India News (इंडिया न्यूज), MP Election 2023: मध्य प्रदेश की 16वीं विधानसभा के गठन के लिए मतदान हो चुकी है। नई सरकार चुनने के लिए मतदान की प्रक्रिया पुरी हो चुकी है। इस विधानसभा चुनाव में मतदाताओं के सामने एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान और कमल नाथ का चेहरा है। इसके साथ ही चुनाव लड़ रहे 2533 प्रत्याशियों का भविष्य भी इस ईवीएम में कैद हो चुकी है।
जिसमें 2280 पुरुष, 252 महिलाएं, और 1 थर्ड जेंडर प्रत्याशी का भविष्य का तय होना है। भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ रहे तो बसपा ने 181, सपा 71 और आम आदमी पार्टी के 66 उम्मीदवार इस चुनावी मैदान में उतरे है। मतदान के बाद अब राजनैतिक दलों और प्रत्याशियों के भाग्य का फ़ैसला 3 दिसंबर को आने वाला है।
बीजेपी और कांग्रेस के बीच की इस सियासी लड़ाई की बात करें तो समझा जा सकता है कि महिलाओं के वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए किसी भी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ी जा रही है। एक तरफ जहां कांग्रेस ने नारी सम्मान योजना लिए 1500 रुपया प्रतिमाह देने की बात कही है, तो दूसरी तरफ बीजेपी ने भी इसका तोड़ निकाल कर लाड़ली बहना योजना के नाम पर 1250 रुपए प्रतिमाह देने का वादा जनता से किया है। इन दोनों योजना के आधार पर महिलाओं के वोट बैंक को भाजपा के पक्ष में करने की कोशिश की गई है।
चुनाव प्रचार ख़त्म होने के एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भोपाल के सुनहरी बाग़ स्थित लाड़ली बहना आशा के घर पहुँचे। यहा पहुच कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अब जल्द ही लखपति बहना योजना भी शुरू की जायेगी। महिलाओं की आमदनी 10 हजार रुपये महीना हो, इसके लिए स्व: सहायता समूहों के माध्यम से कार्य किया जाएगा।
मतलब स्पष्ट है कि बीजेपी महिलाओं के वोट बैंक के आधार पर ही आगे बढ़ी है। इसके साथ ही प्रदेश में 21 लाख से ज़्यादा युबा मतदाता है, उनके लिए सरकार ने चुनाव से ठीक 3 माह पहले सिखों कमाओ योजना निकाली… जिसमें काम सीखने के साथ उन्हें अस्थायी फंड देने की बात भी कही गई है। स्पष्ट है कि चुनावीं माहौल को देखकर बीजेपी ने ये सभी योजनाएं निकाली है।
कांग्रेस की ओर से दिल्ली और मध्य प्रदेश ने मिलकर मेहनत की। दिल्ली से फ्रीहैण्ड मिलने के बाद कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह के साथ मिलकर मध्य प्रदेश में अपनी सियासी जमावट को मज़बूत किया। कांग्रेस ने अपना बचन पत्र करीबन 1 महीने पहले ही निकाल दिया था। जिसे वो पूरा कर पाए या न कर पाए, लेकिन मतदाताओं के लिए ये चर्चा का विषय बना हुआ है। बीजेपी का घोषणा पत्र चुनाव के महज़ 3-4 दिन पहले आया। इस घोषणा पत्र के माध्यम से बीजेपी ने जनता से कहा है कि अब वो घोषणा पत्र से नहीं संकल्प पत्र के माध्यम से संकल्प लेंगे और उसे पूरा करने की पुरी कोशिश करेंगे।
वहीं अब सवाल ये उठता है कि करिब साढ़े 3 साल से मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार है, तो जिन संकल्पों का ज़िक्र बीजेपी ने अपने संकलप पत्र में किया है वो अब तक पूरे क्यों नहीं हो पाए। क्या इसे समय की कमी समझा जाए या फिर बीजेपी ने ये सोचा कि जब चुनाव होगा तब इस पर चर्चा की जाएगी और जनता को आकर्षित किया जाएगा। सवाल कई सारे थे, ऐसे में कमलनाथ ने भी कई तरह के सवाल बीजेपी के संकल्प पत्र को लेकर खड़े किए है। कमलनाथ ने कहा है कि बीजेपी के पास कांग्रेस के बचन पत्र का ही संकल्प पत्र कॉपी है।
कांग्रेस हो या बीजेपी उनके चुनावी वादों पर मतदाताओं को लगता है कि राजनैतिक दल केवल चुनावों के समय ही इस तरह की बाते करती है। ऐसे में उनके मन में क्या है ये 3 दिसंबर को पता चलेगा… लेकिन प्रदेश की 15वीं विधानसभा में यानी 5 वर्ष में जनता ने 2 सरकार देख चुकी है।
मध्य प्रदेश की जनता ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों की सरकार देखी इसलिए जनता ही बेहतर तरीक़े से जानती है कि कौन विकास करता है और कौन विकास की बातें करता है। हालांकि कमलनाथ का कहना है कि मुझे वक़्त नही मिला। वहीं, बीजेपी का कहना है कि हमनें बहुत काम किया और लगातार डबल इंजन की सरकार काम कर भी रही है। अब ऐसे में बिजेपी और कांग्रेस के दावों की हक़ीक़त का पता तो 3 दिसंबर को ही चलेगा।
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