King Khan can Counter Attack on NCB
इंडिया न्यूज़, मुंबई
क्रूज ड्रग्स मामले में जेल की हवा खाकर जमानत पर जेल से बाहर आए आर्यन खान के पिता अब एनसीबी को कटघरे में खड़ा करने की तैयार कर रहे हैं। बॉलीवुड स्टार शाहरूख खान अब आर्यन को फंसाने वाले समीर वानखेड़े समेत सहयोगियों को कोर्ट में घसीटने का मन बना रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार शाहरूख खान केस करने से पहले इसके लिए लीगल एडवाईज ले रहे हैं। जानकारों की मानें तो किंग खान अब आर्यन को जेल में डालने वालों को छोड़ने वाले नहीं हैं।
बॉलीवुड के जाने माने सितारे शाहरुख खान का बेटा आर्यन करीब तीन हफ्तों तक जेल में बंद रहा। इस दौरान शाहरुख की साख पर भी धब्बा लगा है। ऐसे में बेटे की बेल होने के बाद चुप बैठने वालों में से नहीं हैं। किंग खान का कहना है कि मेरा बेटा बेकसूर है। उसे साजिश के तहत खुद का नाम चमकाने के लिए जेल में डाला गया है। ऐसे में अब एनसीबी की टीम पर कार्रवाई करने के लिए शाहरुख खान कानूनी सलाह ले रहे हैं।
आर्यन खान को जमानत देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदेश में कहा है कि जांच एजेंसी किसी भी तारिख पर आरोपी के खिलाफ कोई भी ठोस सबूत पेश करने में असफल रही है। ऐसे में हमें आर्यन खान को जमानत पर छोड़ना पड़ा है। अदालत ने कहा कि सबूतों के बिना हम किसी को दोषी करार नहीं दे सकते। कोर्ट की कॉपी मिलने के बाद हालांकि शाहरुख अभी चुप्पी साधे हुए हैं। लेकिन वह एसआरके की लीगल टीम ने किंग खान को सलाह दी है कि वह बेटे आर्यन के गुनहगारों पर कानूनी कार्रवाई करने की सलाह दे रहे हैं।
कोर्ट का कहना है कि जांच एजेंसी को आर्यन के पास से कोई ऐसा नशीला पदार्थ नहीं मिला जो वह कोर्ट में खान पुत्र को गुनहगार साबित कर सके। वहीं धमेचा और मर्चेंट के पास से जो कुछ भी मिला है, उसकी मात्रा बेहद कम है। ऐसे में कानून के दायरे में रहते हुए सभी को जमानत पर रिहा कर दिया गया है। बताते चलें कि आर्यन सहित धमेचा व मर्चेंट को एनसीबी ने 3 अक्टूबर को क्रूज से गिरफ्तार किया था। आर्यन सहित अन्य पर आरोप थे कि वह नशीले पदार्थों का सेवन और खरीद फरोख्त के धंधे में संलिप्त थे।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जांच एजेंसी के अधिकारियों द्वारा जो इकाबालिया बयान कोर्ट में पेश किए गए हैं। वह सही नहीं हैं। इसीलिए हमें उन पर विश्वास नहीं है। अदालत ने कहा कि पहली ही नजर में यह साबित नहीं हो रहा है कि आरोपी कोई साजिश रच रहे हैं। ऐसे में जांच एजेंसी द्वारा आरोपियों पर केस दर्ज करते समय एनडीपीएस अधिनियम की धारा 29 सही है या नहीं।
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