India News(इंडिया न्यूज), Ajay Jandial, J&K News: जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए एक और अच्छी खबर है। सरकार ने अपनी गाड़ी को दूसरे नाम पर ट्रांसफर करवाने के लम्बे झंझट से लोगों को मुक्ति दे दी है अब लोगों को कोई सेकंड हैंड गाड़ी की खरीद के बाद उसे ट्रांसफर करने ले लिए Regional Transport Officer (RTO) दफ्तर के चक्कार नहीं काटने पड़ेंगे।
जानकारी के मुताबित उप राज्यपाल प्रशासन ने इस सेवा को डिजिटल कर दिया है। अब लोग घर बैठे ही इ-साइन सुविधा के जरिये अपनी सेकंड हैंड कार को अपने नाम पे ट्रांसफर कर सकेंगे। जम्मू कश्मीर परिवहन विभाग द्वारा जारी जानकारी के मुताबिक, परिवहन विभाग ने सरकार के साथ आम लोगों की सहूलियत और भ्रष्ट व्यवहार के अवसरों को खत्म करने के अपने अभियान में, जम्मू-कश्मीर में वाहन ट्रांसफर के लिए एक नया ऑनलाइन मॉड्यूल लॉन्च किया।
नया मॉड्यूल खरीदार और विक्रेता दोनों को अपने आधार पंजीकृत मोबाइल नंबर के माध्यम से आवेदन प्रक्रिया के लिए आवश्यक कानूनी दस्तावेजों पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से हस्ताक्षर करने का विकल्प प्रदान करने में सक्षम करेगा। इससे न केवल वहां बेचने वाले को RTO के दफ्तर के चक्कार से बचाएगा बल्कि खरीददार को भी सहूलियत देगा। इस से हस्तांतरण आवेदन की प्रक्रिया बहुत आसान हो गई है, बल्कि खरीदार और विक्रेता को अपनी पहचान सत्यापित करने के लिए मोटर वाहन विभाग के कार्यालयों में व्यक्तिगत रूप से जाने की आवश्यकता भी समाप्त हो गई है, क्योंकि इसे आधार सक्षम ई-साइन के माध्यम से पूरा किया जा रहा है।
इससे पहले, वाहन के खरीदार और विक्रेता को आवेदन पत्र डाउनलोड करना पड़ता था, उन्हें पोर्टल पर मैन्युअल रूप से भरना होता था, वापस अपलोड करना होता था और परिवहन विभाग के कार्यालयों में भौतिक प्रतियां भी जमा करनी होती थीं। लेकिन अब इस महत्वाकांक्षी पहल की शुरुआत के बाद, फॉर्म 29 और फॉर्म 30 वाहन और आधार डेटाबेस से प्रासंगिक जानकारी प्राप्त करके स्वचालित रूप से जेनरेट किए जाएंगे। पहले, खरीदार और विक्रेता को कुछ अतिरिक्त दस्तावेज जैसे सेल-डीड, एड्रेस प्रूफ और अन्य अपलोड करने पड़ते थे। लेकिन अब, यदि खरीदार और विक्रेता आवेदन के लिए ई-साइन पद्धति का विकल्प चुनते हैं तो ऐसी कोई आवश्यकता नहीं होगी।
इसके अलावा, ऐसे आवेदनों के प्रसंस्करण में सप्ताह या महीने भी लग जाते थे, लेकिन अब ई-साइन पद्धति के उपयोग के साथ इसमें मिनटों नहीं तो घंटों का समय लगेगा, क्योंकि सभी प्रासंगिक डेटा वाहन और आधार डेटाबेस के माध्यम से प्राप्त किए जाएंगे, जिससे यह आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। मोटर वाहन विभाग के अधिकारियों द्वारा एक और सत्यापन।
आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर ही नहीं देश के कई हिसों में कई लोग अपने वाहनों को बेच देतें है और उसे अपने नाम से दूसरे मालिक के नाम बदलते ही नहीं है। जिसकी वजह थी दफ्तरों के कई चकर। मगर इस फैसले से लोगों को काफी रहत मिलने की उम्मीद है। जम्मू में रहने वाले विजय कुमार की मने तो उन्होंने अपनी एक गाडी 2015 में किसी को बेचीं थी मगर आज तक उसको ट्रांसफर नहीं किया। क्योंकि खरीदने वाले ने RTO दफ्तर के कई चक्कार काटने पड़े, जिस कारन उन्हें हमेशा इस बात की चिंता रहती है की उनकी गाड़ी का कोई कही गलत इस्तेमाल न करे जिस से उनके लिए कोई परेशानी बने। मगर आज इस सुचना के बाद उन्हें लगा है कि वो अपनी गाडी की ट्रांसफर करवा सकेंगे और उनकी तरह लोगों को चक्कार नहीं काटने पड़ेंगे।
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