विनोद तावड़े, नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की बधाई देते समय प्रधानमंत्री के रूप में उनके द्वारा किए कार्यों का मूल्यांकन करना प्रासंगिक होगा, क्योंकि अंत में किसी भी सत्तारूढ़ दल के नेता के लिए सामाजिक प्रतिबद्धता प्रमुख मुद्दा होता है।
नरेंद्र मोदी ने अपने पहले और दूसरे कार्यकाल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सशक्त राजनेता के रूप में अपनी पहचान बनाते हुए इस बात पर जोर दिया कि दुनिया भर में भारत की प्रतिष्ठा कैसे बढ़ेगी और भारत विश्व राजनीति में किस तरह से हस्तक्षेप करेगा। पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखते हुए, नरेंद्र मोदी ने अमेरिका जैसी महाशक्ति के साथ साथ यूरोपीय देशों के साथ भी घनिष्ठ संबंध बनाए। देश में अंदरुनी मामले में कई मुद्दों पर कठोर रुख अख्तियार करना और सही निर्णय लेना मोदी के कार्यशैली की विशेषता रही है। कोई क्या सोचता है इस पर ध्यान न देते हुए किसी नीति या निर्णय से देश को किस तरह ज्यादा फायदा होगा, मोदी इस दिशा में सोचते रहे हैं और मोदी की ये कुशलता अनेक बार नज़र आई है।
बेशक कोई भी सरकार आम आदमी के खिलाफ नहीं होती, लेकिन नीति बनाने और उसके वास्तविक कार्यान्वयन के स्तर में अंतर होता है। मोदी सरकार ने इन दोनों स्तरों पर अपनी प्रतिबद्धता बरकरार रखी है। मोदी का नाम एक ऐसे नेता के रूप में प्रमुखता से लिया जाएगा, जो स्वतंत्र भारत में लोगों के साथ सीधे संवाद करते हैं। मोदी इसे सहजता से कर लेते हैं, क्योंकि वो न केवल आम आदमी को समझते हैं, बल्कि आम आदमी के लिए उनके मन में एक तड़प भी होती है। जागरूकता के नाते और सरकारी कर्तव्य के लिए कार्य करने और सामाजिक तत्वों के प्रति आदरभाव और कर्तव्य की भावना होने के बीच एक बुनियादी अंतर होता है। नरेंद्र मोदी का जन्म जिस सामाजिक परिवेश में हुआ, उनके बचपन का संघर्ष और बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से मिले देशभक्ति के संस्कार उन्हें तपाते गए और आम आदमी, गरीबों, दलितों और शोषितों के लिए दिन-रात काम करना उनके जीवन का ध्येय बन गया।
उनके कार्यकाल में कांग्रेस ने जो किया, वह यहां चर्चा का विषय नहीं है, लेकिन कांग्रेस की नीतियों से समाज में कोई मूलभूत परिवर्तन नहीं हुआ या फिर उसकी गति बहुत ही धीमी रही। हमें यह स्वीकार करना होगा कि मोदी की नीति आम लोगों के जीवन में बुनियादी बदलाव ला रही है। उनकी जनधन योजना का ही उदाहरण लें। लाखों लोग कभी बैंक गए ही नहीं थे, क्योंकि उनका कभी किसी बैंक में खाता ही नहीं था। देखा जाए तो ये बेहद आसान लगनेवाली बात है, लेकिन हम ऐसे करोड़ों जनता को ये प्रतिष्ठा देंगे या नहीं? मोदी सरकार की इस योजना के कारण देश की 30 करोड़ से अधिक जनता को ये प्रतिष्ठा मिली। इस योजना से अन्य आर्थिक लाभ तो हुए ही, लेकिन मेरी राय में, उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ना अधिक महत्वपूर्ण है। मोदी सरकार ने निर्णय लिया कि सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ लाभार्थियों को मिले, किसान, खेतिहर मजदूर, छात्र और महिलाएं समाज के इन सभी घटकों के खाते में सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे पहुंचे। जनधन योजना का ये भी एक उल्लेखनीय पहलू रहा है। गरीबों को न केवल स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें, बल्कि उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री आरोग्य योजना शुरू की गई। इस योजना से आज देश के करोड़ों लोग लाभान्वित हो रहे हैं। नरेंद्र मोदी की कार्यशैली की एक और विशेषता योजनाओं का सरलीकरण है। कहीं कोई जटिलता नहीं, बस सहजता से संबंधित स्थान पर जाएं और योजना का लाभ उठाएं। सरकारी बाबूगिरी और इन योजनाओं का लाभ पाने के लिए होनेवाली परेशानियों को खत्म करने के लिए नरेंद्र मोदी ने एक ईमानदार कोशिश की है।
एक तरफ नरेंद्र मोदी ने औद्योगीकरण पर जोर देने के लिए कई प्रयोग किए और निर्णय लिए। वहीं दूसरी तरफ गरीब, मध्यम वर्ग के किसानों के हितों के लिए भी काम किया। किसानों को बुवाई के मौसम में समय पर अच्छी गुणवत्ता के बीज और खाद मिलें, यह सुनिश्चित करने के लिए खुद नरेंद्र मोदी ने पहल की। यूरिया खाद की कालाबाजारी रोकने की कोशिश करने के साथ ही उसकी गुणवत्ता बरकरार रखने के प्रयास किए जा रहे हैं। यह एक छोटी सी बात लग सकती है, लेकिन किसानों के जीवन में इसका क्या महत्व है, इसे केवल वही जान पाएंगे जो इसका अर्थ जानते हैं। हमारे देश में फसलों को किफायती दाम मिलने की बात पिछले कई दशकों से होती रही है, लेकिन दशकों से चली आ रही किसान विरोधी बाजार नीति को बदले बिना यह संभव नहीं था। इसके लिए मोदी ने देश भर में बाजार समितियों का आधुनिकीकरण करने के साथ ही बाजार समितियों के किसान विरोधी नियमों और कायदों को निरस्त करने का साहसिक निर्णय लिया। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि सभी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले और यह मूल्य हर साल बढ़ाया जाता है।
विदेश नीति, आर्थिक नीति, रक्षा नीति आदि बहुत ही बड़े और व्यापक मुद्दे हैं। मोदी ने इसके लिए क्या किया, इसके बारे में बहुत विस्तार से लिखा जा सकता है, लेकिन मुझे यहां आम भारतीयों के लिए मोदी द्वारा किए कार्य पर प्रकाश डालना ज़्यादा महत्वपूर्ण लग रहा है।
कुंभ मेले में सफ़ाई कर्मचारियों के पैर धोना भले ही सामान्य बात लग सकती है, लेकिन मोदी के इस कार्य के दूरगामी सामाजिक परिणाम होंगे। सामाजिक परिवर्तन, सुधार की गणना करने का निश्चित उपाय नहीं, बल्कि एक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया की गति हमेशा धीमी रही है। सिर पर मैला ढोकर ले जाने के कार्य को कानूनी रूप से बंद कर दिया गया। इस तरह की जबरदस्ती करने के कार्य को एक अपराध की श्रेणी में रख दिया गया। मुझे लगता है कि इस सामाजिक प्रक्रिया का अंतिम पड़ाव मोदी द्वारा सफाई कर्मियों के पैर धोना है। मोदी ने सामाजिक स्तर पर दमनकारी कई कानूनों को निरस्त किया या संशोधित कर दिया। दलित समुदाय के लिए कानून को और अधिक सक्षम बनाने का प्रयास किया गया। खास बात यह है कि यह सब करते हुए चुनाव, वोटों की राजनीति को ध्यान में नहीं रखा गया, यही मोदी की विशेषता है, यही उनकी समाज के प्रति प्रतिबद्धता है। दूसरी ओर, आम आदमी, विशेषकर दलित और आदिवासी समुदायों को आर्थिक रूप से मुख्यधारा में लाने के लिए मुद्रा योजना शुरू की गई। ऐसा कोई नहीं कह रहा, इससे पहले समाज के इन वर्गों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए कोई योजना नहीं थी। लेकिन देश की समग्र स्थिति और उपलब्ध सरकारी नौकरियों की मात्रा को देखते हुए, सभी को रोजगार प्रदान करना मुश्किल काम है। इसके लिए इसे अलग करना जरूरी है। मुद्रा योजना इसका एक विकल्प साबित हुई है। इस योजना के माध्यम से दलित, आदिवासी युवा नौकरी की तलाश में नहीं, बल्कि दूसरों को नौकरी के अवसर देने के स्तर तक पहुंच रहे हैं। इस योजना ने न केवल दलित और आदिवासी युवाओं को उद्योग शुरू करने के लिए सुलभ आर्थिक सहायता प्रदान किया, बल्कि उनके उत्पादों के लिए बाज़ार उपलब्ध कराने का भी प्रयत्न किया गया। इन युवाओं द्वारा उत्पादित 4% उत्पादों को सरकार द्वारा खरीदने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय मोदी ने लिया। इससे अब तक देश के 2.75 करोड़ युवाओं को लाभ हुआ है। इस योजना में कितने करोड़ रुपए आवंटित किए गए, यह संख्या का खेल था, इस योजना के कारण वास्तव में क्या बदल रहा है, यह योजना इस समाज के युवाओं में विश्वास पैदा कर रही है, मेरे लिए यही महत्वपूर्ण है। दलित, आदिवासी विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा, विदेशों में शिक्षा के अवसर मिले, इसके लिए मोदी काम कर रहे हैं। अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को भी इसी तरह के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। यहां सरकारी योजनाओं की सूची देने का मेरा इरादा नहीं है, बल्कि किसी नेता के काम का मूल्यांकन करने में कौन से कारक महत्वपूर्ण हैं, यह जांचना जरूरी है। इसलिए मैंने केवल कुछ निर्णयों की यहां चर्चा की है।
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था कि सत्ता की कुंजी सामाजिक परिवर्तन और प्रगति का साधन है। इसके लिए उन्होंने अपने अनुयायियों और समाज को सत्ता की परिधि से बाहर आनेवाले लोगों को सत्ता में सहभागिता मिले, इसके लिए प्रयत्न किए और उसके अनुसार कानून बनाए। इस समुदाय को संसदीय राजनीति में मौका देने के लिए उन्होंने एक संवैधानिक प्रावधान किया। हालांकि सत्ता में उन्हें प्रत्यक्ष मौका मिलेगा, ऐसी उस पार्टी की नीति होनी चाहिए। यदि आप इस दृष्टि से मोदी के मंत्रिमंडल पर एक नज़र डालें, तो आप देखेंगे कि इस मंत्रिमंडल का चेहरा पिछले सभी मंत्रिमंडलों से अलग है। सत्ता के केंद्र में तो सभी जातियों को मौका मिलता ही है, लेकिन समाज के जिन वर्गों को सत्ता में प्रत्यक्ष मौका नहीं दिया गया है, ऐसे अनेक चेहरे मोदी के मंत्रिमंडल में उनके सहयोगी हैं, यही बात मोदी को विशिष्ट बनाती है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के राजनीतिक विचारों को लागू करते हुए डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रेरणा मिलती रहे, इसके लिए डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर से संबंधित स्थलों का विकास किया जा रहा है। मोदी के समग्र व्यक्तित्व से देश के युवाओं में आत्मविश्वास का माहौल बन रहा है। उदाहरण के लिए, ओलंपिक में हमने अब तक का ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है। इसका श्रेय किसी नेता या विभाग को देने का मेरा इरादा नहीं है, इससे पहले भी एक खेल विभाग था, एक वित्तीय प्रावधान था, विभिन्न खेल संगठन थे, लेकिन एक आत्मविश्वास का माहौल, सरकार हमारे साथ है, ये आश्वासन और खेल व खिलाड़ियों के लिए एक निश्चित नीति ज़रूरी होती है। मैंने राज्य के खेल मंत्री के रूप में कार्य किया है, इसलिए इस क्षेत्र में अपने अनुभव के आधार पर मैं दावा कर सकता हूं कि देश में खेल क्षेत्र के लिए हालात पहले से कहीं बेहतर हैं।
पार्टी नेता, मित्र और मार्गदर्शक के रूप में नरेंद्र मोदी की विशिष्टता का अनुभव हम करते रहते हैं, लेकिन सार्वजनिक जीवन में भी विभिन्न स्तरों पर उनका अलग होना, उनका सहज व्यक्तित्व, साहसिक निर्णय लेने वाले नेता के रूप में, विभिन्न स्तरों पर वे सबसे अलग हैं। सत्ता के सर्वोच्च पद पर होते हुए भी लोगों से सीधे संवाद करनेवाले, दिन-रात काम करनेवाले और हमेशा देश एवं आम आदमी के हितों के बारे में सोचनेवाले नेता यानी नरेंद्र मोदी। उनकी छवि कोई अतिशयोक्ति नहीं है, बल्कि लोगों का इतना प्यार और समर्थन बहुत कम नेताओं को मिलता है। मोदी ने ये सब अपने कार्यों से अर्जित किया है, यह बात उनके विरोधियों को भी स्वीकार करनी होगी।
लेखक महाराष्ट्र के पूर्व शिक्षा, खेल और सांस्कृतिक मंत्री हैं।
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