India News (इंडिया न्यूज), Dharamveer Sinha, Money Laundering Case: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हेमंत सोरेन की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से ये कहते हुए इनकार कर दिया कि पहले हाइकोर्ट जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी मानने से इंकार कर दिया कि ईडी किसी बदनीयत से काम कर रही है। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी की पीठ ने साफ कहा कि हम इस पर अभी विचार नहीं कर सकते। जस्टिस बोस के मुताबिक मुकदमे की सुनवाई पहले हाई कोर्ट से होनी चाहिए।
हेमंत सोरेन ने खटखटाया था सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
हेमंत सोरेन के सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने याचिका वापिस ले ली। दरअसल ईडी के दूसरे समन के बाद ही हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। बीते 23 अगस्त को रीट पिटीशन दायर कर ईडी के समन को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि ईडी दुर्भावना और राजनीतिक षड्यंत्र के तहत उसे फंसा रही है। इस बीच, बता दें कि अबतक ईडी की ओर से हेमंत को चार बार समन जारी हो चुका है।
सीएम हेमंत सोरेन को चौथा समन भेज कर ईडी ने 23 सितंबर को रांची के हिनू स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में आने को कहा है। समन का आधार है रांची में 13 और 26 अप्रैल को ईडी की छापेमारी। इस छापेमारी में रांची के राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप के घर से ईडी ने बक्सों में भरकर रखे गए जमीन के दस्तावेज जप्त किए थे। यह दस्तावेज कांट छांट कर रखे गए थे।
हेमंत को ईडी समन भेज रही है
कीमती जमीन की जालसाजी के भी कई कागजात जब्त किए गए थे। आदिवासी जमीन की असली मालिक की जगह दूसरे का नाम के कई दस्तावेज ईडी को हाथ लगा था। ईडी ने दस्तावेज में छेड़छाड़ सहित अन्य बिंदुओं के सिलसिले में मिली सूचनाओं को पीएमएलए की धारा 62 के तहत सरकार से साझा किया था। इस मामले में सरकार के आदेश पर रांची के सदर थाने में एफआईआर की कांड संख्या 272 /23 दर्ज की गई थी। इसी के आधार पर हेमंत को ईडी समन भेज रही है। ईडी को मुख्यमंत्री और उनके कई करीबी लोगों की शिकायतें मिली हैं। आदिवासी जमीन पर जबरन कब्जा करना।
हेमंत को जाना पड़ेगा ईडी के दफ्तर
आदिवासी जमीन की छेड़छाड़ के कई सबूत भी हाथ लगे हैं। इस तरह लीज पट्टा और अवैध खनन के बाद अब जमीन घोटाले में भी हेमंत का नाम आया है। सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद हेमंत रांची हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं। लेकिन क्या हाईकोर्ट से इन्हें राहत मिलेगी? क्या 23 सितंबर को हेमंत को अब ईडी के दफ्तर जाना पड़ेगा ? क्या ईडी के तीखे सवालों के जवाब देने को हेमंत तैयार है? चूंकि ईडी के पास सिविल कोर्ट की तरह ही अधिकार है। ईडी के मुताबिक पुख्ता सबूत भी है तो क्या हेमंत की गिरफ्तारी भी हो सकती है ? इन सबपर सबकी निगाहें है।
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