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Mid Day Meal Scheme 2021: छोटे बच्चों को पोषक भोजन दे रही मिड डे मील योजना

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Mid Day Meal Scheme 2021: केंद्रीय सरकार की ओर से चलाई जा रही मिड डे मील योजना, के जरिये स्कूल में पढ़ रहे छोटी आयु के बच्चों को पोषक भोजन खाने के लिए दिया जाता है। ये स्कीम काफी सालों से हमारे देश में चल रही है और इस स्कीम को हर स्टेट के सरकारी स्कूलों में चलाया जा रहा है। इस स्कीम के तहत हर रोज करोड़ बच्चों को स्कूल में भोजन करवाया जाता है।

मिड डे मील योजना क्या है? (Mid Day Meal Scheme 2021)

सरकार की ओर से सरकारी स्कूल में सभी बच्चों को मध्यान्ह भोजन दिया जाता है। इसकी के लिए सरकार ने मिड डे मील योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत सरकार बच्चों को शिक्षा के साथ ही स्वास्थ और पोषित बनाना चाहती है।

मिड डे मील अब और सुधार (Mid Day Meal Scheme 2021)

हाल ही में सरकार ने यह निर्णय लिया है कि वे इस योजना के तहत छात्रों को प्रत्यक्ष रूप से भी लाभ पहुंचाना चाहती है, यानि कि अब कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के बच्चों के खाते में सीधे पैसे का स्थानांतरण किया जायेगा। इसका लाभ 11 करोड़ 80 लाख छात्रों को लाभ पहुंंचाने का का निश्चिय किया गया है।

इस प्रस्ताव के लिए मंजूरी भी दे दी गई है। इसका लाभ सरकारी स्कूल में पढने वाले छात्रों को दिया जाना है। केंद्र सरकार द्वारा राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों को इस योजना के लिए एक हजार 200 करोड़ रुपए की राशि दी जाएगी। इस योजना में दिया जाने वाला भोजन बच्चों की पोषण एवं उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करेगा।

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योजना का बजट (Mid Day Meal Scheme 2021)

हर फाइव ईयर प्लान में सरकार द्वारा मिड डे मील स्कीम से जुड़ा हुआ बजट तय किया जाता है। ग्याहरवे फाइव ईयर प्लान में मिड डे मील स्कीम के लिए सरकार ने 9 अरब का बजट निर्धारित किया था। जबकि बारहवे फाइव ईयर प्लान में मिड डे मील स्कीम के लिए सरकार ने 901.55 अरब का बजट रखा था।

केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मिड डे मील स्कीम पर आने वाले खर्चे को साझा किया जाता है। जो भी खर्चा इस स्कीम को लेकर आता हैं उसमें से केंद्र सरकार को 60 प्रतिशत और राज्यों को 40 प्रतिशत पैसे देने होते हैं। केंद्र सरकार भोजन के लिए अनाज और वित्त पोषण प्रदान करती है, जबकि संघीय और राज्य सरकारों द्वारा सुविधाओं, परिवहन और श्रम की लागत का खर्चा उठाया जाता है।

क्यों शुरू की गई मिड डे मील योजना? (Mid Day Meal Scheme 2021)

कन्वेंशन आन द राइट्स आफ द चाइल्ड, एक मानव अधिकार संधि है और इस ट्रीटी का हिस्सा भारत भी है। ये संधि बच्चों के नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक अधिकारों से जुड़ी हुई संधि है।
भारत इस संधि का सदस्य है, इसलिए ये भारत की जिम्मेदारी है कि वो अपने देश के बच्चों को ह्लपर्याप्त पौष्टिक खाद्य पदार्थह्व मुहैया कराए। इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए भारत सरकार ने मिड डे मील को स्टार्ट करने का निर्णय लिया था और इस तरह से इस स्कीम को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत शुरू किया गया था।

मिड डे मील योजना प्रोग्राम कब शुरू हुआ (Mid Day Meal Scheme 2021)

इस स्कीम को 15 अगस्त, 1995 में स्टार्ट किया गया था और सबसे पहले इस स्कीम को 2000 से अधिक ब्लॉकों के स्कूलों में लागू किया गया था। इस स्कीम के सफल होने के बाद इस स्कीम को साल 2004 में पूरे देश के सरकारी स्कूलों में लागू कर दिया था और इस वक्त ये स्कीम हमारे पूरे देश के सराकरी स्कूलों में चल रही है।

मिड डे मील योजना पात्रता

इस स्कीम की मदद से सरकारी स्कूलों के प्राइमरी और अपर प्राइमरी कक्षा के छात्रों को, सरकार सहायता, स्थानीय निकाय, शिक्षा गारंटी योजना से जुड़े स्कूलों के छात्रों को, वैकल्पिक अभिनव शिक्षा केंद्र, मदरसे और श्रम मंत्रालय द्वारा संचालित राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को फायदा मिलता है।

  • बच्चों का बेहतर विकास हो

आज भी हमारे देश में कई ऐसे लोग हैं जो कि अपने परिवार को दो वक्त का खाना देने में असमर्थ हैं। जिसके कारण इन परिवार से नाता रखने वाले छोटे बच्चों का मानसिक विकास पूरा नहीं हो पाता है। इसलिए सरकार, सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को मिड डे मील के जरिए पोषक भोजन उपलब्ध करती हैं।

  • ज्यादा से ज्यादा बच्चों को मिले शिक्षा

जो दूसरा सबसे बड़ा उद्देश्य मिड डे मील का है वो शिक्षा से जुड़ा हुआ है। इस स्कीम के जरिए बच्चों को खाना उपलब्ध करवाया जाता है और ऐसा होने से कई गरीब परिवार ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना स्टार्ट कर दिया है।

  • सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राहत

इस स्कीम के तहत जिस दिन भी स्कूल खुले रहते हैं, उस दिन बच्चों को भोजना करवाना अनिवार्य होता हैं। वहीं गर्मी की छुट्टियों में स्कूल बंद होने के कारण बच्चों को भोजन नहीं मिल पाता है। लेकिन साल 2004 में सरकार ने गर्मी की छुट्टियों के दिन भी इस स्कीम को सूखा प्रभावित क्षेत्रों के स्कूलों में चलाए रखने का आदेश दिए थे। जिसके बाद से इन इलाकों के बच्चों को गर्मियों की छुट्टियों में भी भोजन दिया जाता था।

  • मिड डे मील योजना मंत्रालय

मिड डे मील स्कीम को ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट मिनिस्ट्री द्वारा हमारे देश में चलाया जाता है और इस मंत्रालय द्वारा ही इस स्कीम से जुड़ी गाइडलाइंस बनाइ गई है। साथ ही इस मंत्रालय द्वारा कई ऐसी कमेटी में बनाई गई हैं जो कि इस स्कीम को और बेहतर बनाने के कार्य करती हैं।

  • हर राज्य में बनाई गई हैं कमेटी

मिड डे मील स्कीम को लेकर किसी तरह का घोटाला और लापरवाही ना बरती जाए इसलिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कई कमेटी का गठन किया है। जिनमें से कुछ कमेटी नेशनल लेवल पर इस स्कीम पर निगरानी रखती है, जबकि कुछ स्टेट, जिला, नगर, ब्लॉक, गाँव और स्कूल लेवल पर इस स्कीम के कार्य को देखती है और ये सुनिश्चित करती है कि देश के हर स्कूल में सही तरह का खाना बच्चों को दिया जाए।

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Sameer Saini

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