसर में बदलने के लिए पर्याप्त है। गुजरात का विकास और उसकी चौतरफा सफलता का रहस्य हमेशा से ही उसका नीति-संचालित राज्य में निहित रहा है।
पूर्व में श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और उसके बाद अलग-अलग शीर्षस्थ नेतृत्व ने गुजरात को ऐसी प्रगतिशील और भविष्य को ध्यान में रखकर नीतियां दी जिसने गुजरात को अधिकतर क्षेत्रों में उत्कृष्ट बना दिया है। हाल ही में भूपेन्द्र पटेल द्वारा जारी की गई नई नीतियों जैसे नई आईटी पॉलिसी, ड्रोन पॉलिसी, बायोटेक्नोलॉजी पॉलिसी, स्पोर्ट्स पॉलिसी, सेमीकंडक्टर पॉलिसी, सिनेमैटिक टूरिज़्म पॉलिसी गुजरात को उन क्षेत्रों में आगे लेकर जाएंगी जिनसे गुजरात अब तक अछूता रहा है।
गुजरात के विकास को नए पंख तब लग गए जब गुजरात के नरेन्द्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने। इसके पहले बतौर मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भलिभाँति यह जानते थे कि गुजरात ने 2014 से पूर्व तत्कालीन केन्द्र सरकार की ओर किन-किन चुनौतियों का सामना किया है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री बनते ही उन्होंने गुजरात के कई लंबित मामलों को बहुत ही कम समय में निपटारा कर दिया। भारतीय लोकतंत्र में जब एक ही पार्टी की सरकार राज्य व केन्द्र में हो तो राज्य व केन्द्र की नीतियों को लागू करने में न केवल आसानी होती बल्कि इसका प्रभावी और वैध लाभ जनता भी उठा पाती है।
डबल इंजन की सरकार के कारण आज गुजरात भारत का मोस्ट इंडस्ट्रियलाइज़्ड स्टेट बन गया है। भारत सरकार की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान देश के कुल औद्योगिक उत्पादन में 18.14 प्रतिशत के योगदान के साथ गुजरात विनिर्माण क्षेत्र में शीर्ष पर है। 2014 से 2022 तक कुल परियोजनाओं के इम्प्लीमेन्टेशन की बात करें तो इन 8 सालों में गुजरात में 1556 प्रोजेक्ट्स इम्प्लीमेन्ट हुए हैं जो भारत में आए कुल प्रोजेक्ट्स 6247 प्रोजेक्ट्स का 25% है।
यदि हम निवेश की बात करें, 2014 लेकर 2022 तक गुजरात को पिछले 8 सालों में भारत में आए कुल निवेश 31.3 लाख करोड़ में से अकेले गुजरात में ही 57 प्रतिशत यानी 17.7 लाख करोड़ रुपए का निवेश आया है। इतना ही नहीं, केन्द्र के ASI के सर्वेक्षण रिपोर्ट 2022 में भी गुजरात का दबदबा जारी है। इस रिपोर्ट के अनुसार गुजरात में फिक्स्ड कैपिटल (2012-13 में) 14.96 प्रतिशत से बढ़कर (2019-20 में) 20.59 प्रतिशत यानी 7.48 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो कि देश में सबसे अधिक है।
इसी प्रकार, भारत सरकार की BRAP 2020 रिपोर्ट में भी गुजरात ने बड़ी छलाँग लगाते हुए वह अब टॉप अचीवर्स में शामिल हो गया है। यह रिपोर्ट कहती है कि फीडबैक की कैटगरी में 90% से अधिक के स्कोर के साथ गुजरात देश में दूसरे स्थान पर है जो कि पिछली रैंकिंग से 8 पायदान की छलांग है। साथ ही, गुजरात देश के उन दो राज्यों में से एक है, जिसने DPIIT के 301 सुधारों के कार्यान्वयन का 100% अनुपालन किया है। इन सुधारों के अनुपालन के कारण ही गुजरात ने हाल के ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में टॉप अचीवर स्टेट का स्थान हासिल किया है।
इतना ही नहीं, यह डबल इंजन की सरकार की ही उपलब्धि है कि गुजरात, भारत सरकार द्वारा जारी गुड गवर्नेंस इंडेक्स में पहले स्थान पर है, नेशनल स्टार्टअप रैंकिंग में लगातार तीन साल 2019, 2020 और 2021के लिए गुजरात बेस्ट परफॉर्मर स्टेट है, और लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (LEADS) में भी गुजरात शीर्ष स्थान पर मौजूद है।
वहीं भारत सरकार की एकलौती थिंक टैंक संस्था नीति आयोग की 5 रिपोर्ट्स; स्टेट एनर्जी एंड क्लाइमेट इंडेक्स 2022, एक्स्पोर्ट प्रिपेयर्डनेस इंडेक्स 2021, लॉजिस्टिक्स ईज़ एक्रॉस डिफरेंट स्टेट्स रिपोर्ट 2021, सस्टेनेबल डेवलपमेन्ट गोल इंडिया इंडेक्स 2021, और कंपोज़िट वॉटर मैनेजमेन्ट इंडेक्स 2019 में गुजरात का शीर्ष स्थान प्राप्त करना भी यह बताता है कि कैसे गुजरात ने डबल इंजन की सरकार का लाभ अपने राज्य व नागरिकों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए किया है।
नरेन्द्र मोदी का सपना भारत को आत्मनिर्भर बनाने का है। उनका मानना है कि भारत के पास वो सभी शक्तियाँ और संसाधन हैं जिनसे हम हर क्षेत्र में न केवल आत्मनिर्भर बन सकते हैं बल्कि विश्व की ज़रूरतों को भी पूरा सकते हैं। देश के सबसे बड़े इंडस्ट्रियल स्टेट में से एक होने के नाते गुजरात के ऊपर यह जिम्मेदारी अधिक है कि वह नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर के संकल्प का नेतृत्व करे। इसके लिए गुजरात को निवेश, औद्योगिक उत्पादन, निर्यात, और नए क्षेत्रों से संबंधित उद्योगों को प्रोत्साहन जैसे विषयों पर और अधिक ध्यान देना होगा।
पिछले कुछ सालों की गुजरात की उपलब्धियों और इसकी औद्योगिक विकास की दिशा में ध्यान दें तो यह प्रतीत होता है कि गुजरात भारत की आत्मनिर्भरता में एक बड़े योगदान कर्ता के रूप में उभर रहा है। उदाहरण स्वरूप साल 2018, 2019 और 2020 में गुजरात ने देश में आए कुल FDI में से सबसे अधिक निवेश हासिल किया है। निर्यात की बात करें तो गुजरात देश में पहले स्थान पर है। वित्त वर्ष 2022 के आँकड़े के अनुसार गुजरात ने 8.37 लाख करोड़ रुपए का निर्यात किया है, जो वित्त वर्ष 2021 में गुजरात द्वारा किए गए निर्यात का दोगुना (4.48 लाख करोड़) है।
साथ ही, गुजरात की अर्थव्यवस्था ने पिछले 10 सालों में उच्चतम औसत वार्षिक विकास दर 8.2 प्रतिशत के साथ देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 8.4 प्रतिशत का योगदान दिया है। गुजरात देश में सबसे कम राजकोषीय घाटा व सबसे कम सार्वजनिक ऋण वाला राज्य भी है जो यह दिखाता है कि गुजरात वित्तीय रूप से बहुत ही मितव्ययी राज्य है।
इसके अलावा, GIFT सिटी, धोलेरा SIR, मांडल बेचराजी SIR, PCPIR, साणंद में लगातार बढ़ रहे मैन्युफैक्चरिंग प्लान्ट्स, निर्यात की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए लॉजिस्टिक्स पार्क्स का निर्माण, दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा, मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल, डायमंड रिसर्च और मर्केंटाइल सिटी जैसे फ्युचरिस्टिक और वर्ल्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर आने वाले समय में गुजरात को न केवल औद्योगिक नज़रिए से वैश्विक केन्द्र बनाएंगे बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता का नेतृत्व भी करेंगे.
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