इंडिया न्यूज,चंडीगढ़ :
पंजाब राज भवन ने एक ऐसी किताब और डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया है, जिसमें पहले राज्यपाल चंदूलाल माधवलाल त्रिवेदी से लेकर वीपी सिंह बदनौर तक के सफर को दिखाया गया है। राजभवन के पास इससे पहले पुराने राज्यपालों का कोई रिकॉर्ड नहीं था। इस संबंध में केवल गूगल पर उपलब्ध जानकारी ही प्रदेश के लोगों को मिलती थी। राज्यपालों के सफर को दिखाने के लिए भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड व विभिन्न पब्लिकेशन से दुर्लभ तस्वीरों को मंगवाया गया। पंजाब के पूर्व राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने देखा कि पिछले राज्यपालों का राजभवन के पास कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। सिर्फ वही जानकारी मौजूद है, जो गूगल पर है, इसलिए उन्होंने फैसला किया कि वह एक ऐसी पुस्तक तैयार कराएंगे, जिसमें सभी राज्यपाल का सफर और उनके कार्यों की तस्वीरों के साथ जानकारी होगी। इसका डिजिटल फॉर्मेट भी तैयार किया जाएगा। बदनौर के निर्देश के बाद पंजाब राजभवन की पब्लिक रिलेशन टीम ने कई महीनों की रिसर्च के बाद पुस्तक तैयार की। डिप्टी डायरेक्टर शिखा नेहरा के नेतृत्व में टीम ने आजादी के बाद से अब तक की सभी पुरानी तस्वीरों के लिए विभिन्न पब्लिकेशन, सरकारी विभाग व भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड से संपर्क किया। कई महीनों की मेहनत के बाद 252 पेज की किताब और करीब एक घंटे की एक वीडियो तैयार हुई, जिसमें पंजाब के पहले राज्यपाल चंदूलाल माधवलाल त्रिवेदी से लेकर वीपी सिंह बदनौर के कार्यकाल के दौरान हुए कार्यों को पुरानी तस्वीरों के माध्यम से दिखाया गया। इसमें आजादी के तुरंत बाद कैसे स्थितियां बदलीं, भाखड़ा बांध का निर्माण, पंजाब व हरियाणा का विभाजन समेत चंडीगढ़ के जन्म की पूरी कहानी दुर्लभ तस्वीरों के माध्यम से दिखाई गई है। वीपी सिंह बदनौर ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन इस पुस्तक का उद्घाटन किया और पहली पुस्तक पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को सौंपी। अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद पंजाब के पहले राज्यपाल चंदूलाल माधवलाल त्रिवेदी बने। वह भारतीय प्रशासक और सिविल सेवक थे। पंजाब के बाद उन्होंने 1953 से 1957 तक आंध्र प्रदेश के पहले राज्यपाल के रूप में कार्य किया। वीडियो व पुस्तक में बताया गया है कि आठ मार्च 1953 को उनका फेयरवेल शिमला में हुआ था, जिसमें राज्यपाल की पत्नी को पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री भीमसेन सच्चर की ओर से सम्मानित किया गया था। 68 साल पुरानी यह एक दुर्लभ तस्वीर है। इसके अलावा 11 मार्च 1953 की वह तस्वीर भी है, जब चंदूलाल माधवलाल त्रिवेदी से मिलने के लिए भारी संख्या में लोग रेलवे स्टेशन पहुंच गए थे। अगले ही दिन नए राज्यपाल चंदेश्वर प्रसाद नारायण सिंह का शिमला में मुख्यमंत्री की ओर से स्वागत किया गया। इस कार्यक्रम को भी तस्वीरों के माध्यम से दिखाया गया है। भाखड़ा बांध के निर्माण के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का कई बार पंजाब आना-जाना हुआ। इसे भी तस्वीरों के माध्यम से दिखाया गया है। 22 मार्च 1955 की एक तस्वीर में दिखाया गया है, जब पंडित नेहरू ऊंचाई पर काम कर रहे मजदूरों से जाकर मिले। इस दौरान उनके साथ पंजाब के राज्यपाल सीपीएन सिंह व भाखड़ा बांध के जीएम एसडी खुंगर भी उपस्थित रहे। इसके अलावा 29 जनवरी 1965 को तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री पंजाब यूनिवर्सिटी के लाला लाजपत राय हॉल का उद्घाटन करने पहुंचे थे, उस कार्यक्रम को भी दिखाया गया है।
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