India News(इंडिया न्यूज), Maharashtra: महराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने फैसला लिया था जिसमें औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने के विधेयक को डाला था। लेकिन विपक्षी दलों ने इसके खिलाफ याचिका रखा। पहले हाईकोर्ट में, उन्हें कोई खास रिस्पोंस नहीं मिला। जिसके बाद विपक्षी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी सरकार के पक्ष में आया। आइए इस खबर में हम आपको बताते हैं पूरी जानकारी।
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सुप्रीम कोर्ट का आ गया फाइनल फैसला
दरअसल याचिकाकर्ताओं ने सबसे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने राज्य सरकार के फैसले में कोई कानूनी चुनौती नहीं देखी और इसे बरकरार रखा. इसके बाद याचिकाकर्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. उन्हें उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके पक्ष में आएगा. हालांकि ऐसा नहीं हुआ और कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और महाराष्ट्र सरकार के फैसले को हरी झंडी दे दी.
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नाम बदलना किसका अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नाम बदलना सरकार का अधिकार है. इसमें न्यायिक समीक्षा की जरूरत नहीं है. हाईकोर्ट ने आपको सुनने के बाद ही विस्तृत आदेश दिया है. हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे. इससे पहले 8 मई को हाईकोर्ट ने औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजी नगर और उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने के राज्य सरकार के फैसले को बरकरार रखा था. कोर्ट ने कहा था कि फैसला कानूनी तौर पर सही है. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे मंजूरी दे दी है.