India News (इंडिया न्यूज) Jharkhand (Prince Verma) : झारखण्ड के रामगढ़ जिला के रजरप्पा स्थित माँ छिन्नमस्तिके मंदिर शक्तिपीठ के रूप में देशभर में काफी लोकप्रिय है। बता दें कि रजरप्पा की भैरवी व दामोदर नदी के संगम पर अवस्थित माँ छिन्नमस्तिके मंदिर आस्था की धरोहर है। वहीं मां छिन्नमस्तिका मंदिर को दस महाविद्या के रूप में जाना जाता हैं। साथ ही पश्चिम दिशा से दामोदर और दक्षिण दिशा से भैरवी नदी का दामोदर में मिलना मंदिर की खूबसूरती को और बढ़ा देता है।

जानें मंदिर का इतिहास

बता दें कि यहां भगवती दस महाविद्या के रूप में विराजमान हैं। यहां उनका छठा रूप हैं। आगे उन्होंने सरकार का आदेश का पालन करने की बात कही। और कहा कि सामाजिक दूरी पालन करते हुए मां की पूजा अर्चना करें दामोदर व भैरवी के संगम स्थल के समीप ही माँ छिन्नमस्तिके का मंदिर स्थित है। और मंदिर की उत्तरी दीवार के साथ रखे एक शिलाखंड पर दक्षिण की ओर मुख किए मां छिन्नमस्तिके का दिव्य रूप अंकित है। मंदिर के निर्माण काल के बारे में पुरातात्विक विशेषज्ञों में काफी मतभेद है। किसी के अनुसार मंदिर का निर्माण छह हजार वर्ष पहले हुआ था तो कोई इसे महाभारत युग का मानता है।

दुनिया का दूसरे सबसे बड़ा शक्तिपीठ

यह दुनिया के दूसरे सबसे बड़े शक्तिपीठ के रूप में देशभर में काफी प्रसिद्ध है। ऐसे ही असम में स्थित मां कामाख्या मंदिर को सबसे बड़ा शक्तिपीठ माना जाता है। मंदिर में सुबह चार बजे से ही माता का दरबार सजना शुरू होता है। वहीं भक्तों की भीड़ भी सुबह से ही लाइन में खड़ी रहती है। वहीं नवरात्रे के अवसर पर देश के विभिन्न प्रांतों से हजारों श्रद्धालु रजरप्पा पहुंचते हैं। मंदिर के आसपास ही फल-फूल, प्रसाद की कई छोटी-बड़ी दुकानें अवस्थित हैं। और मां छिन्नमस्तिके मंदिर के अंदर स्थित शिलाखंड में मां की तीन आँखें हैं। वहीं बायाँ पाँव आगे की ओर बढ़ाए हुए वह कमल पुष्प पर खड़ी हैं। और पाँव के नीचे विपरीत रति मुद्रा में कामदेव और रति शयनावस्था में हैं।

 

बता दें कि छिन्नमस्तिका मन्दिर के वरिष्ठ पंडा असीम पंडा ने कहा कि जो भी श्रद्धालु मां छिन्नमस्तिका मन्दिर में नवरात्रा करना चाहते सभी के लिए मन्दिर न्यास समिति के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।

वहीं स्थानीय श्रद्धालु विजय ओझा ने मां छिन्नमस्तिका का इतिहास के बारे बताया कि माँ की महिमा अपरम्पार हैं। यहां जो भी मनोकामनाएं मांगी जाय वह पूरी होती है। उन्होंने आगे कहा कि हम सब भाग्यशाली हैं जो हमारा जन्म माँ छिन्नमस्तिका की धरती पर हुआ है।

Also Read :