India News (इंडिया न्यूज), Diamonds Found In Planet Mercury: आए दिन वैज्ञानिक पृथ्वी पर नई-नई चीज ढूंढ रहे हैं। वैज्ञानिकों ने हमारे सौरमंडल के पहले गृह में बड़ी मात्रा में हीरे की मौजूदगी का पता लगाया है। हाल ही में एक रिसर्च में पता लगा है कि बुध ग्रह यानि मरकरी की सतह के नीचे हीरे की एक मोती परत जमी हुई है। लाइव साइंस की एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी है। बीजिंग में सेंटर फॉर हाई प्रेशर साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिसर्च के कर्मचारियों ने कहा कि हाई कार्बन सामग्री बताती है कि शायद इस ग्रह के नीचे कुछ खास है। उन्होंने कहा कि बुध ग्रह में एक चुंबकीय क्षेत्र है। हालांकि यह पृथ्वी की तुलना में बेहद कमजोर है।
- सिलीकेट और कार्बन से भरा हुआ ग्रह
- कार्बन हीरे में क्रिस्टलीकृत हो सकता है
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सिलीकेट और कार्बन से भरा हुआ ग्रह
इसके साथ ही नासा के मैनेजर ने अपने रिसर्च में बुद्ध की सतह पर असामान्य रूप से कई क्षेत्र की खोज की है। इसे उन्होंने ग्रेफाइट के रूप में पहचाना है। नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका की एक रिसर्च में पता चला है कि ग्रह की संरचना और असामान्य चुंबकीय क्षेत्र की वजह से वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रह का निर्माण एक गर्म लावा महासागर के ठंडा होने से हुआ है। इसी वजह से दूसरे स्थलीय ग्रह का विकास भी हुआ है। बता दें की बुध के बारे में कहा जा रहा है कि यह एक सिलीकेट और कार्बन से भरा हुआ ग्रह है। जिसकी बाहरी परत और मेंटल का निर्माण मैग्मा के क्रिस्टल से बदलने से हुआ है।
कार्बन हीरे में क्रिस्टलीकृत हो सकता है
बीते कई सालों से वैज्ञानिक मेंटल में तापमान और दबाव को कार्बन के लिए सही मानते रहे हैं। जिसमें ग्रेफाइट बनता है मेंटल से हल्का होने के चलते ही है सतह पर तैरता रहता है। हालांकि बताया गया था कि बुद्ध का मेंटल पहले की तुलना में 80 किलोमीटर गहरा हो सकता है। इससे मेंटल कोर्स सीमा पर तापमान और दबाव काफी बड़ा होगा जिसकी वजह से ऐसी परिस्थितियों पैदा हो सकती है जहां कार्बन हीरे में क्रिस्टलीकृत हो सकता है।
बेल्जियम और चीन की रिसर्च में कहा गया है कैसे संभावना को देखा जा सकता है कि कार्बन, सिलिका और लोहे का इस्तेमाल करके रासायनिक मिश्रण तैयार किया जाए। इन मिश्रणों में आयरन सल्फाइड की अलग-अलग सांद्रताएं डाली है वैज्ञानिकों ने मल्टीपल-एनविल प्रेस का इस्तेमाल करके 7 गीगापास्कल का दबाव बनाया है।