संजू वर्मा
अर्थशास्त्री
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को न्याय दिलाने और उन्हें विकास के पथ पर तेजी से आगे ले जाने के लिए लगातार बड़े फैसले ले रही है। इसी क्रम में मोदी सरकार ने एक बड़ी पहल करते हुए लोकसभा में 127 वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया।
इसके तहत संविधान के अनुच्छेद 342-ए और 366 (26)-सी में संशोधन किया जाएगा। मॉनसून सत्र के आखिरी हफ्ते में मोदी सरकार ने ओबीसी बिल पेश कर ना सिर्फ लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा किया, बल्कि पूरे विपक्ष को विरोध भूलकर समर्थन करने पर मजबूर कर दिया। इस विधेयक के पारित होने के बाद राज्यों को अपनी ओबीसी लिस्ट बनाने का अधिकार मिल जाएगा। इसका मतलब ये हुआ कि राज्य सरकारें अपनी मर्जी से किसी भी जाति को ओबीसी आरक्षण की सूची में रख सकती है। राज्यों को इसके लिए केंद्र सरकार पर निर्भर नहीं रहना होगा।
केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने ओबीसी समाज और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के युवाओं को मेडिकल कॉलेज की ढॠ और वॠ की पढ़ाई में क्रमश: 27 प्रतिशत और 10 प्रतिशत आरक्षण का निर्णय स्वागत योग्य है। इस एक निर्णय से हर साल एमबीबीएस में लगभग 1500 ओबीसी और 550 ईडब्ल्यूएस छात्रों को प्रवेश मिल सकेगा। वहीं, मेडिकल के स्नातकोत्तर कोर्स में 2500 ओबीसी छात्रों और करीब 1000 ईडब्ल्यूएस छात्रों को प्रवेश का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।
ओबीसी समुदाय के कल्याण के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाये हैं। ये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी हैं जिन्होंने ओबीसी कमीशन को संवैधानिक मान्यता देकर पिछड़े वर्ग के लोगों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार दिया।मोदी सरकार में दलित, पिछड़े, ओबीसी एवं महिलाओं को व्यापक प्रतिनिधित्व मिला है। वर्तमान में मोदी सरकार में 27 मंत्री ओबीसी समुदाय से हैं,जबकि 20 एससी/एसटी समुदाय से हैं और 11 महिलायें हैं।
कांग्रेस को बताना चाहिए कि लंबे समय तक सत्ता में रहकर उसने डइउ के हितों के विषयों को क्यों रोके रखा? आर्थिक रूप से कमजोर तबके के 10% आरक्षण के लिए कांग्रेस ने क्यों नही कुछ किया? बाबा साहब के सिद्धांतों को जमीन पर यदि किसी सरकार ने उतारा है तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार है। कांग्रेस इस दिशा में कुछ भी नहीं कर पाई। इसलिए उसकी खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली स्थिति होनी स्वभाविक है। प्रधानमंत्री मोदी ने सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र के साथ ईज आॅफ लिविंग का विचार प्रतिपादित किया है ताकि भेदभाव से मुक्त समाज में पिछड़े लोगों को बुनियादी सुविधाएं शीघ्र और सस्ती दर पर उपलब्ध करायी जा सके।
मोदी सरकार की हर योजना, हर कार्यक्रम का केंद्र बिंदु गरीब, कमजोर, पिछड़ा तबका है। अंत्योदय प्रधानमंत्री का संकल्प है और समतामूलक एवं न्यायपूर्ण समाज की स्थापना उनका उद्देश्य। नरेन्द्र मोदी ने मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार के साथ ही सामाजिक न्याय को भी प्राथमिकता दी है। मोदी सरकार में पिछले 5 वर्षों में 179 नए मेडिकल कॉलेज खुले हैं। देश में अब 558 मेडिकल कॉलेज हैं। देश में यूजी की सीटों में 56% के करीब और पीजी की सीटों में 80% के करीब बढ़ोतरी की गई। इसका बहुत बड़ा फायदा ओबीसी, एससी, एसटी समुदाय को मिल रहा है। एससी और ओबीसी वर्ग के छात्रों की फ्री-कोचिंग और प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति की पात्रता के लिए वार्षिक आय को बढ़ा दिया गया है। ओबीसी वर्ग के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति में भी भारी वृद्धि की गई।
चाहे प्रधानमंत्री आवास योजना हो, आयुष्मान भारत योजना हो, जन-धन योजना हो, उज्ज्वला योजना हो या अन्य योजनायें,मोदी सरकार की हर योजना में पिछड़े वर्ग, एससी, एसटी और महिलाओं को लाभ मिला है।इस विधेयक के कानून बनने का फायदा उन जातियों को होगा जो ओबीसी आरक्षण में शामिल होने की मांग कर रही हैं। जैसे- महाराष्ट्र में मराठा समुदाय और हरियाणा में जाट और गुर्जर समुदाय, गुजरात में पटेल समुदाय और कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को ओबीसी में शामिल होने की लगातार मांग की जा रही है। मोदी सरकार ने अपनी नीतियों और फैसलों में ओबीसी को पूरा सम्मान दिया है। चाहे मंत्रिमंडल का विस्तार हो या फिर पार्टी संगठन में दी गई जिम्मेदारियां, हर जगह ओबीसी वर्ग को अच्छी खासी तादाद में रखा गया है।मेडिकल एजुकेशन में अखिल भारतीय कोटा के तहत ओबीसी के उम्मीदवारों को 27% आरक्षण देने का मार्ग प्रशस्त किया। इस फैसले से हर साल 1500 ओबीसी विद्यार्थियों को एमबीबीएस में और 2500 ओबीसी विद्यार्थियों को पीजी में लाभ मिलेगा।राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया।
इससे एक स्वायत्त संस्था के रूप में शिकायतों के निवारण का अधिकार मिल गया।लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अन्य पिछड़े वर्ग के आरक्षण को 25 जनवरी, 2030 तक बढ़ाया। मोदी सरकार ने ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर की आय सीमा 6 से बढ़ाकर 8 लाख रुपये सालाना की।मोदी सरकार ने ओबीसी की सेंट्रल लिस्ट में जातियों के लिए कोटे के अंदर कोटा तय करने को मंजूरी दी।मोदी सरकार ने ओबीसी की सभी जातियों तक आरक्षण का समान लाभ पहुंचाने के लिए आयोग का गठन किया। ओबीसी आरक्षण बिल इस कानून के बनने से अब राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को अन्य पिछड़ा वर्ग की लिस्ट तैयार करने का अधिकार मिलेगा।बता दें कि तीन महीने पहले 5 मई को सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर दायर की गयी याचिका को खारिज कर दिया था।
कोर्ट ने उस वक्त कहा था कि 102वें संविधान संशोधन के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग की लिस्ट को जारी करने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास था। बिल के कानून बनते ही सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने इसे ऐतिहासिक बताया। कहा- इस कानून से कुल 671 जातियों को लाभ मिलेगा। मंत्री ने कहा इससे विभिन्न समुदायों को सामाजिक और आर्थिक न्याय दिया जा सकेगा।
खास बात ये कि इस कानून के विरोध में एक भी मत नहीं पड़ा। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी एवं शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए 50 फीसदी ओबीसी आरक्षण की सीमा को खत्म करने की अपील की। मोदी सरकार ने उनकी बातों को सुनने के बाद कहा- ‘हम आपकी भावना समझते हैं लेकिन आप हमारी मजबूरी समझिए। सरकार ने साफ कहा कि आरक्षण की सीमा को खत्म करते वक्त हमें सुप्रीम कोर्ट को ध्यान में रखते हुए अन्य कानूनी पहलुओं को भी समझना होगा’।
सभी पहलुओं को मद्दे नजर रखते हुए ये कहना सही होगा की पिछड़े और वंचित वर्गों के सशक्तिकरण के लिए जिस सेवा भाव के साथ नरेंद्र मोदी की सरकार ने काम किया है,आज तक किसी और सरकार ने नहीं किया। ‘सबका साथ,सबका विकास,सबका विश्वास और सबका प्रयास’, मोदी सरकार के लिए सिर्फ एक नारा नहीं,बल्कि काम करने की एक प्रेरणादायक शैली है।
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