India News (इंडिया न्यूज़), ISRO Chief on Chandrayaan-3: भारत ने बुधवार को चंद्रमा की सतह पर पहुंच कर इतिहास रच दिया। इसरो का लैंडर मॉड्यूल ने कल 6 बजे के करीब चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंंडिंग की। लैंडिग के करीब 2 घंटे बाद प्रज्ञान रोवर लैंडर मॉड्यूल से निकला और चंद्रमा की सतह पर अपना छाप छोड़ता हुआ कार्यप्रणाली पर लग गया। इस कार्य प्रणाली के बारे में एएनआई से बात करते इसरो के चीफ एस सोमनाथ जानकारी साझा की।
उन्होंने कहा, “प्रज्ञान रोवर के पास दो उपकरण हैं, दोनों चंद्रमा पर मौलिक संरचना के निष्कर्षों के साथ-साथ रसायनिक संरचनाओं से संबंधित हैं, इसके अलावा, यह सतह पर चक्कर लगाएगा। हम एक रोबोटिक पथ नियोजन अभ्यास भी करेंगे जो हमारे लिए भविष्य के अन्वेषणों के लिए महत्वपूर्ण है।”
साउथ पोल पर मनुष्य उपनिवेश बनाना चहाता है- इसरो चीफ सोमनाथ
इसरो चीफ सोमनाथ ने आगे लैंडिंग के लिए साउथ पोल के चुनाने के पर कहा कि हम साउथ पोल के करीब चले गए जो लगभग 70 डिग्री है। सूर्य द्वारा कम प्रकाशित होने के संबंध में साउथ पोल का एक विशिष्ट लाभ है। उन्होने भविष्य में साउथ पोल की विषेशता बताते हुए कहा, “चंद्रमा पर काम कर रहे वैज्ञानिकों ने साउथ पोल में बहुत रुचि दिखाई क्योंकि अंततः मनुष्य वहां जाकर उपनिवेश बनाना चाहते हैं और फिर उससे आगे की यात्रा करना चाहते हैं। इसलिए हम सबसे अच्छी जगह की तलाश कर रहे हैं और साउथ पोल में वह क्षमता है।”
“खुशी का वर्णन करना बहुत कठिन”
इसके अलावा इसरो चीफ एस सोमनाथ ने लैंडिंग के दौरा का अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि लैंडिंग के समय मन पर क्या बीती, इसका वर्णन करना बहुत कठिन है। यह खुशी हो सकती है, यह उपलब्धि का सार हो सकता है और योगदान देने वाले सभी लोगों को धन्यवाद देना हो सकता है।”
बता दें कि 14 जुलाई को लॉन्च हुआ भारत का मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा के साउथ पोल सतह पर सुरक्षित लैंड करने वाला दुनिया का पहला मिशन बन गया है। वहीं अब चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल विक्रम और रोवर 14 दिनों तक लगातार चंद्रमा की सतह की चट्टानों पर रिसर्च करेगा और जरुरी डाटा को भेजेगा।
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