इंडिया न्यूज: Lawrence Bishnoi: राजनीति ‘शब्द’ सुनने में जितना छोटा लगता है उतना राजनीति करना या ऐसे कहें निभाना इससे बिलकुल उलट है। पहले के समय में यह राजनीति केवल राज घरानों तक ही सीमित हुआ करती थी। पर आज के समय की राजनीति छोटे तबकों तक भी पहुंच गई है। कॉलेज, समाज, सिनेमा लेकर हर कोई राजनीति में हिस्सा लेने से पीछे नहीं हटता, भले ही उसे जनता से कुछ भी सुनना पड़े। व्यक्ति के पास चाहे जितना धन या दौलत हो पर राजनीति में पेशकश होने से मना नहीं करता है।
हमारे देश में ऐसे कई वाक्या हर रोज देखने को मिलते हैं। यहां तक राजनीतिक रंजिश में लोग एक दूसरे की हत्या तक में उतारू हो जाते हैं। जैसे पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड (Sidhu Moosewala murder) में जिस गैंग की संलिप्तता सामने आ रही है, उसका सरगना भी पंजाब छात्र नेता के तौर पर चुनाव लड़ चुका है। तो चलिए जानते हैं राजनीति क्या है, क्यों कैसे एक कॉलेज में पड़ने वाला लड़का बन गया इतना बढ़ा गैंगस्टर।
राजनीति दो शब्दों का एक समूह है राज+नीति। (राज मतलब शासन और नीति मतलब उचित समय और उचित स्थान पर उचित कार्य करने की कला) अर्थात नीति विशेष द्वारा शासन करना या विशेष उद्देश्य को प्राप्त करना राजनीति कहलाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो जनता के सामाजिक एवं आर्थिक स्तर (सार्वजनिक जीवन स्तर) को ऊंचा करना राजनीति है।
नागरिक स्तर पर या व्यक्तिगत स्तर पर कोई विशेष प्रकार का सिद्धान्त एवं व्यवहार राजनीति (पॉलिटिक्स) कहलाती है। अधिक संकीर्ण रूप से कहें तो शासन में पद प्राप्त करना तथा सरकारी पद का उपयोग करना राजनीति है। एक व्यक्ति जो राजनीति के अध्ययन में शामिल होता है उसे एक राजनेता के रूप में जाना जाता है।
बता दें आपको कि राजनेता बनना कोई आसान प्रक्रिया नहीं है। खासकर भारत जैसे देश में जहां हर अगला व्यक्ति सत्ता की स्थिति पर कब्जा करना चाहता है। इसलिए प्रक्रिया बहुत प्रतिस्पर्धी है और एक राजनेता बनने के लिए एक उम्मीदवार को प्रारंभिक चरणों से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। वैसे तो राजनीति कई तरह की होती है पर एक राजनेता बनने के लिए कुछ प्रक्रिया को पूरा करना होता है जैसे कि-जो छात्र राजनेता बनना चाहते हैं, उन्हें प्राथमिक रूप से किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से स्कूली शिक्षा पूरी करना अनिवार्य होता है।
व्यक्ति को औपचारिक शिक्षा पूरी करने के बाद उम्मीदवारों को सामाजिक कार्य के लिए स्वयंसेवा करना चाहिए। स्वयंसेवा की यह प्रथा कॉलेज से शुरू होनी चाहिए। सबसे आम एक सामाजिक अभियानों आदि के लिए स्वयंसेवा करना है। राजनीतिक समूहों के कामकाज की बेहतर जानकारी प्राप्त करने और उपयोगी अनुभव प्राप्त करने के लिए उम्मीदवारों को राजनीतिक नेताओं और पार्टियों के साथ एक नेटवर्क बनाए रखना चाहिए ।
एक बार उपयुक्त चरणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लेने के बाद अंतिम चरण उस पार्टी के लिए अंतिम अभियान चलाना होगा। जिसका उम्मीदवार प्रतिनिधित्व करता है। इसमें भाषण देना, वादे करना और वोट के लिए अपील करना शामिल है। सत्ता में आने के बाद एक राजनेता के रूप में उम्मीदवार का करियर आखिरकार शुरू हो जाता है। यह तो हो गई राजनीति में करियर बनाने की बात। अब जानेंगे उस राजनीति के बारे में जो कॉलेज से शुरू हुई और व्यक्ति के जान तक बन गई।
सन् 1992 में भारत के पंजाब के अबोहर शहर में जन्म एक बच्चा (लॉरेंस) बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) जाति से ताल्लुक रखता है। उनके पिता लविंदर सिंह एक पूर्व पुलिस कांस्टेबल हैं। उसकी मां गृहिणी हैं। लॉरेंस अपने भाई-बहनों के साथ सरकारी स्कूल में पढ़ता था। उसके बाद उसने चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में दाखिला लिया। इसी कॉलेज से उसने ग्रेजुएशन की।
2010 में कॉलेज में स्नातक पाठ्यक्रमों की वार्षिक परीक्षा चल रही थी। एक परीक्षा के दौरान एक छात्र एक चिट से नकल करते पकड़ा गया था। निरीक्षक उसे परीक्षा अधीक्षक को सौंपने ही वाला था कि छात्र ने अपनी उत्तर पुस्तिका के साथ एक मंजिला इमारत की खिड़की से छलांग लगा दी। एक सुरक्षा गार्ड ने उसे अपनी शर्ट से पकड़ लिया। लेकिन वह अपनी शर्ट गार्ड के हाथों में छोड़कर भागने में सफल रहा। वो छात्र कोई और नहीं वो था लॉरेंस बिश्नोई।
पंजाब विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान लॉरेंस की मुलाकात गोल्डी बराड़ से हुई थी। उसने यहां छात्र संघ का चुनाव लड़ा लेकिन हार गया। छात्र संघ का चुनाव हारने के बाद इसकी दूसरे पक्ष से दुश्मनी हो गई, जिसने लॉरेंस को चुनाव में हराया था। एक बार दोनों पक्ष आमने-सामने हो गए और फायरिंग करने लगे। इस वारदात ने लॉरेंस की जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया। इसके बाद समय बीतने के साथ ही लॉरेंस छात्र नेता से अपराध की दुनिया में बड़ा चेहरा बनता गया।
बताया जाता है कि लॉरेंस बिश्नोई की गैंग में वर्तमान में 700 से अधिक लोग काम करते हैं। इनमें कुख्यात गैंगस्टर से लेकर प्रोफेशनल शूटर आदि भरे पड़े हैं। लॉरेंस का आतंक केवल पंजाब नहीं बल्कि हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में फैला हुआ है। इनका काम शराब माफिया, पंजाबी गायकों और अन्य प्रभावशाली लोगों से पैसे वसूल करना है। लॉरेंस पर हथियार सप्लाई व फायरिंग और साथ ही हाल ही में पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या करने के मामले सहित कई केस दर्ज हैं और वह जेल में बंद है। और वहीं से वह अपना गिरोह चलाता है।
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