इंडिया न्यूज़, भोपाल:
MP Startup Policy Approved By Council Of Ministers: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) अब अपनी स्टार्टअप पालिसी (Startup Policy) बनाने और क्रियान्वयन करने वाला राज्य बन गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट स्टार्टअप के विस्तार के विजन के साथ पॉलिसी में मध्यप्रदेश के संसाधनों को समाहित करते हुए स्टार्टअप पॉलिसी लागू की गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) की अध्यक्षता में बुधवार को सम्पन्न हुई कैबिनेट की बैठक (cabinet meeting) में नई स्टार्टअप नीति को मंजूरी दी गई।
एमएसएमई (MSME) विभाग के सचिव एवं उद्योग आयुक्त श्री पी नरहरि ने पालिसी के सम्बंध में बताया कि प्रदेश में स्टाेर्ट अप्स एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए एमपी स्टार्ट-अप नीति (MP Start-up Policy) एवं कार्यान्वयन योजना 2022 (Implementation Plan 2022) सह प्रक्रिया एवं दिशा-निर्देश का केबिनेट द्वारा अनुमोदन किया गया है। नीति अन्तर्गत स्टार्ट अप एवं न्यूबेटर्स को वित्तीय एवं गैर वित्तीय सुविधा एवं सहायता तथा फेसिलिटेशन का प्रावधान किया गया है।
श्री नरहरि ने बताया कि नीति के प्रमुख प्रावधान में स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के विकास हेतु स्टा्र्टअप्स एवं इन्क्यूबेटर्स को निवेश सहायता, कार्यक्रम आयोजन सहायता, लीज रेन्टेल सहायता, विस्तार हेतु सहायता, पेटेंट सहायता इत्यादि प्रदान की जायेगी। पॉलिसी में प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप उत्पााद आधारित स्टार्ट-अप की संख्या् में वृद्धि हेतु उन्हे विशिष्ट सुविधाएं यथा रोजगार सृजन एवं कौशल विकास सहायता, विद्युत शुल्क में छूट एवं दरों में रियायत इत्यादि प्रदान की जाएगी ।
नई पॉलिसी में महिलाओं द्वारा स्थालपित स्टार्ट-अप्स को अतिरिक्त 20 प्रतिशत की सहायता, स्कूल, महाविद्यालयीन स्तर से छात्रों में नवाचार एवं स्टार्ट-अप की भावना जागृत करने के लिए विशेष कार्यक्रम भी शामिल है। शैक्षणिक पाठ्यक्रम में उद्यमिता विकास को सक्रिय रूप से शामिल किया गया है जिससे छात्रों को उद्यमिता की ओर आकर्षित करने के लिए इंटर्नशिप को प्रोत्साहित करने की व्यवस्था होगी।
इस पॉलिसी में नवाचार चुनौती कार्यक्रम के माध्य्म से प्रदेश की सामाजिक-आर्थिक समस्यााओं के निदान हेतु प्रयास के साथ ही चयनित स्टार्ट-अप और नवाचारी को एक करोड़ रुपये की विशेष प्रोत्सा्हन के अलावा सहायता स्टार्ट-अप के फेसिलिटेशन एवं नीति अंतर्गत सहायता प्रदान करने के लिये विशेषज्ञों यथा वित्त् एवं परियोजना प्रबंधन, विपणन तथा कानूनी मामले की टीम के साथ भोपाल में पृथक से स्टार्टअप सेंटर की स्थासपना किए जाने का प्रावधान है।
श्री नरहरि ने बताया कि इस पॉलिसी से भारत सरकार में मान्याता प्राप्त स्टार्ट-अप में उच्च विकास दर प्राप्त करना, कृषि और खाद्य क्षेत्र में स्टार्ट-अप के विकास हेतु विशेष फोकस नवीन इन्यूबेशन सेंटर की स्थाापना एवं विद्यमान इन्यूबेशन सेंटर्स में क्षमता विस्ता्र भी शामिल है।स्टार्ट अप्स को अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने हेतु उनकी मार्केटिंग एवं ब्रांडिंग में सहयोग को पॉलिसी में शामिल किया गया है।
श्री नरहरि ने बताया कि पॉलिसी को प्रभावी बनाने के लिए मध्यवप्रदेश वेंचर फायनेंस लिमिटेड तथा मध्यप्रदेश वेंचर फाइनेंस ट्रस्टी लिमिटेड का मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम में संविलयन किया गया है ताकि भविष्य में स्टाटर्टअप्स् को फंण्डिंग सहायता हेतु विशिष्ट वेंचर केपीटल फण्ड निर्मित किया जा सके।उन्होंने बताया कि स्टासर्ट-अप हेतु एक सुदृढ् ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया जायेगा जो समस्त संबंधित हित धारकों के लिए सम्पर्क सेतु का कार्य करेगा। पोर्टल को भारत सरकार के स्टार्ट-अप पोर्टल से एकीकृत किया जायेगा। पोर्टल के माध्यम से सुविधाओं का लाभ प्रदान करने को प्राथमिकता दी जायेगी।
स्टार्ट-अप तथा नवाचार को प्रोत्साहित करने तथा उन्हे आवश्यक तकनीकी एवं मार्गदर्शी सहयोग प्रदान करने के लिए उन्हें राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर के तकनीकी एवं प्रबंधन संस्थापनों/विश्वविद्यालयों एवं अन्य अकादमिक संस्थानों से आवश्यक सहायता एवं भागीदारी प्राप्त् की जाएगी। ईज ऑफ डूईंग बिजनेस अंतर्गत स्टासर्ट-अप्स् एवं इन्यूबेटर्स को आवश्यषक अनुमति,सम्मतियों के लिए कार्योत्तर स्वीरकृति की व्यवस्था भी होगी। मध्यप्रदेश पब्लिक सर्विस गारन्टी अधिनियम, 2010 में प्रावधान अनुरूप मान्य अनुमोदन भी प्रदान किया जाएगा।
एमएसएमई सचिव श्री नरहरि ने बताया कि एक करोड् रुपये तक की शासकीय निविदा में भाग लेने वाले स्टार्ट-अप उद्यम को अनुभव एवं टर्नओवर संबंधी शर्तों अरबमापदण्डों से छूट प्रदान की जायेगी एवं समस्त निविदाओं में सुरक्षा निधि,बयाना राशि से छूट प्राप्त होगी।स्टार्ट-अप्स में नकद तरलता की कमी को दूर करने के लिये राज्य शासन के निगम और मण्डालों तथा प्रमुख विभागों को यथासंभव भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अधिकृत TREDS Platform Trade Receivable Discounting System से भी जोड़ा जायेगा।
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